अलीगढ़ का नूरपुर हिंदू बहुल गांव था, अब यहां 80% अबादी मुस्लिमों की है

यहां हिंदू पलायन को मजबूर हैं

नूरपुर गांव

Patrika

अपनी मातृभूमि को छोड़ना किसी भी व्यक्ति के लिए सबसे दुखदाई पल होता है। विश्व में ऐसे कई उदहारण देखने को मिल जायेंगे जब किन्हीं कारणों से किसी गाँव या क्षेत्र के लोगों को अपना घर छोड़ कहीं और बसने के लिए मजबूर होना पड़ा हो। कश्मीरी पंडितों के पलायन से लेकर पश्चिम बंगाल तक हमें देखने को मिला है कि किस तरह एक विशेष समुदाय के बढ़ते प्रकोप के कारण हिन्दुओं को पलायन करना पड़ा है। अब यही उत्तर प्रदेश के अलीगढ जिले के नूरपुर नामक गांव में देखने को मिल रहा है।

इस क्षेत्र में हिन्दुओं को अब न तो पूजा का अधिकार है और न ही शादी के लिए बारात उतारने का। उस क्षेत्र से अब हिन्दू परिवार अपने घर बार बेच कर अन्य स्थान पर पलायन करने को मजबूर हो रहा है। क्षेत्र से कई तस्वीरे सामने आई है जहाँ घरों पर “यह माकन बिकाऊ है” स्पष्ट अक्षर में लिखा दिखाई दे रहा है।

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केशव मलान नामक पत्रकार द्वारा किये गए ग्राउंड रिपोर्टिंग में उन्होंने यह स्पष्ट बताया है कि कैसे परिवारों को जो पीढ़ी दर पीढ़ी उस गाँव में बसे हुए थे, उन्हें गाँव छोड़ कर पलायन होने पर मजबूर होना पड़ रहा है। यहां न सिर्फ हिन्दुओं के बारात रोके जाते हैं, बल्कि उनकी बहन बेटियों पर भद्दे कमेन्ट भी किये जाते हैं।

दरअसल, यह क्षेत्र पहले हिन्दू बहुल हुआ करता था, लेकिन आज 80 प्रतिशत आबादी मुसलमानों की है। अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार नूरपुर गांव में मुस्लिम समाज की करीब 800 और हिंदू अनुसूचित जाति (जाटव समाज की) आबादी करीब 125 परिवारों की है। इस क्षेत्र में हिन्दुओं को अल्पसंख्यक की तरह रहना पड़ रहा है। मुसलमानों की सिर्फ आबादी ही नहीं बढ़ रही है, बल्कि हिन्दुओं को उनके धार्मिक कार्य भी नहीं करने दिया जा रहा है। जैसे ही किसी कि शादी के लिए बारात आती है वैसे ही बारातियों को रोक कर उन पर हमला कर दिया जाता है। यही नहीं Breaking Tube की रिपोर्ट के अनुसार, उन्हें धर्मांतरण के लिए भी मजबूर किया जाता है। ग्रामीणों के मुताबिक, मुस्लिम समुदाय के लोग गांव में धर्मांतरण के लिए दबाव बनाते हैं और साथ ही प्रलोभन भी देते। जिसके चलते आज उनकी जनसंख्या हिंदुओं से 8 गुनी हो गई है। नूरपुर जैसे एक छोटे से गांव में तीन मस्जिदें और एक बड़ा मदरसा है जो कि हाल ही में बना है।

अलीगढ टप्पल थाना क्षेत्र के गांव नूरपुर में लगातार 4 हिन्दू लड़कियों की बारात को मुस्लिमों द्वारा रोके जाने और उनके साथ मारपीट करने से परेशान गांव के हिंदू परिवारों ने पलायन करने का मन बना लिया है। इतना ही नहीं पीड़ित हिंदुओं ने अपने घरों पर ‘यह मकान बिकाऊ है’ लिखकर शासन-प्रशासन के सामने अपना दर्द बयां किया है साथ ही प्रशासन पर कार्रवाई न करने का आरोप लगाया है। अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार, दो दिन पहले नूरपुर गांव में आई एक बरात को समुदाय विशेष के लोगों ने रोका था तथा झगड़ा व मारपीट भी किया था। तहरीर देने के बावजूद पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की।

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रिपोर्ट के अनुसार, नूरपुर गांव के ओमप्रकाश के अनुसार दो दिन पहले उनकी दो बेटियों की बरात आई थी। वकील पुत्र अल्लाराजी के भड़काने पर समुदाय विशेष के कुछ लोगों ने बरात चढ़त से रोकी और मारपीट की। एक गाड़ी का शीशा भी तोड़ दिया। 25 अप्रैल और 9 मई को भी अनुसूचित जाति के परिवारों में आई बरात के दौरान इसी तरह झगड़ा, मारपीट की गई थी। तहरीर देने के बाद भी पुलिस आंख बंद कर रही है।

अमर उजाला ने यह भी बताया है कि दूसरे पक्ष ने भी थाने में तहरीर देकर नमाज के समय बैंडबाजा बजाने से मना करने पर झगड़ा करने का आरोप लगाया है। टप्पल थाना प्रभारी प्रवीण कुमार मान का कहना है कि थाने में किसी भी तरह की तहरीर नहीं आई है। तहरीर मिली तो रिपोर्ट दर्ज की जाएगी।

सोशल मीडिया में यह खबर सामने आने पर अलीगढ़ पुलिस ने बताया है कि थाना प्रभारी को कड़ी कार्रवाई के लिए सूचित कर दिया गया है।

अगर यह सामान्य झगड़ा है तो आखिर लोग अपने घरों को बेचने और उस गाँव से पलायन करने के लिए क्यों मजबूर हो रहे हैं। कोई भी परिवार अपनी मातृभूमि और पुरखों की जमीन को छोड़ने को ऐसे ही नहीं मजबूर होता है जब तक उसकी कोई मज़बूरी न हो। अगर मान भी लिया जाये कि मज़बूरी होगी। तो यह लॉजिक एक घर या अधिक से अधिक पांच घर तक तर्कसंगत लगता है न कि दर्जनों परिवार। हालाँकि, अलीगढ पुलिस ने इस मामले का संज्ञान ले लिया है। अगर इसे नहीं रोका गया तो धीरे-धीरे पूरे इलाके से हिन्दू परिवारों को कश्मीरी पंडितों की तरह पलायन के लिए मजबूर होना पड़ेगा। यह न सिर्फ योगी सरकार के लिए शर्मनाक होगा, बल्कि केंद्र में बैठे मोदी सरकार के लिए भी शर्मनाक होगा कि उनके सत्ता में रहते हिन्दुओं को अपने ही घरों से पलायन करना पड़ रहा है।

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