नूंह मेवात से जुड़ी PIL को सुप्रीम कोर्ट ने किया ख़ारिज
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को हरियाणा के नूंह जिले (मेवात) में मुस्लिम समुदाय द्वारा हिंदुओं के कथित जबरन धर्म परिवर्तन के खिलाफ कार्रवाई की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, याचिका वकीलों और कार्यकर्ताओं के एक समूह ने अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन के माध्यम से दायर की थी। इसमें लिखा है, “कई हिंदुओं को जबरन इस्लाम में परिवर्तित किया गया है और कई हिंदू महिलाओं और नाबालिग लड़कियों का अपहरण और बलात्कार किया गया है। हिंदू महिलाएं बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं हैं। बड़ी संख्या में मुसलमानों ने अनुसूचित जाति के सदस्यों पर अत्याचार किया है।”
बता दें कि, पिछले कुछ दशकों से हरियाणा के नूंह जिले के मेवात में हिंदुओं की कीमत पर मुसलमानों की आबादी बढ़ रही है। कई हिंदू परिवार पलायन कर चुके हैं, लेकिन इस जिले में बची शेष हिंदू आबादी अत्यधिक गरीब और अनुसूचित जाति से है। पिछले कुछ वर्षों में उनके खिलाफ क्रूर अत्याचार के कई मामले सामने आए हैं।
अब यहाँ सवाल यह उठता है कि आखिर खट्टर सरकार कर क्या रही है?
याचिका में कहा गया है कि, नूंह में हिंदू आबादी 20% (2011 में) से घटकर अब 10-11% हो गई है, जबकि मुस्लिम आबादी तब्लीगी जमात के संरक्षण में बढ़ी है।
याचिकाकर्ताओं ने चार सदस्यीय समिति द्वारा 31 मई, 2020 की एक रिपोर्ट को भी पेश किया, जिसमें बताया गया था कि समिति ने प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया और इस रिपोर्ट की एक कॉपी हरियाणा के CM मनोहर लाल खट्टर को भी सौंपी थी।
याचिका में कहा गया है, “हरियाणा राज्य, विभिन्न FIR और विभिन्न जघन्य अपराधों की शिकायतों का खुलासा होने के बाद भी मुसलमानों के खिलाफ कोई कार्रवाई करने में विफल रहा है।”
बता दें कि मेवात क्षेत्र, जो राजस्थान और हरियाणा में आता है, संगठित अपराध, पशु तस्करी और अवैध रोहिंग्याओं का केंद्र रहा है।
पिछले कुछ वर्षों में इस क्षेत्र में अपराध कई गुना बढ़ा है, खास कर हिन्दुओं के खिलाफ। जागरण की रिपोर्ट के अनुसार, “हरियाणा सरकार के आंकड़े बताते हैं कि पूरे प्रदेश में 600 से 700 परिवार रोहिंग्या मुसलमानों के हैं। अकेले मेवात में करीब दो हजार रोहिंग्या मुसलमान रहते हैं।”
मेवात में इन रोहिंग्याओं को शरण कैसे मिल रही है? कैसे इन लोगों की तादाद दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है?
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याचिका में कहा गया है कि, नूंह मेवात में करीब 431 गांव हैं, जिनमें से 103 गांव पूरी तरह हिंदू विहीन हैं। 82 गांवों में सिर्फ चार-पांच हिंदू परिवार हैं और मेवात में उनकी आबादी तेजी से घटी है। इससे जनसंख्या का स्वरूप बदल रहा है, जो राष्ट्रीय एकता के लिए खतरा होगा। वहां बड़ी संख्या में हिंदुओं को उनके घरों से भगा दिया गया है।
नूंह मेवात से जुड़ी रिपोर्ट
जिस रिपोर्ट में हिंदू अल्पसंख्यक की स्थिति और प्रमुख मुस्लिम समुदाय द्वारा किए गए अत्याचारों को उजागर किया गया था उसे हरियाणा के पूर्व जिला और सत्र न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति पवन कुमार के नेतृत्व वाली टीम द्वारा लिखा गया था। पूर्व जज ने प्रेस बयान में कहा था कि, मेवात दलितों के लिए ‘कब्रिस्तान’ बन गया है, और ‘पाकिस्तान और मेवात में कोई अंतर नहीं है।’
प्रेस विज्ञप्ति:
दलितों का कब्रिस्तान बनता जा रहा है मेवात : जस्टिस पवन कुमार
Mewat of Haryana becoming graveyard of Dalits : Justice Pawan Kumar pic.twitter.com/JuAYn31G2w— विनोद बंसल Vinod Bansal (@vinod_bansal) June 1, 2020
हालाँकि, इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद हरियाणा के मुख्यमंत्री ने सख्त कानून बनाने का और एक्शन लेने का आश्वासन दिया था। उन्होंने तब घोषणा की थी कि, सरकार जबरन धर्मांतरण को रोकने के लिए ‘Freedom of religion’ अधिनियम लाएगी, और हिंदू आम संपत्तियों की रक्षा के लिए एक धर्मदा बोर्ड की स्थापना करेगी। परन्तु जमीनी स्तर पर अब भी हालात नहीं बदले हैं।
अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने याचिका दायर कर कहा है कि, स्थानीय पुलिस शक्तियों का प्रयोग करने में विफल रही है जिसके परिणामस्वरूप हिंदुओं का जीवन और स्वतंत्रता खतरे में है। इस जनहित याचिका में हिंदुओं के जबरन धर्म परिवर्तन, हिंदुओं की संपत्तियों की जबरदस्ती गैरकानूनी बिक्री और हिंदू लड़कियों पर अत्याचार की SIT से जांच कराए जाने की मांग की गई है।
साथ ही केंद्र सरकार को नूंह मेवात में अर्धसैनिक बल तैनात करने का आदेश देने की मांग भी की गई है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस याचिका को ख़ारिज किये जाने के बाद खट्टर सरकार को अपने किये गए वादे को पूरा करना चाहिए और कानून बनाने के साथ साथ कानून व्यवस्था बनाए रखने में पुलिस की मदद के लिए जिले में भारतीय रिजर्व बटालियन (RRB) की एक इकाई तैनात कर देनी चाहिए।
अब हरियाणा सरकार को कुछ सख्त कदम उठाने ही पड़ेंगे, अन्यथा खट्टर प्रशासन को अपना जनाधार बचाने में आगे बहुत मुश्किलें होने वाली हैं।