प्रधानमंत्री बनने के अरमान देखने वाली ममता बनर्जी ने दिया कश्मीर के अलगाववादियों को खुला समर्थन

ममता बनर्जी ने शुरू की जम्मू-कश्मीर पर राजनीति!

ममता बनर्जी हिन्दी दिवस ट्वीट

Lokmat News Hindi

देश के राजनीतिक दलों की स्थिति कुछ ऐसी है कि ये सभी मोदी सरकार के विरोध के लिए किसी भी राष्ट्रहित के मुद्दों पर विरोध करेंगे, और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस मुद्दे पर महारत हासिल कर चुकीं हैं। ममता अब जम्मू-कश्मीर के राष्ट्रीय मुद्दे पर भी मोदी सरकार के फैसलों का विरोध कर अनुच्छेद 370 की बहाली और जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग करने लगीं हैं। ममता बनर्जी ने अपने इस बयान के साथ साबित कर दिया है कि वो खुद पीएम बनने के सपने देख रही हैं, इसलिए राष्ट्रीय राजनीति के मुद्दे पर बयान देने लगी हैं, लेकिन उनकी भाषा किसी अलगाववादी नेता से कम नहीं है।

जम्मू-कश्मीर को लेकर केन्द्र की मोदी सरकार अनुच्छेद 370 हटाने के दो साल बाद कुछ बड़े फैसले लेने की तैयारी कर चुकी है। इस संबंध में मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर के नेताओं की सर्वदलीय बैठक भी की थी। ऐसे में कोई राष्ट्रीय मुद्दा उछले और पीएम बनने का सपना संजोए बैठीं बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी न बोलें, ये असंभव है। लिहाजा ममता बनर्जी ने केन्द्र सरकार पर हमला करना शुरू कर दिया और कहा है कि “जम्मू-कश्मीर से 370 का हटना और पूर्ण राज्य का दर्जा खत्म करना केन्द्र सरकार की गलती थी, इसे तुरंत बहाल किया जाना चाहिए।”

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ममता बनर्जी ने अनुच्छेद-370 के मुद्दे के संबंध में केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, “क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जम्मू-कश्मीर के लोगों को बुलाकर कश्मीर पर मीटिंग कर रहे हैं। राज्य का दर्जा वापस लिए जाने की क्या जरूरत थी। लोगों को पहले आजादी चाहिए। आपने आजादी छीन ली। ये फैसला देश के किसी काम नहीं आया और दो साल तक जम्मू-कश्मीर में कोई टूरिस्ट भी नहीं जा पाया है। देश की बहुत बदनामी हुई हैं।” ममता बनर्जी ने सवाल उठाया कि आखिर मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा क्यों छीना? ममता की मांग है कि जल्द से जल्द जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा वापस दिया जाए।

ममता बनर्जी ने इस दौरान कोरोना काल में सरकार के कामकाज, वैक्सीनेशन और गंगा में बहतें शवों का मुद्दा भी उठाया। एंटी नेशनल बोलने के मुद्दे पर ममता ने कहा, “भाजपा हर किसी को एंटी नेशनल बोलती है और खुद को ही नेशनलिस्ट बताती है। जो भी आवाज उठाने की कोशिश करता है, उसे एंटी नेशनल और टेररिस्ट घोषित कर देती है। जो लोग देश के लोगों को एक वैक्सीन भी नहीं दे सकते हैं, लाशें गंगा में बहती रहती हैं, उनका रिकॉर्ड भी मिटा देते हैं, वो इतनी बड़ी-बड़ी बातें कैसे करते हैं?”

गौरतलब है कि ममता बनर्जी के अलावा देश के किसी भी अन्य मुख्यमंत्री ने जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर ममता की तरह बयान नहीं दिए हैं, जबकि ममता बंगाल में बीजेपी के राजनीतिक हमलों के बावजूद अब राष्ट्रीय मुद्दों पर भी पीएम मोदी पर हमला बोल रही हैं। तीन बार बंगाल का चुनाव जीतने के बाद अब ममता के मन में प्रधानमंत्री पद की महत्वाकांक्षाओं ने जन्म ले लिया है। यही कारण है कि वो अब कोरोना काल से लेकर वैक्सीनेशन और जम्मू-कश्मीर जैसे राष्ट्रीय मुद्दों पर अपनी राय रख रही हैं।

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ममता बनर्जी की दिक्कत ये है कि बंगाल में स्वयं वो तुष्टिकरण के दम पर चुनाव जीती हैं और तुष्टिकरण के इसी एजेंडे के तहत वो राष्ट्रीय राजनीति भी करना चाहती हैं, लेकिन इसमें उनको कुछ खास लाभ नहीं होने वाला है। जम्मू-कश्मीर के संबंध में अनुच्छेद-370 के हटने का विरोध कर ममता ने अपने लिए ही मुसीबत मोल ले ली है, क्योंकि ममता की भाषा, जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी नेत्री महबूबा मुफ्ती से मिलनी लगी हैं, जो कि अलगाववाद के साथ ही पाकिस्तान के लिए भी बयानबाजी कर रही हैं।

राष्ट्रीय राजनीति की महत्वाकांक्षा पाले बैठी ममता के जम्मू-कश्मीर संबंधित बयानों ने ये साबित कर दिया है, कि उनकी सोच अलगाववादी नेताओं से मिलती-जुलती है और ममता का यही रवैया उनके लिए मुसीबत बन सकता है

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