Sherni Film: जो मुस्लिम हंटर था, उसे फिल्म में हिन्दू दिखा दिया; जो हिन्दू अफसर थी, उसे ईसाई बना दिया

Storyline की आड़ में आपकी Unconscious बुद्धिमता का फायदा उठाकर हिंदुओं के खिलाफ आपके ज़हन में जहर घोला जा रहा है

शेरनी फिल्म पोस्टर

शेरनी फिल्म में एजेंडे को कहानी से ऊपर रखा गया 

बॉलीवुड में अगर किसी सच्ची घटना के आधार पर फिल्म बनाई जाती है तो उसमें भी तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश कर दिया जाता है। इसके पीछे भी शायद फिल्म निर्माताओं का सेकुलरिज्म का प्रोपेगैंडा आड़े आ जाता है। और कुछ ऐसा ही हाल ही में अमेजन प्राइम पर रिलीज हुई फिल्म ‘शेरनी’ को लेकर हुआ है।

रियल लाइफ के किरदारों को शेरनी फिल्म की “रील लाइफ” में अलग-अलग धार्मिक एजेंडे के आधार पर बुना गया है। फिल्म में दिखाया गया क्रूर और पशु-विरोधी शिकारी असल जिंदगी में मुस्लिम था, लेकिन उसे इस फिल्म हिन्दू बता दिया गया। वहीं जो Forest Department का भ्रष्टाचार-विरोधी अधिकारी था, रियल लाइफ में वह हिन्दू है, लेकिन उन्हें फिल्म में ईसाई बना दिया गया है।

दरअसल, महाराष्ट्र के यवतमाल में आदमखोर शेरनी “अवनी” पर निर्देशक अमित वी मसूरकर द्वारा बनाई गई फिल्म ‘शेरनी’ को लेकर विवाद शुरू हो गया है। फिल्म में मुख्य किरदार विद्या बालन का है जिन्होंने वन विभाग की ईमानदार मुख्य अधिकारी विद्या विंसेंट का रोल निभाया है, जो कि ईसाई धर्म से ताल्लुक रखती हैं। जबकि असल जिंदगी में फारेस्ट अधिकारी एक हिन्दू थीं जिनका नाम “के एम अभरना” था। वो जब-जब तस्वीरों में दिखीं तो उनके माथे पर ‘बिंदी’ थी, लेकिन फिल्म में उन्हें ईसाई बना दिया गया।

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फिल्म को हिन्दू की छवि ख़राब करने का दोषी कहा जा सकता है

दिलचस्प बात ये है कि शेरनी फिल्म में हसन नूरानी नाम के शख्स को छोड़कर सभी वन विभाग के अधिकारियों को भ्रष्ट दिखाया गया है। सभी हिन्दू अधिकारी अपना काम ठीक से नहीं करते हैं, और पद पर बने रहने के लायक तक नहीं हैं। वहीं, फिल्म में क्रूर और भ्रष्ट शिकारी का रोल राजन राजहंस (पिंटू भईया) नाम के हिंदू को दिया गया है, जबकि असल जिंदगी में वह शिकारी हिन्दू नहीं बल्कि मुस्लिम था और उसका नाम असगर अली खान था। हो सकता है आपमें से कुछ लोगों को यह लगे कि हम आखिर एक फिल्म की कहानी पर फोकस ना करके, उसके किरदारों के धर्म पर फोकस क्यों कर रहे हैं, लेकिन सच्चाई यही है कि बॉलीवुड के कलाकार हमारी Unconscious बुद्धिमता का फायदा उठाकर प्रत्येक धर्म के बारे में अपने विचार हमारे दिमाग पर थोपने का प्रयास करते हैं।

उदाहरण के लिए शेरनी फिल्म में सभी अधिकारियों को शराब पीते और नॉन वेज खाते हुए दिखाया गया है, जबकि हकीकत ये है कि महाराष्ट्र में पिछले 20 साल से वन क्षेत्र में शराबबंदी लागू है। अजीबो-गरीब बात ये है कि इस फिल्म को गुलशन कुमार के टी सीरीज के प्रोडक्शन में बनाया गया है। गुलशन कुमार इस तरह के एजेंडे को कभी बढ़ावा नहीं देते थे, लेकिन आज अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर गुलशन कुमार के बैनर तले भी यह प्रोपेगैंडा चलाया जा रहा है।

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‘शेरनी’ नाम की इस फिल्म को लेकर दावा है कि ये पूर्णतः 2018 के यवतमाल कांड पर आधारित है, लेकिन सच तो ये है कि इस फिल्म में तथ्यों के साथ खिलवाड़ किया गया है। फिल्म में जितने भी बुरे कैरेक्टर्स है, उन्हें हिन्दू दिखाया गया है, जबकि हसन नूरानी समेत विद्या विन्सेंट के अच्छे किरदारों को मुस्लिम या ईसाई दिखाया गया है। इसे कहीं न कहीं हिंदुओं की छवि को खराब करने की कोशिश ही माना जाएगा।

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