सोनिया की उदासीनता और अखिलेश का टीकों पर हमला, रायबरेली की कम टीकाकरण दर के लिए हैं दोनों जिम्मेदार

रायबरेली में टीकाकरण दर 1% भी नहीं!

कोरोनावायरस की दूसरी लहर के बाद से मोदी सरकार वैक्सीनेशन का काम तेज़ रफ़्तार से चलाने की कोशिश में है, देश में 25 करोड़ से अधिक लोगों को वैक्सीन की पहली डोज लग भी चुकी है। ऐसे में उम्मीद की जाती है कि जो हाईप्रोफाइल इलाक़े हैं वहां वैक्सीनेशन के कामों में अधिक तेज़ी आएगी, लेकिन कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली के आंकड़ों को देखकर तो कतई नहीं कहा जा सकता कि यहां वैक्सीनेशन को लेकर कोई जागरूकता भी है।

खबरों के मुताबिक यहां अभी 1 प्रतिशत लोगों का भी अभी पूर्ण वैक्सीनेशन नहीं हो पाया है। इसके बावजूद चुनावी समय में पत्रों की बारिश करने वाली सोनिया गांधी इस मुद्दे पर चुप्पी साधे बैठी हैं।

सोनिया गांधी का संसदीय क्षेत्र यानी उत्तर प्रदेश का रायबरेली जिला, खास बात ये है कि यहां की लगभग 85 फीसदी जनता ग्रामीण है। ऐसे में यहां से वैक्सीनेशन को लेकर चौंकने वाली खबर सामने आई हैं, जिनके मुताबिक यहां अभी तक 1 प्रतिशत से कम लोगों का वैक्सीनेशन भी नहीं हुआ है। आंकड़ों को देखते हुए कहा जा सकता है कि शायद सोनिया का संसदीय क्षेत्र रायबरेली वैक्सीनेशन के मामले में सबसे पीछे है।

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आंकड़ों के मुताबिक 39 लाख की जनसंख्या वाले रायबरेली में केवल 2.12 लाख डोज दिए गए हैं। इनमें से 1.81 लाख लोगों को पहली डोज ही लगी है। जिले की केवल 4.6 प्रतिशत आबादी को वैक्सीन मिली है। राज्य की वैक्सीनेशन दर 9 फीसदी है, ऐसे में राज्य की तुलना में यह आंकड़ा लगभग आधा है।

अजीबो-गरीब बात ये है कि दूसरा डोज पाने वालों की संख्या 32 हजार 263 है। इसका मतलब ये है कि, अब तक जिले के एक प्रतिशत लोगों का भी पूरी तरह से टीकाकरण नहीं हुआ है।

इस मामले में न्यूज़ 18 की रिपोर्ट बताती है कि स्थानीय लोगों में टीकाकरण को लेकर डर और संकोच का माहौल है। वैक्सीनेशन कराने जाने वाले लोगों को भी अन्य लोग डरा कर रोक देते हैं। लोगों की दिलचस्पी न‌ होने के चलते वैक्सीन की बर्बादी का खतरा यहां अधिक है।

चिकित्सा अधिकारी वैक्सीन की वायल तभी खोलते हैं, जब वैक्सीनेशन सेंटर पर लोगों की संख्या अधिक होती है क्योंकि वायल खुलने के बाद यदि वैक्सीन नहीं लग पाती है तो वह बर्बाद हो जाती है।

रायबरेली में वैक्सीनेशन की सुस्त रफ्तार है। सोनिया गांधी का संसदीय क्षेत्र होने के बावजूद उन्हें इस बात से शायद कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा है। लोकसभा चुनाव के दौरान धड़ाधड़ जिले की जनता के नाम पत्र जारी करने वाली सोनिया गांधी इस वक्त मोदी सरकार को राजनीतिक तौर पर घेरने के लिए पत्र जारी कर रही हैं जिसका असल में कोई लाभ होता नहीं दिख रहा है, लेकिन जहां की जनता से उन्हें वैक्सीनेशन के लिए अपील करनी चाहिए, उनके लिए सोनिया के पास दो शब्द तक नहीं है।

वैक्सीनेशन की सुस्त रफ्तार में एक भूमिका समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव की भी है जिन्होंने वैक्सीन की विश्वसनीयता को लेकर खूब हमले बोले हैं। इसका नतीजा है कि, आज लोगों में वैक्सीन को लेकर संकोच है। अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए इन नेताओं का ध्यान जनहित पर नहीं रह गया है, और इसका बुरा अंजाम जनता को भुगतना पड़ रहा है।

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