तेलंगाना की राजनीति में उस वक्त बड़ा भूचाल आया जब मुख्यमंत्री KCR ने अपने सबसे विश्वसनीय सहयोगियों में एक पूर्व स्वास्थ मंत्री ईटेला राजेंद्र को मंत्रिमंडल से बाहर निकाल दिया। यह एक अप्रत्याशित निर्णय था। अब राजेंद्र ने भी पार्टी से इस्तीफा देकर KCR के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया है।
KCR और ईटेला राजेंद्र में टकराव पिछले 3 वर्षों से बढ़ता जा रहा था, लेकिन राजेंद्र के राजनीतिक कद और पार्टी में उनके योगदान के कारण KCR उनकी नाराजगी पर खुलकर कुछ नहीं कहते थे, किन्तु पिछले महीने ईटेला राजेंद्र पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप ने KCR को मौका दे दिया और उन्होंने बड़ी कार्रवाई करते हुए तुरंत उन्हें मंत्रीपद से बर्खास्त कर दिया। इसके बाद 4 IAS अधिकारियों की कमेटी बनाकर उनके विरुद्ध जांच बैठा दी गई।
हालांकि, देखने में एक आदर्श फैसला लगता है, लेकिन भारतीय राजनीति को समझने वाला कोई भी व्यक्ति यह जानता है कि KCR का यह निर्णय आदर्श प्रस्तुत करने के लिए कम और ईटेला राजेंद्र से पीछा छुड़ाने के लिए अधिक था। रही बात भ्रष्टाचार की तो KCR और उनके परिवार पर खुद भी भ्रष्टाचार के आरोप हैं, किन्तु मुख्यमंत्री ने उसके लिए कभी कोई कमेटी न तो गठित की, न करेंगे।
रही बात ईटेला राजेंद्र की तो वह राज्य की स्थापना से लेकर पार्टी को आगे बढ़ाने तक सबसे महत्वपूर्ण सेनापतियों में से एक रहे हैं। उनका और KCR का टकराव पार्टी में समाप्त हो रहे लोकतंत्र को लेकर था। उन्होंने एक बार यहाँ तक कहा था कि मैं किसी की कृपा से या किसी का बेटा होने के कारण यहाँ तक नहीं पहुंचा हूँ। यह निशाना उन्होंने KCR के बेटे पर साधा था।
राजेंद्र ने मंत्रिमंडल से निकाले जाने के एक माह बाद पार्टी के सभी पदों और अपनी विधायकी से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने पत्रकारों से कहा, “पार्टी के साथ 19 साल तक जुड़े रहने के बाद, मैं पार्टी और उसकी सदस्यता से इस्तीफा दे रहा हूं। जहां तक पार्टी की सदस्यता की बात है, मैंने पहले भी कहा था कि आपको (तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव) मुझे हटाने की जरूरत नहीं है। मैं विधायक का पद भी छोड़ दूंगा। मैं अपने समर्थकों से बात करने के बाद अपनी आगे की रणनीति के बारे में जानकारी दूंगा।”
भाजपा राजेंद्र के साथ संपर्क में है और उम्मीद है कि जल्द ही वह भाजपा का झंडा उठा सकते हैं। अगर ऐसा हुआ तो यह KCR के लिए बड़ा नुकसान होगा। दरसल, पार्टी में KCR द्वारा अपने बच्चों को आगे बढ़ाए जाने के कारण अकेले राजेन्द्र ही उनसे नाराज नहीं है। कई अन्य नेता भी हैं, जिन्होंने तेलंगाना आंदोलन को अपना खून पसीना दिया था, लेकिन आज उनकी पार्टी में इज्जत नहीं है। राजेंद्र अन्य नाराज नेताओं का संपर्क भाजपा से करवा सकते हैं।
राजेन्द्र पार्टी की कमियां और मजबूती दोनों भली भांति जानते हैं, वह KCR के वोटबैंक के सोचने के तरीके के बारे में जानकारी रखते हैं। अगर वह BJP के खेमे में आ जाते हैं तो यह सब जानकारी भाजपा के लिए बहुत लाभकारी हो सकती है।
सबसे बड़ी बात यह है कि TRS तेलंगाना आंदोलन की जनक और शिल्पकार है। इसके कारण तेलंगाना के लोगों के मन में उस पार्टी के लिए सम्मान है, लेकिन तेलंगाना आंदोलन के मुख्य सिपाहियों के साथ जैसा व्यवहार हो रहा है, वह TRS की छवि को भारी नुकसान पहुंचा सकता है।
ईटेला राजेंद्र को जिस प्रकार मंत्रिमंडल से निकाला गया वह देखने किसी धोखे जैसा लगता है। बिना किसी सुगबुगाहट के अचानक कुछ किसान मुख्यमंत्री से उनके फार्म हाउस पर मिलते हैं और राजेंद्र के विरुद्ध कार्रवाई की मांग करते हैं। मुख्यमंत्री तत्काल उन्हें पद से हटा देते हैं और जांच बैठा देते हैं। यह सब तब हुआ जब राज्य कोरोना से जूझ रहा था और स्वास्थ्य मंत्री राजेन्द्र उस समय मीटिंग कर रहे थे।
KCR पूरी तरह से पुत्रमोह में फंसे हैं और यह सारा घटनाक्रम उनकी पार्टी को भारी पड़ेगा। भाजपा जो एक मजबूत स्थानीय नेता की तलाश में है, उसकी तलाश ईटेला राजेंद्र पर आकर खत्म हो सकती है। साफ है कि आने वाला चुनाव बड़ा रोचक होने वाला है।