लक्षद्वीप का मुद्दा अब हर रोज नया तुल पकड़ रहा है। अभी तक तो इस मुद्दे पर केरल से लेकर दिल्ली तक के राजनेताओं ने राजनीति की है पर अब यह मुद्दा खाड़ी के देशों में भी चर्चा के लिए जगह बना रहा है।
दरअसल, बात यह है कि कतर स्थित एक इत्र निर्माता ने अपने नए उत्पाद का नाम ‘लक्षद्वीप‘ रखा है। यह द्वीप में चल रहे है विरोध प्रदर्शन के समर्थन में है। बता दें कि लक्षद्वीप इत्र, मलयालियों के स्वामित्व वाली कंपनी रब्बानी का उत्पाद है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में रब्बानी ने परफ्यूम के पांच वेरिएंट उतारे हैं। छठा संस्करण होगा ‘लक्षद्वीप’।
आपको बता दें कि यह कोई मामूली विरोध प्रदर्शन नहीं है। यह एक सोची समझी साजिश के तहत किया जा रहा है। वो ऐसे कि केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन समेत अन्य केरल के नेताओं ने लक्षद्वीप के लोगों के लिए हमदर्दी व एकजुटता प्रदर्शन किया है। उनका तर्क यह है कि, मलयाली और लक्षद्वीप के लोग पारंपरिक तौर पर एक दुसरे से जुड़े हुए है। आपको बता दें कि इस तर्क का सिर्फ एक ही आधार है- मुस्लिम समुदाय। चूंकी लक्षद्वीप एक मुस्लिम बहुल प्रदेश है और केरल में भी मुस्लिमों का रौब है।
साथ ही में केरल के मुस्लिमों का खाड़ी के देशों में भी अच्छा प्रभाव है। तो आप यूं समझे कि केरल के मुसलमान अपने विदेशी प्रभाव का इस्तेमाल लक्षद्वीप में चल रहे विरोध प्रदर्शन में कर रहे है।
नज़र मलिक, एक संगीतकार और ‘रब्बानी’ के भागीदारों में से एक है, उन्होंने कहा कि, “द्वीपों के विरोध के अन्य तरीकों को समय के साथ भुला दिया जा सकता है। लेकिन ‘लक्षद्वीप’ इत्र एकजुटता व्यक्त करने का एक अनूठा तरीका है और यह अमर रहेगा।” नजर मालिक के शब्दों के पीछे की मतलब को अगर समझे तो वो यह कहना चाहते है कि इस मुहिम को बाकी से मुस्लिम देशों में बल मिलेगा और यह प्रतिरोध चलता ही रहेगा।
बहरहाल, लक्षद्वीप में विरोध प्रदर्शन को तेज करने के लिए और दुनिया भर के मुस्लिमों को इससे जोड़ने का यह पहला प्रयास नहीं है। इससे पहले Ndtv की पूर्व पत्रकार निधि राजदान ने 30 मई को गल्फ न्यूज में अपनी एक लेख लिखा था। जिसका शीर्षक है “First Kashmir, now Lakshadweep: BJP targets another Muslim majority region“ इस लेख का सिर्फ एक ही मकसद है गल्फ देशों और बाकी के देशों के मुसलमानों को लक्षद्वीप में चल रहे विरोध प्रदर्शन को इस्लामिस्ट रंग देना ताकि प्रतिरोध को बल मिल सके।
ऐसा ही एक प्रयोग भारत विरोधी अखबार “द टेलीग्राफ” ने भी किया है। हाल ही में द टेलीग्राफ में एक खबर छपी थी, जिसमें दावा किया कि लक्षद्वीप प्रशासन ने फुटपाथ पर लगे पेड़ों को भगवा रंग से रंग दिया है। मुस्लिम बहुल क्षेत्र में इसे ‘संघ परिवार’ का एजेंडा बताते हुए, द टेलीग्राफ ने लिखा कि पेड़ों पर भगवा रंग का मतलब है लक्षद्वीप को ‘एक और कश्मीर’ में बदलने की कोशिश की जा रही है।
आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि पेड़ को रंगने का कारण है, दीमक और अन्य कीड़ों को पेड़ से दूर रखा जा सके।
ऊपर लिखे गए सारे गतिविधि पर अगर हम नजर डाले तो, एक चीज साफ समझ में आता है कि भारत विरोधी तत्व एक फिर से भारत में अशांति फैलाने की साजिश रच रहे है। इस बार उनका प्रोपेगेंडा का मकसद दुनियाभर के मुस्लिमों को लक्षद्वीप मुद्दे से जोड़ने का है। ऐसे में हम उम्मीद करते है कि भारत सरकार ऐसी हर गतिविधि को संज्ञान में ले और समझदारी से कार्रवाई करें।