आम चुनावों में 3 साल पड़े हैं, शरद पवार अभी से विपक्ष का लचर गठबंधन बनाने में जुटे

शरद पवार 'बहुत कठिन है डगर पनघट की'!

पीएम मोदी के खिलाफ शरद पवार

शरद पवार, पीएम मोदी के खिलाफ खड़े होने की प्लानिंग करने लगे हैं

मोदी सरकार के सामने मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस जिस तरह से फेल साबित हुई है, उससे देश की अन्य विपक्षी पार्टियों को मोदी सरकार के खिलाफ एकजुट होने का मौका मिल गया है। ऐसे में एनसीपी प्रमुख और पूर्व केन्द्रीय मंत्री शरद पवार पीएम मोदी के खिलाफ 2024 के लिए एक नया मोर्चा खड़ा करने की कोशिशों में जुट गए हैं। दिलचस्प बात ये है कि ये सभी क्षेत्रीय दलों के नेता हैं जिनका अस्तित्व लगभग खत्म ही हो गया है। ऐसे में शरद पवार उन सभी लोगों को अपने साथ लाने की कोशिश कर रहे हैं जो कि कांग्रेस से नाराज हैं या उनके कारण उन्हें नुकसान हुआ है। इन सभी असफल विपक्षी दलों का साथ लेकर शरद पवार पीएम मोदी के खिलाफ खड़े होने की प्लानिंग करने लगे हैं, जिस संबंध में उन्होंने विपक्षी नेताओं की बैठक भी बुलाई थी।

दिल्ली में शरद पवार के घर पर करीब ढाई घंटे तक विपक्षी दलों की बैठक हुई। इस बैठक में एनसीपी, टीएमसी, नेशनल कांफ्रेंस, आम आदमी पार्टी, आरजेडी, समाजवादी पार्टी, सीपीआई, सीपीएम, आरएलडी जैसे दलों के नेता शामिल हुए। इसमें कोई शक नहीं है कि शरद पवार पीएम मोदी के खिलाफ कांग्रेस को किनारे कर विपक्षी दलों का नेतृत्व करने की तैयारी कर रहे हैं। वहीं इस बैठक के बाद एनसीपी नेता माजिद मेमन ने कहा कि ये बीजेपी और पीएम मोदी के खिलाफ तैयारी के उद्देश्य से बैठक नहीं बुलाई गई थी, बल्कि इस बैठक का आयोजन तो टीएमसी नेता यशवंत सिन्हा के कहने पर किया गया था।

और पढ़ें- 2024 के चुनाव पर NCP की नज़र, NCP महागठबंधन के नेतृत्व को लेकर कांग्रेस को चुनौती दे रही है

माजिद मेमन ने कहा कि “ये कहना गलत होगा कि एनसीपी पीएम मोदी के खिलाफ कांग्रेस को किनारे कर एक नया मोर्चा बनाने की तैयारी कर रही है। एनसीपी कांग्रेस के खिलाफ लोकसभा चुनाव 2024 से पहले किसी भी तरह का बगावत नहीं दिखाना चाहती है। संभवतः इस मामले में कांग्रेस को लेकर सफाई भी दी गई है, लेकिन एनसीपी प्रमुख शरद पवार के घर पर मीटिंग होना और मीटिंग में शामिल दलों को ‘राष्ट्रीय मंच’ कहकर एक विशेष नाम देना ही जाहिर कर रहा है कि पवार पीएम मोदी के खिलाफ 2024 के लिए अभी से प्लानिंग कर चुके हैं।

शरद पवार कैसे मोदी के विरुद्ध ताल ठोकेंगे?

दिलचस्प बात ये है कि जो लोग शरद पवार की इस बैठक में शामिल हुए, उनके राजनीतिक पहलुओं पर नजर डालें तो इस राष्ट्रीय मंच की कमजोरी सामने आती है। टीएमसी का बंगाल के बाहर कोई अस्तित्व नहीं है। वहीं आम आदमी पार्टी कोरोनावायरस के बाद पूर्णतः हाशिए पर चली गई हैं। समाजवादी पार्टी की सबसे बड़ी चुनौती 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में अच्छे प्रदर्शन की है। वहीं वाम दल, सीपीएम और सीपीआई बंगाल से सिमट कर अब बस केरल में सीमित हो गई है। ऐसे में सवाल ये है कि शरद पवार जैसे मंझे राजनेता इन हारे हुए राजनीतिक प्यादों के दम पर कैसे मोदी के खिलाफ ताल ठोकेंगे?

और पढ़ें- राहुल नहीं शरद पवार बन सकते हैं यूपीए अध्यक्ष, फिर से प्रधानमंत्री बनने के सपनों को लगे पंख

शरद पवार के लिए सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि कांग्रेस की सहमति के बिना वो पीएम मोदी के खिलाफ विपक्षी दलों का अकेले नेतृत्व करने में नाकामयाब हो सकते हैं, इसलिए वो कांग्रेस को नाराज नहीं करना चाहते और इसी कारण इस बैठक को औपचारिक ही बता दिया गया है। एक वजह ये भी है कि इस बैठक में टीडीपी, टीआरएस और महाराष्ट्र में एनसीपी के साथी शिवसेना भी शामिल नहीं हुई है। ये सभी क्षेत्रीय दल समय के अनुसार अपना मत तय करते हैं। यही कारण है कि शरद पवार ने पीएम मोदी के खिलाफ खड़े होने के लिए छोटे-छोटे दलों का साथ तो लेना शुरू कर दिया है, लेकिन अभी लोकसभा चुनाव में तीन साल का वक्त है। ऐसे में शरद पवार की कोशिशों को लेकर ये कहा जा सकता है कि ‘बहुत कठिन है डगर पनघट की’

Exit mobile version