पश्चिम बंगाल पुलिस भर्ती के परिणाम आ चुके हैं और OBC मेरिट सूची में 96% मुस्लिम हैं

ममता तो तुष्टिकरण से बाज ही नहीं आती हैं

ममता बनर्जी

ममता बनर्जी

जिनके जरिए सत्ता का सुख मिल रहा है, उन्हें लाभ पहुंचाना एक आम बात हैं, क्योंकि वहीं लोग पुनः5 साल बाद सत्ता तक ले जाएंगे और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ये बात अच्छे से जानती हैं। ममता की सत्ता का रास्ता आसान करने में मुस्लिम वोटों का अहम रोल रहा है।

ऐसे में ममता उनके तुष्टिकरण से बाज नहीं आती हैं, जिसका एक ताजा उदाहरण बंगाल पुलिस की भर्ती से सामने आया है। इसमें OBC-A ग्रेड की भर्ती के लिए लगभग 96 प्रतिशत मुस्लिम समाज के लोगों का ही चयन हुआ, जो कि कुछ अहम सवाल खड़े करता है, कि क्या इसमें भी ममता का मुस्लिम तुष्टिकरण कार्ड ही जिम्मेदार है।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का मुस्लिमों के प्रति प्रेम और उसके जरिए राजनीतिक लाभ लेने की मंशा अब किसी से छिपी नहीं है। अब ऐसा लगता है कि राज्य में कोई भी काम शुरू होता है, तो पहले ही मुस्लिम समाज पर पड़ने वाले उसके असर क आंकलन कर लिया जाता है। ताजा मामला ओबीसी ए ग्रेड के पुलिस कॉन्स्टेबल की भर्ती से जुड़ा है। इसकी भर्ती के नतीजों में सामने आया है कि करीब 96 प्रतिशत मुस्लिम समाज के लोग हैं।

They दिलचस्प बात ये है कि ओबीसी ए ग्रेड की श्रेणी में 80 समूह हैं जिनमें से 72 मुस्लिम ग्रुप हैं। इसी तरह ओबीसी श्रेणी के 170 समूहों में 112 समूह मुस्लिम समाज के ही हैं।

इसको लेकर बंगाल पुलिस की भर्ती पर सवाल खड़े हो रहे हैं। सोशल मीडिया पर ये चर्चा का विषय बना हुआ है। ऐसा पहली बार नहीं है कि बंगाल की कोई भर्ती चर्चा में आई है। इससे पहले साल 2019 के दौरान भी कुछ ऐसा ही हुआ था।

उसमें मुख्य तौर पर मुस्लिम समाज के लोगों को ही भर्ती किया जा रहा था, ये लैब टेक्नीशियन की भर्ती से जुड़ा मामला था, और कुछ ऐसा ही अब पुलिस भर्ती के साथ भी हुआ है, जहां केवल दो लोगों को छोड़ दें तो सभी लोग मुस्लिम समाज से ही संबंधित हैं।

बंगाल में मुस्लिमों के प्रतिनिधित्व को लेकर लगातार चर्चाएं रहती हैं। 27 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम जनसंख्या वाले राज्य में अब ममता सरकार मुस्लिमों की भर्ती पर अधिक बल देती हैं। बंगाल में आए दिन राजनीतिक हिंसा का तांडव होता रहता है। ऐसे में ममता की मेहरबानी से बनने वाले अफसरों की संख्या अधिक होगी तो लाजमी है कि हिंसा कंट्रोल होने की जगह बढ़ेगी और ममता के सहयोगियों को प्रशासनिक संरक्षण मिलेगा।

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छोड़ने को कहा इतना ही नहीं इस कदम से ये भी सामने आ रहा है कि ममता को वोट देने के बदले एक विशेष वर्ग के लोग उनके जरिए धीरे-धीरे राज्य के प्रशासनिक और कानूनी ढांचे पर अपनी पकड़ मजबूत कर अपना एक छत्र राज बना रहे हैं। इसके जरिए भविष्य में प्रशासन का रवैया एक तरफा हो सकता है जो कि एक बेहद घातक स्थिति हो सकती है।

इन सभी मुद्दों के केन्द्र में केवल मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ही हैं, जो अपनी मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति के चलते आए दिन कोई ऐसा कदम उठाती हैं जो कि विवादित तो होता है, लेकिन उसमें तुष्टिकरण छिपा होता है।

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