ट्विटर इंडिया ने भारत सरकार के कहने पर कैनेडियन गायक Jazzy B का ट्विटर अकाउंट सस्पेंड कर दिया है। Jazzy B अपने ट्विटर अकाउंट से लगातार तथाकथित किसान आंदोलन को हिंसक करने तथा आतंकी भिंडरावाले के पक्ष में अभियान चलाने का काम कर रहा था। ट्विटर ने भारत में उसके अकाउंट की Reach खत्म कर दी है, इसका मतलब भारत के बाहर उसके अकाउंट को देखा जा सकेगा लेकिन भारत में नहीं।
इसके अलावा तीन और लोगों के अकाउंट पर भी कार्रवाई हुई है। ट्विटर का कहना है कि वह उचित कारण उपलब्ध करवाने पर सरकारी एजेंसियों से सहयोग करने को तैयार है। अपने बयान में ट्विटर इंडिया ने कहा है कि “यदि हमें आधिकारिक संस्थाओं की ओर से वैध और पूर्णतः उचित निवेदन प्राप्त होता है, तो हमारे लिए यह आवश्यक हो जाता है कि हम किसी देश में कुछ चुनिंदा सामग्री (ट्विटर पोस्ट) समय-समय पर हटाएं। यह रोक वैध कानूनी मांग के अनुसार, कुछ विशेष प्रावधानों के तहत सीमित होगी अथवा तब लागू होगी जब ट्विटर पोस्ट स्थानीय कानूनों का उल्लंघन करती पाई जाएगी।”
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ट्विटर ने अपने बयान में एक प्रकार से यह सफाई दी है कि वह सरकार के दबाव में काम नहीं कर रही है। ट्विटर भारत सरकार के सामने झुक रहा है लेकिन वह यह स्वीकार करने से भाग रहा है। किन्तु अब जब सरकार ने कड़ा रुख अपनाया है और ट्विटर को भारतीय बाजार खोने का भय सता रहा है तो वह सरकार के अनुसार चलने को तैयार हो गया है। लेकिन, वह यह नहीं चाहता कि कल तक जिन वामपंथी-उदारवादी धडे के लोगों ने उसे क्रांतिकारी संस्था बना कर उसकी वाहवाही की थी, वह उसकी आलोचना शुरू कर दे। इसलिए ट्विटर ने अपनी सफाई देते समय यह ध्यान रखा है कि ऐसा न लगे कि वह सरकार की कार्रवाई से डर रहा है।
लेकिन वास्तविकता यह है कि यही ट्विटर कल तक सरकार के कहने पर भी, ऐसे लोगों पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा था, जो अपने अकाउंट से लगातार भारत विरोधी अभियान चला रहे थे। और आज यही ट्विटर Jazzy B जैसे लोगों पर कारर्वाई करने के सरकार के अनुरोध को वैध कह रहा है। साफ है कि सरकार ने ट्विटर इंडिया को उसकी हद का दायरा समझा दिया है।
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यह बदलाव एक अच्छा संकेत है क्योंकि टूलकिट प्रकरण के बाद यह बात खुलकर सामने आ गई है कि देश में आंतरिक शांति बनाए रखने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफार्म की निगरानी आवश्यक हो चुकी है। CAA विरोधी आंदोलन हो या 26 जनवरी की हिंसा हो अथवा कोरोना की दूसरी लहर में सरकार को और देश को बदनाम करने के लिए चलाया अभियान, इन सब के लिए सोशल मीडिया का व्यापक पैमाने पर इस्तेमाल हुआ है। CAA विरोधी उपद्रव, पूर्णतः अफवाह की देन था और अफवाह को फैलाने में सोशल मीडिया प्लेटफार्म का इस्तेमाल हुआ था।
किसान आंदोलन को अंतरराष्ट्रीय समर्थन दिलवाने, भारत के आंतरिक मामले में प्रत्यक्ष हस्तक्षेप करने के लिए और किसान आंदोलन के प्रति सरकार के रवैये को तानाशाहीपूर्ण दिखाने के लिए सोशल मीडिया का ही इस्तेमाल हुआ। बाद में टूलकिट सामने आने पर यह सच्चाई पता चली की 26 जनवरी की हिंसा प्रायोजित थी और षड्यंत्रकारियों की योजना यह थी कि हिंसा को इतना बढ़ाया जाए जिससे पुलिस गोली चलाने पर मजबूर हो जाए, जिसके बाद होने वाली मौतों का इस्तेमाल सरकार को तानाशाह दिखाने में हो सके। हालांकि, उस समय दिल्ली पुलिस के धैर्य के कारण पूरी योजना धरी की धरी रह गई।
https://twitter.com/tfipost/status/1399286503382011904?s=19
इसके बाद कोरोना की दूसरी लहर के दौरान भी कुम्भ एवं भाजपा की रैलियों, विशेष रूप से प्रधानमंत्री मोदी, गृहमंत्री अमित और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की रैलियों को निशाना बनाकर, उन्हें बदनाम करने के लिए भी सोशल मीडिया पर योजनाबद्ध अभियान चलाया गया। ऐसे में सोशल मीडिया को नियंत्रित करना सबसे पहली प्राथमिकता बन गई है और अब यह लग रहा है कि सरकार की सख्ती का असर दिख रहा है।