लिबरलों की नई ‘Shero’ और लक्षद्वीप की कथित रक्षक, आयशा सुल्ताना पर राजद्रोह का मामला दर्ज

आयशा सुल्ताना के विरुद्ध दर्ज हुआ देशद्रोह का मुकदमा

आयशा सुल्ताना मुकदमा

लक्षद्वीप के वर्तमान प्रशासक प्रफुल्ल पटेल के विरुद्ध अनर्गल प्रलाप करने के लिए कथित मॉडेल और एक्टिविस्ट आयशा सुल्ताना के विरुद्ध देशद्रोह के अंतर्गत मुकदमा दर्ज किया गया है। गुरुवार को लक्षद्वीप पुलिस ने भाजपा कार्यकर्ता सी अब्दुल कादर हाजी की शिकायत पर IPC की धारा 124 के अंतर्गत मुकदमा दर्ज किया था।

परंतु आयशा सुल्ताना ने ऐसा भी क्या कहा जिसके कारण इतना बवाल खड़ा हो गया? दरअसल मीडिया वन नामक न्यूज चैनल से बातचीत के दौरान आयशा ने कहा, “कोरोना वायरस कुछ नहीं है। मेरे मायने में ये एक बायो वेपन यानि जैविक अस्त्र है, जो लक्षद्वीप की जनता पर छोड़ दिया गया है।”

आयशा सुल्ताना के इस बयान के विरुद्ध सी अब्दुल खादर हाजी के अलावा बीजी विष्णु नामक भाजपा युवा मोर्चा के एक नेता ने मुकदमा दायर किया है। उनके अनुसार, “जब सारे तथ्य सामने है, तब भी लोगों को भ्रमित करने के लिए इस प्रकार से जानबूझकर अफवाहें फैलाना कहाँ तक सही है?”

इससे पहले मलयाली अभिनेता पृथ्वीराज सुकुमारन ने लक्षद्वीप की बड़ी सौम्य सी छवि पेश करने का प्रयास किया था, जो वर्तमान सुधारों से खतरे में पड़ने वाली थी। परंतु उनकी दाल बिल्कुल भी नहीं गली। इसलिए आयशा सुल्ताना ने मोर्चा संभाला और लक्षद्वीप को पीड़ित के तौर पर दिखाना शुरू कर दिया, जिस पर प्रफुल्ल पटेल जैसे बाहरियों ने हमला कर बहुत बड़ा अपराध किया था।

जब इससे भी बात नहीं बनी तो आयशा  ने केंद्र सरकार पर कोरोना नामक बायो वेपन दागने का आरोप लगाया।

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परंतु ऐसा भी क्या हो रहा है लक्षद्वीप में, जिसके कारण केरल के वामपंथी और कट्टरपंथी मुसलमान इतना भड़के हुए हैं? दरअसल लक्षद्वीप के प्रशासक की ओर से उठाए गए विभिन्न कदमों को जनविरोधी करार देते हुए लक्षद्वीप और केरल की विपक्षी पार्टियाँ विरोध कर रहीं हैं।

यही नहीं #SaveLakshadweep (लक्षद्वीप बचाओ) नाम से सोशल मीडिया कैंपेन चलाकर लक्षद्वीप के प्रशासक को वापस भेजे जाने की मांग भी की जा रही है। दरअसल, इस द्वीप के नए प्रशासक कई सुधार करना चाहते हैं, जिससे लक्षद्वीप का कायाकल्प सुनिश्चित हो।

लेकिन इस अभियान के विरोध में कई लोग उतर आए हैं। ऑर्गनाइज़र की रिपोर्ट की मानें, तो इसके लिए प्रफुल्ल पटेल ने हाल ही में कुछ कानूनी सुधार का प्रस्ताव दिये हैं, जो कहीं न कहीं 2019 में कश्मीर प्रांत में हुए सुधारों की याद दिलाता है।

लक्षद्वीप में शराब और ड्रग्स के अंधाधुंध उपयोग को रोकने के लिए प्रफुल्ल पटेल ने बतौर प्रशासक गुंडा एक्ट लागू किया था, जिसके अंतर्गत शराब और ड्रग्स के अवैध सेवन पर ताबड़तोड़ कार्रवाई हुई।

इसके अलावा पर्यटकों को बढ़ावा देने के लिए लक्षद्वीप में जिस Total Prohibition यानि पूर्ण शराबबंदी का फरमान जारी किया था, उसमें भी ढील दी गई थी। यही नहीं प्रफुल्ल पटेल ने प्रदेश में कट्टरपंथी इस्लामी संगठनों द्वारा लगाए गए एंटी-सीएए/एनआरसी पोस्टरों को भी हटवा दिया था।

प्रफुल्ल पटेल का उद्देश्य प्रदेश में बुनियादी ढाँचे और विकास परियोजनाओं को बढ़ावा देना है जिससे पर्यटन क्षमता को भी बढ़ावा मिल सके। कुल मिलाकर लक्षद्वीप को दुनिया के लिए खोला जा रहा है, और यही वहाँ के कट्टरपंथियों को रास नहीं आ रहा है।

इसीलिए तरह तरह के बहानों के जरिए लक्षद्वीप के कायाकल्प के अभियान को पटरी से उतारने का प्रयास किया जा रहा है, जिसमें आयशा सुल्ताना ने हाल ही में वुहान वायरस लक्षद्वीप में फैलाने का ठीकरा केंद्र सरकार पर फोड़ने का प्रयास भी किया है।

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