Covid के समय में भी विदेशी मीडिया का भारत के खिलाफ प्रोपोगेन्डा जारी है। इसी बीच The Economist ने अपने एक लेख के जरीये भारत द्वारा जारी किये जा रहे मौत के आंकड़ों पर सवाल उठाया था। साथ ही यह दावा किया कि भारत में Covid से हुई मौत के आंकडे 6 गुना अधिक हो सकते हैं। अब केंद्र सरकार ने The Economist के दावों की धज्जियाँ उड़ाई हैं। सरकार ने कहा कि यह आकलन महामारी विज्ञान संबंधी सबूतों के बिना महज कयासों पर आधारित है और मैगजीन ने जिस स्टडी का इस्तेमाल किया है वह भी भ्रामक है।
दरअसल, The Economist ने एक लेख में दावा किया गया था कि भारत में Covid संक्रमण से मरने वालों की संख्या आधिकारिक आंकड़ों से 6 गुना तक ज्यादा है।
पत्रिका मैगजीन ने जिस तथाकथित “Evidence” की बात की है वह वर्जीनिया कॉमनवेल्थ यूनिवर्सिटी के क्रिस्टोफर लाफ़लर द्वारा किया गया एक स्टडी है।
लेख में, रिसर्च के आधार पर दावा किया गया है कि Excess mortality rates के आधार पर, 2021 के पहले 19 हफ्तों के दौरान छह भारतीय क्षेत्रों में Covid से संबंधित मृत्यु दर प्रति 100,000 पर 131.5 से 181.8 थी।
मैगजीन के दावों पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने लताड़ लगायी है। मंत्रालय ने कहा है कि मैगजीन का लेख अनुमानों पर निर्भर हैं तथ्यों पर नहीं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्पष्ट कहा है कि, ‘मैगजीन में जिस अध्ययन का इस्तेमाल मौतों का अनुमान लगाने के लिए किया गया है, वह किसी भी देश या क्षेत्र के मृत्युदर का पता लगाने के लिए वैध तरीका नहीं है।‘ इसके साथ ही मंत्रालय ने कई कारण गिनाए जिनकी वजह से जिस अध्ययन का इस्तेमाल प्रकाशक द्वारा किया गया उस पर विश्वास नहीं किया जा सकता है।
A renowned international magazine in an article speculated that India suffered perhaps 5-7 times excess deaths than official COVID-19 deaths. Studies used by magazine as estimate of excess mortality aren't validated tools to determine mortality rate of a country/region:Health Min
— The Times Of India (@timesofindia) June 12, 2021
मंत्रालय ने ‘द इकॉनमिस्ट’ में प्रकाशित लेख पर कहा कि, “ये अनुमान गलत एनालिसिस और महामारी विज्ञान से जुड़े सबूतों यानी Epidemiological Evidence के बिना केवल आंकड़ों के आकलन पर आधारित है।”
मंत्रालय ने कहा कि, “देश में Covid से होने वाली मौतों का अनुमान लगाने के लिए मैगजीन में जिस स्टडी का इस्तेमाल किया गया है, वह किसी भी देश या क्षेत्र की मृत्युदर (Death Rate) का पता लगाने के लिए मान्य तरीका नहीं है, इसलिए इस पर भरोसा नहीं किया जा सकता।”
It is a speculative article, which is without any basis and seems to be misinformed. The unsound analysis of the said article is based on the extrapolation of data without any epidemiological evidence: Health Ministry
— The Times Of India (@timesofindia) June 12, 2021
बता दें कि मैगजीन ने जिस तथाकथित “Evidence” की बात की है वह वर्जीनिया कॉमनवेल्थ यूनिवर्सिटी के क्रिस्टोफर लाफ़लर द्वारा किया गया एक स्टडी है। इस पर मंत्रालय ने स्पष्ट कहा कि, “वैज्ञानिक डाटाबेस जैसे पबमेड, रिसर्च गेट आदि में इंटरनेट पर इस रिसर्च पेपर की तलाश की गई, परन्तु वहां उन्हें कुछ नहीं मिला। यह स्टडी किस आधार पर की गयी है उन तरीकों की जानकारी भी पत्रिका ने नहीं दिया है”
मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि, “मैगजीन में एक और सबूत दिया गया है कि ये स्टडी तेलंगाना में बीमा दावों के आधार पर की गई, लेकिन इस तरह के अध्ययन पर कोई Peer Review वैज्ञानिक डेटा उपलब्ध नहीं है।‘
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स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया है कि, ‘The Economist की रिपोर्ट में दो और रिपोर्टों को आधार बनाया गया है। हैरानी की बात यह है कि इन रिपोर्ट्स को Election Analysis करने वाली संस्थाओं जैसे ‘प्राशनम’ और ‘सी वोटर’ ने तैयार किया है। इस पर मंत्रालय ने कहा कि इन संस्थाओं ने कभी भी पब्लिक हेल्थ रिसर्च से जुड़े नहीं है। चुनाव नतीजों का अनुमान लगाने के लिए भी उनके तरीके कई बार सटीक नहीं रहे और गलत साबित हो चुके हैं।”
मंत्रालय ने कहा कि, ‘सरकार Covid आंकड़ों के प्रबंधन के मामले में पारदर्शी है। मौतों की संख्या में inconsistency से बचने के लिए ICMR ने WHO द्वारा जारी की गयी ICD-10 codes के अनुरूप ही मई, 2020 में दिशानिर्देश जारी किए थे। कुछ सप्ताह पहले NYT ने भी इसी तरह के भ्रामक दावे किये थे।