अब पुराने स्टॉक को “बम्पर सेल” ऑफर की आड़ में नहीं बेच पाएँगी ई-कॉमर्स कंपनियाँ, नए नियम जारी

भारत सरकार ने ई-कॉमर्स क्षेत्र से जुड़ी कंपनियों के लिए निकाले नए नियम

ई-कॉमर्स नियम

भारत सरकार ने ई-कॉमर्स क्षेत्र के लिए नए एवं कड़े नियम निकाले हैं

अमेरिकी कंपनियों ने दशकों तक भारतीय बाज़ार के साथ अपनी “जागीर” की तरह बर्ताव किया है। नियमों की धज्जियां उड़ाना, भारतीय यूजर्स के हितों के साथ खिलवाड़ और अपनी अनैतिक नीतियों से भारत से करोड़ों का मुनाफ़ा कमाना इन कंपनियों के लिए बेहद सामान्य सी बात रही है। हालांकि, अब यह बदल रहा है। भारत सरकार अमेरिकी सोशल मीडिया कंपनियों के खिलाफ तो पहले ही बड़ी कार्रवाई कर चुकी है, अब अगला नंबर अमेरिकी ई-कॉमर्स कंपनियों का है। भारत सरकार ने ई-कॉमर्स क्षेत्र से जुड़ी कंपनियों के लिए नए एवं कड़े नियम निकाले हैं, जिससे Walmart की Flipkart और Amazon जैसी कंपनियों के लिए बड़ी मुसीबतें खड़ी हो सकती हैं।

बता दें कि नए नियम के मुताबिक अब ये ई-कॉमर्स कंपनियाँ बम्पर सेल ऑफर नहीं निकाल पाएँगी। इन कंपनियों पर त्योहार के दौरान भारी डिस्काउंट के साथ सेल ऑफर निकालने के आरोप लगते हैं, जिसके कारण बाज़ार के आम विक्रेताओं को भारी नुकसान का सामना करना पड़ता है। नए नियम के बाद ऐसा करना संभव नहीं होगा।

आखिर क्या है ये नए नियम?

उपभोक्ता मंत्रालय के एक बयान के अनुसार “सभी तरह के ‘बम्पर सेल ऑफर’ या Flash sales पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा रहा है। बल्कि केवल उन्हीं पर रोक लगाई जा रही है जिसके कारण उपभोक्ताओं के पास विकल्पों की कमी, दामों में वृद्धि और बराबरी की प्रतिस्पर्धा जैसे नियमों की अवहेलना दर्ज की जा रही हो।”

इसके साथ ही नए नियम के मुताबिक सोशल मीडिया कंपनियों की तर्ज पर ई-कॉमर्स कंपनियों को भी भारत में एक Compliance officer, एक Grievance Officer और एक Nodal अधिकारी को नियुक्त करना होगा, जिससे भारत की कानून एजेंसियां किसी भी वक्त संपर्क स्थापित कर सकें।

इसके अलावा नए नियम में तीसरा बड़ा बदलाव यह है कि अब जरूरत पड़ने पर इन ई-कॉमर्स कंपनियों को अपना डेटा भारत सरकार की कानून एजेंसियों के साथ भी साझा करना पड़ सकता है। सरकार के बयान के अनुसार “किसी भी प्रकार की कानूनी तौर पर मान्य जांच, रोकथाम, अवहेलना, कार्रवाई, साइबर-सुरक्षा से जुड़े operations, और सत्यापन जैसी प्रक्रियाओं के लिए ई-कॉमर्स कंपनियों को अपना डेटा कानूनी तौर पर मान्य सुरक्षा एवं जांच एजेंसियों के साथ साझा करना पड़ सकता है।”

इन एजेंसियों की मांग के 72 घंटों के अंदर-अंदर इन कंपनियों को वह जानकारी इन्हें प्रदान करानी होगी।

ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए जारी किए गए नियम कोई नए नहीं हैं, बल्कि इससे पहले भारत सरकार पिछले वर्ष 23 जुलाई को भी ऐसे नियम जारी कर चुकी हैं। अब कुछ नए नियमों को उन पुराने नियमों में जोड़ा गया है। नए नियम के तहत इस बात पर भी कड़ी नज़र रखी जाएगी कि कोई भी ई-कॉमर्स कंपनी “अनैतिक और गैर-कानूनी फायदे के लिए” लोगों का डेटा ना जुटाये और इसके साथ ही किसी भी ई-कॉमर्स कंपनी और उनके प्लेटफॉर्म पर मौजूद किसी विक्रेता के बीच में कोई संबंध ना हो!

बता दें कि इसी वर्ष 17 फरवरी को Reuters की एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ था कि Amazon कंपनी भारत में कुछ चुनिन्दा विक्रेताओं को अधिक फायदा पहुंचाती है। जांच के मुताबिक Amazon की वेबसाइट के माध्यम से बिके कुल सामान का एक तिहाई हिस्सा सिर्फ चुनिन्दा 33 विक्रेताओं द्वारा ही बेचा गया था। कंपनी ने इस बेहद ज़रूरी आंकड़े को “संवेदनशील जानकारी” घोषित कर सार्वजनिक करने से मना किया हुआ था।

यह तो कुछ भी नहीं, वर्ष 2019 की शुरुआत में Amazon India के कुल रेवेन्यू का 35 प्रतिशत हिस्सा ऐसे 2 विक्रेताओं से आ रहा था, जिनमें Amazon ने अप्रत्यक्ष तौर पर निवेश किया हुआ था। इसके साथ ही Amazon के देशभर के कुल 4 लाख विक्रेताओं में से सिर्फ 35 ने ही कंपनी की कुल sales में से दो तिहाई हिस्से का योगदान दिया।

ये ई-कॉमर्स कंपनियाँ सालों से भारतीय सरकार, भारतीय बाज़ारों और भारतीय विक्रेताओं को मूर्ख बनाती आई हैं और भारतीय बाज़ार से अवैध रूप से करोड़ों का मुनाफ़ा कमाती आई हैं। अब इनपर लगाम लगाने के लिए भारत सरकार ने कमर कस ली है। Reuters की रिपोर्ट के मुताबिक, Amazon और Flipkart जैसी कंपनियाँ नए नियम के विरोध में आवाज़ उठा सकती हैं, लेकिन उन्हें इस लड़ाई में हार का मुंह ही देखना पड़ेगा।

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