PM मोदी का कडा रुख देखकर Big Tech भारत की बाजू मरोड़ रहा है, इसे अभी भारत की क्षमता का ज्ञान नहीं है

Big Tech भारत का Boycott करने की धमकी दे रहा है, 135 करोड़ लोगों का मार्केट खोकर आएगी अक्ल!

भारत कंपनियां

(PC: Entrackr)

जब से मोदी सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स, डिजिटल पब्लिशर्स और OTT प्लेटफॉर्म्स के विरुद्ध कड़ा रुख अपनाया है और यह सुनिश्चित किया है कि इन कंपनियों को नए IT नियमों के अनुरूप काम करना पड़े, तब से इन कंपनियों ने भी सरकार के प्रति आक्रामकता दिखाने की कोशिश शुरू की है। नए IT नियमों से बचने के लिए अब ये कंपनियां भारत सरकार से जोर आजमाइश करने की बाते कर रही हैं।

अमेरिका की प्रतिष्ठित पत्रिका Reuters में हाल ही में एक लेख छपा है जिसके अनुसार इन कंपनियों ने इस मुद्दे पर पुनर्विचार शुरू किया है कि क्या भारत को चीन के विकल्प के रूप में देखना सही है। ‘Analysis: Frequent run-ins with India gov’t cloud U.S. tech expansion plans’ नाम से छपे लेख में कहा गया है कि अब अमेरिकी कंपनियां भारत सरकार से तनाव के कारण भारत में निवेश को लेकर चिंतित हैं।

एडिटोरियल में लिखा है “अमेरिका की बड़े टेक फर्म से जुड़े तीन वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया है कि भारत के बारे में यह धारणा, कि वह चीन के विकल्प के रूप में अधिक सुगम बाजार के रूप में उभरेगा तथा इन कंपनियों की भावी योजनाओं में अहम भूमिका निभाएगा, उसपर अमेरिकी कंपनियां अब पुनर्विचार कर रही हैं।”

एडिटोरियल ने अपने दावे को पुष्ट करने के लिए एक अधिकारी के बयान को छापते हुए लिखा है “हमारे यहाँ हमेशा ही यह चर्चा होती थी कि भारत को हब कैसे बनाया जाए, लेकिन इस पर पुनर्विचार होने लगा है।”

वैसे सिलिकन वैली की दिग्गज कंपनीयों की PR ऐजेंसी दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं। अपने उत्पाद को कैसे बाजार में बेचना है और कैसे विदेशी सरकारों को अपने अनुरूप चलाना है, इस काम में अमेरिका को चीन से भी अधिक तजुर्बा है। सत्य यह है कि कोई देश किसी दूसरे देश को उपकार करने के लिए आर्थिक हब नहीं बनने देता। अमेरिका की कंपनियां भारत में निवेश कर रही हैं तो इसका कारण यह नहीं कि उनके कर्मचारियों को भारत के समोसे पसंद हैं, भारत दुनिया का सबसे बड़ा बाजार है, इसलिए ये कंपनियां भारत आती हैं।

सत्य यह है कि अभी भारत ने अपनी क्षमता के अनुरुप विस्तार करना शुरू ही किया है। जल्द ही भारत विश्व की सबसे बड़ी जनसंख्या वाला देश बन जाएगा, जो डिजिटलीकरण के मामले में संसार में सबसे बड़ा बाजार होगा। भारत का ऑनलाइन शॉपिंग, आर्थिक लेन-देन, मनोरंजन आदि के प्रति रुझान आगे भी बढ़ता ही रहेगा, ऐसे में कोई भी कंपनी, जो लाभ कमाना चाहती है, वह भारत के बाजार में निवेश करेगी ही करेगी।

भारत के विस्तृत बाजार की जानकारी इसी से होती है कि अभी व्हाट्सएप के 40 करोड़ उपभोक्ता भारत में हैं। 29 करोड़ से अधिक लोग फेसबुक पर हैं जो विश्व में सबसे अधिक है। यही कारण है कि फेसबुक ने पिछले वर्ष रिलायंस इंडस्ट्रीज में 5.7 बिलियन डॉलर का निवेश किया था। अमेज़न ने भी विस्तार की योजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए 6.5 बिलियन डॉलर का निवेश किया है। गूगल ने जिओ में 4.5 बिलियन डॉलर का निवेश किया है और वह अगले 5 से 7 सालों में भारत में 10 बिलियन डॉलर का निवेश करेगा।

अब इतने भारी निवेश के बाद ऐसा तो संभव नहीं लगता कि ये कंपनियां भारत से अपना बोरिया बिस्तर उठाने का विचार बना रही हैं। भारत 5G टेस्टिंग शुरू करने वाला है, इससे डिजिटलीकरण को और तेजी से आगे ले जाया जाएगा। इसकी संभावना नगण्य है कि इस दौरान अमेरिकी कंपनियां मूकदर्शक बनके बैठी रहेंगी। यह सत्य है कि नए IT रूल मानने का अभी इनका कोई इरादा नहीं है, लेकिन जल्द ही इन्हें भारत सरकार की शर्तों को स्वीकार करना होगा।.

जिस प्रकार ट्विटर और भारत सरकार में तनातनी हुई और टूलकिट प्रकरण में दिल्ली पुलिस ने ट्विटर कार्यालय पर पूछताछ के लिए रेड की, सरकार ने जिस प्रकार ट्विटर के झूठे आरोपों का कड़ा जवाब दिया, उसके बाद यह तय था कि अब कोई भी कंपनी सीधे टकराव से बचना चाहेगी। इसीलिए अब भारत को निवेश न मिलने का डर दिखाया जा रहा है। हालांकि, यह सोचना कोरी कल्पना ही है कि इसका कोई असर वर्तमान सरकार के रवैये पर आएगा।

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