पंचायत चुनाव के परिणाम यूपी चुनावों में बीजेपी की जीत के संकेत हैं, अभी से अखिलेश का रोना-धोना शुरू हो गया है

इस चुनाव ने ‛टीपू भइया’ के ख्यालों की उड़ान को शुरू होते ही धरातल पर उतार दिया है!

उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव

उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव में टुटा सपा का तिलिस्म

उत्तर प्रदेश जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव का परिणाम घोषित होने के साथ ही अखिलेश यादव का तिलिस्म टूटने लगा। अभी 17 सीट पर ही परिणाम घोषित हुए हैं, जबकि शेष पर 3 जुलाई को वोटिंग और काउंटिंग होगी। किन्तु जिन 17 सीट पर निर्णय आया है इसमें से 16 पर भाजपा और 1 पर समाजवादी पार्टी को जीत मिली है। इसमें से 13 जिलों में भाजपा के प्रत्याशी निर्विरोध जीते हैं। यह परिणाम इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इसने ‛टीपू भइया’ के ख्यालों की उड़ान को शुरू होते ही धरातल पर उतार दिया है।

दरअसल, उत्तर प्रदेश त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के दौरान कुल 3050 जिला पंचायत सदस्य चुने गए थे। सपा के 747, बीजेपी के 666, बीएसपी के 322, कांग्रेस के 77, आम आदमी पार्टी के 64 और 1174 निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव जीते थे। सपा के ज्यादा प्रत्याशी जीते इसलिए सपा को लगने लगा कि भाजपा की स्थिति कमजोर हो रही है। सपा ने अभियान चलाकर प्रचार करना शुरू कर दिया कि योगी सरकार का जनाधार सिकुड़ रहा है, लेकिन भाजपा ने जिस प्रकार वापसी की है उसने सपा के साथ ही कई विशेषज्ञों और कथित ‛निष्पक्ष पत्रकारों’ की नींद उड़ा दी होगी। अब इस चुनाव के बाद स्पष्ट हो गया है कि आज भी भाजपा प्रदेश की सबसे बड़ी पार्टी है।

बीजेपी के लिए परिणाम उत्साहजनक है

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार समाजवादी पार्टी पंचायत चुनाव को 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव के पूर्व सेमीफाइनल जैसा ले रही थी। उसे उम्मीद थी कि उसका शानदार प्रदर्शन ग्रामीण क्षेत्रों में उसकी पकड़ मजबूत करेगा और भाजपा पर मनोवैज्ञानिक दबाव भी बढ़ेगा। लेकिन अब सपा ही दबाव में आ गई है, इसी वजह से उसने तत्काल प्रभाव से अपने 11 जिलाध्यक्षों को बर्खास्त किया है। अब सपा बेबुनियाद आरोप लगा रही है कि उसके 12 प्रत्याशियों को नामांकन पत्र नहीं भरने दिया गया।

महत्वपूर्ण बात यह भी रही कि किसान आंदोलन के बाद भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा का ही बोलबाला रहा। आगरा, मुरादाबाद, अमरोहा सभी महत्वपूर्ण जिले में भाजपा प्रत्याशी जीते हैं। यह स्थिति तब है जब किसान आंदोलन चल रहा है। साफ है कि किसानों के नाम पर जो उपद्रवी दिल्ली घेरकर बैठे हैं और धारा 370 वापस लागू करने से लेकर अन्य इसी प्रकार की उटपटांग बात कर रहे हैं, उनकी ग्रामीण स्तर पर पकड़ नहीं है। अपने आंदोलन को आजादी की दूसरी लड़ाई दिखाने वाले टिकैत एंड गैंग तथा उनके विरोध को देखकर उत्साहित होने वाली लुटियन्स मीडिया को इन चुनावों में जवाब मिल गया है।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि भाजपा ने पंचायत चुनाव में पूरी जान झोंक दी थी और उसे जबरदस्त जीत मिल रही है। आगामी विधानसभा चुनाव के पहले यह जीत कार्यकर्ताओं का मोनबल बढ़ाने वाली है। उत्तर प्रदेश में 90 हजार से अधिक गाँव हैं और इन तक विकास निर्बाध रूप में पहुँचे उसके लिए भी भाजपा की जीत बहुत आवश्यक थी।

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