केरल में मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनिति जोरो शोरो से चल रही है। ऐसे में केरल हाईकोर्ट ने केरल सरकार से पूछा है कि, राज्य सरकार एक धार्मिक गतिविधि का वित्तपोषण क्यों कर रही है ? दरअसल, केरल उच्च न्यायालय में राज्य में मदरसा शिक्षकों को पेंशन प्रदान करने के फैसले के खिलाफ एक याचिका पर विचार करते हुए अदालत ने विजयन सरकार को आड़े हाथ लिया है। अदालत ने राज्य से यह स्पष्ट करने को भी कहा कि क्या उसने केरल मदरसा शिक्षक कल्याण कोष में कोई योगदान दिया है।
पीठ ने कहा कि केरल में मदरसे उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में चलाए जा रहे मदरसों से अलग हैं जो धर्मनिरपेक्ष के साथ-साथ धार्मिक शिक्षा भी देते रहे हैं। पीठ ने आगे कहा “केरल में, ये विशुद्ध रूप से एक धार्मिक गतिविधि में शामिल हैं। एक धार्मिक गतिविधि के लिए राज्य द्वारा धन का योगदान करने का उद्देश्य क्या है?”
न्यायमूर्ति ए मोहम्मद मुस्ताक और न्यायमूर्ति Kauser Edappagath की पीठ ने लोकतंत्र, समानता, शांति और धर्मनिरपेक्षता के लिए नागरिक संगठन के सचिव मनोज द्वारा दायर याचिका पर यह आदेश जारी किया। बता दें कि इस याचिका में केरल मदरसा शिक्षक कल्याण कोष अधिनियम, 2019 को रद्द करने की मांग की गई थी। यह अधिनियम मदरसा शिक्षकों को पेंशन और अन्य लाभों के वितरण के लिए पारित किया गया है।
याचिकाकर्ता के वकील सी राजेंद्रन ने कहा कि इस अधिनियम को पढ़ने के बाद यह बिल्कुल स्पष्ट होता है कि ये मदरसे केवल कुरान और इस्लाम से संबंधित अन्य पाठ्यपुस्तकों के बारे में ज्ञान प्रदान कर रहे हैं, और इन उद्देश्यों के लिए भारी मात्रा में सरकारी धन प्राप्ति करना असंवैधानिक है और संविधान के धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों के खिलाफ है।
याचिकाकर्ता ने कहा कि सरकार इस योजना में सरकारी पैसा दे रही है। कल्याण कोष मुख्य रूप से ऐसे सदस्य के लिए है, जिसने 60 साल पूरे कर लिए हैं और कम से कम पांच साल के लिए योगदान दिया है।
आपको बता दें कि कुछ दिनों के अंतराल में केरल उच्च न्यायालय ने केरल सरकार को यह दूसरा झटका दिया है। इससे पहले केरल अल्पसंख्यक स्कॉलरशिप स्कीम में विजयन सरकार मुस्लिम तुष्टिकरण के कारण मुस्लिम समुदाय को 80 प्रतिशत आरक्षण देते थे और ईसाई समुदाय को महज 20 प्रतिशत। ऐसे में केरल उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए बनाए गए नियम को खारिज कर दिया था।
इसके अलावा केरल सरकार मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए लक्षद्वीप मुद्दे पर भी एकजुटता दिखा रही है। इतना ही नहीं राज्य के मुस्लिमों को खुश करने के लिए विजयन सरकार ने लक्षद्वीप के प्रशासक प्रफुल्ल पटेल को हटाने के लिए विधान सभा में प्रस्ताव भी पारित किया है।