वृद्ध मुस्लिम पीटा गया, जबरन “जय श्रीराम” बुलवाने का आरोप लगा, पीटने वाले आरिफ़, आदिल और मुशाहिद निकले

सच्चाई तो कुछ ओर ही है!

गाजियाबाद मुस्लिम

गाजियाबाद में एक मुस्लिम व्यक्ति को पीटने वाले आरिफ़, आदिल और मुशाहिद निकले

जैसे जैसे उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव की तारीख निकट आती जा रही है, वैसे वैसे भाजपा के सत्ता वापसी की संभावना भी बढ़ती जा रही है। यूं कहिए कि योगी आदित्यनाथ को वापस मुख्यमंत्री बनाने की कवायद तेज हो चली है। यह हम नहीं कह रह रहे हैं, बल्कि वामपंथियों की हरकतें इसी ओर इशारा कर रही हैं।

वो कैसे? हाल ही में एक स्थानीय झगड़े को लेकर जिस प्रकार से वामपंथियों ने तिल का ताड़ बनाया है, उससे स्पष्ट होता है कि वे किस प्रकार से 2022 के विधानसभा चुनाव को राष्ट्रीय महत्व का मुद्दा बनाना चाहते हैं। सोशल मीडिया पर हाल ही में एक वीडियो वायरल हुआ, जिसके आधार पर आरोप लगाया गया कि उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में एक मुस्लिम व्यक्ति से जबरदस्ती ‘जय श्री राम’ बुलवाया गया।

मीडिया में तो हिन्दू प्रतीक चिन्हों को बदनाम करने की होड़ सी मची सी रहती है। इस बार भी AIMIM के असदुद्दीन ओवैसी और AltNews के मोहम्मद जुबैर ने ‘जय श्री राम’ को बदनाम करने का बीड़ा उठाया। जहां असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि हिंदुत्व में बुजुर्गों और बच्चों पर हमला करना ही वीरता कहलाती है और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को टैग करते हुए उन्होंने प्रतिक्रिया की माँग की –

वहीं मोहम्मद ज़ुबैर ने भी इस खबर को शेयर कर झूठ फैलाया, लेकिन सच्चाई तो कुछ और ही निकली। जब पुलिस ने कल्लू और आदिल नाम के आरोपियों को इस मामले में गिरफ्तार किया तो ज़ुबैर ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और सिर्फ इसे ‘गाजियाबाद पुलिस से ताज़ा अपडेट’ करार दिया, लेकिन आरिफ और मुशाहिद का नाम छिपा लिया।

धीरे धीरे गाजियाबाद पुलिस ने पूरे मामले का कच्चा चिट्ठा खोल दिया। पुलिस के अनुसार ये घटना 5 जून, 2021 की है, जिसके बारे में पुलिस के समक्ष 2 दिन बाद रिपोर्ट दर्ज कराई गई। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो की जब पुलिस ने जाँच की तो पाया कि पीड़ित अब्दुल समद बुलंदशहर से लोनी बॉर्डर स्थित बेहटा आया था। वो एक अन्य व्यक्ति के साथ मुख्य आरोपित परवेश गुज्जर के घर बंथना गया था। वहीं पर कल्लू, पोली, आरिफ, आदिल और मुशाहिद आ गए –

वहाँ पर मुस्लिम बुजुर्ग के साथ मारपीट शुरू कर दी गई। अब्दुल समद ताबीज बनाने का काम करते हैं। आरोपियों का कहना है उसके ताबीज से उनके परिवार पर बुरा असर पड़ा। अब्दुल समद गाँव में कई लोगों को ताबीज दे चुका था। आरोपी मुस्लिम बुजुर्ग को पहले से ही जानते थे। पुलिस ने बताया कि मुख्य आरोपी पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है। इसके पश्चात कल्लू और आदिल भी गिरफ्तार कर लिए गए। अन्य अभियुक्तों की जल्द गिरफ़्तारी का आश्वासन भी गाजियाबाद पुलिस ने दिया है।

ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि अपने अतिउत्साह में वामपंथियों ने एक बार फिर उत्तर प्रदेश प्रशासन का काम ही आसान किया है। जिस प्रकार से उन्होंने अपनी हिन्दू विरोधी मानसिकता जगज़ाहिर की है, उससे स्पष्ट होता है कि 2022 में विधानसभा चुनाव जीतना योगी आदित्यनाथ के लिए वामपंथियों की कृपा से कुछ ज्यादा ही सरल होगा।

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