महाराष्ट्र में आदिवासी महिला ने लौटाया राष्ट्रीय पुरस्कार, उद्धव सरकार की विफलता के विरुद्ध उठाया कदम

खाने को दाने नहीं है, Award का क्या करें?

आज की स्थिति में अगर कोई राज्य सबसे लचर प्रदर्शन कर रहा है तो वो केवल महाराष्ट्र ही है, जहां महाविकास अघाड़ी सरकार लगातार अपनी राजनीतिक नौटंकियों और वसूली कांडों में व्यस्त है। वहीं इन सबसे इतर राज्य कोरोनावायरस के अलावा अनेक परेशानियों से जूझ रहा है। इसी बीच अब राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार से सम्मानित एक आदिवासी युवती ने अपना पुरस्कार लौटते हुए महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार को जोरदार सांकेतिक तमाचा जड़ा है।

महिला का आरोप है कि उनके समाज के लोगों को सरकार द्वारा दिया जाने वाला राशन नहीं मिल रहा है जो कि सरकार की नाकामी का सबूत है।

महाराष्ट्र में अराजकता की स्थितियों के बीच ठाणे जिले की युवती ने उद्धव ठाकरे सरकार को झटका देते हुए उसकी विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। आदिवासी युवती का नाम हाली रघुनाथ है। इन्होंने अपना राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार इसलिए लौटा दिया क्योंकि उनके परिवार को जन वितरण प्रणाली की दुकानों से राशन नहीं मिल रहा है, जो उनके लिए मुश्किलों का सबब बन गया है।

महिला ने आरोप लगाया है कि शाहपुर ज़िले के करीब 400 परिवार राशन से वंचित है। गौरतलब है कि युवती को 2013 में मनमोहन सरकार के दौरान अपनी बहन को तेंदुए से बचाने के लिए राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार दिया गया था।

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युवती ने इस मामले में आरोप लगाया है कि राशन के संबंध में उसके परिवार के लोगों का नाम ऑनलाइन दर्ज नहीं है इसीलिए किसी को भी राशन नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने अपने पुरुस्कार की वापसी को लेकर कहा कि वो पुरुस्कार वापसी केवल इसलिए कर रही हैं क्योंकि उन्हेंं और उनसे जुड़े लोगों को इस पुरस्कार के मिलने से कोई लाभ नहीं हुआ है।

हाली का कहना है कि उनकी तहसील में करीब 400 आदिवासी परिवार इसी परेशानी से जूझ रहे हैं।

सरकारी अफसरशाही और नाकामी से तंग आकर हाली द्वारा वापस दिया गया पुरुस्कार, महाराष्ट्र सरकार के लिए किसी कालिख से कम नहीं है। महाराष्ट्र सरकार द्वारा लगातार आदिवासियों के लिए अनेकों स्कीम लागू करने की बात कहीं जा रही हैं, लेकिन जमीनी हकीकत इस युवती ने सबके सामने रख दी है। उसने अपने इस कृत्य से महाराष्ट्र की सरकार और अधिकारियों दोनोें पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं।

वहीं इस मुद्दे पर उद्धव सरकार कुछ कुतर्क भी नहीं कर सकती है क्योंकि ये किसी विपक्षी का नहीं बल्कि राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित एक पीड़ित युवती का आक्रोश है जो कि महाराष्ट्र सरकार के लिए चुल्लू भर पानी में डूब मरने वाली बात है।

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