भारत में वित्त वर्ष 2020-21 में 81.72 बिलियन डॉलर के FDI का प्रवाह हुआ है। देश को इस बात का जश्न मनाना चाहिए कि इस वैश्विक महामारी के बावजूद, भारत, विदेशी निवेशकों के लिए सबसे भरोसेमंद गंतव्य के रूप में उभरा है।
बता दें कि गुजरात राज्य ने लगभग 1.77 लाख करोड़ रुपये के साथ सबसे अधिक विदेशी निवेश प्राप्त किया है। जो कुल विदेशी निवेश का लगभग 32 प्रतिशत है। गुजरात के बाद महाराष्ट्र का स्थान आता है – जो पहले निवेश के लिए पसंदीदा स्थान हुआ करता था, महाराष्ट्र ने 1.53 लाख करोड़ रुपये का निवेश प्राप्त किया है। जो कि कुल विदेशी निवेश के 28 प्रतिशत है।
हालांकि, देश के अन्य राज्य जैसे- दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, झारखंड भी अपने यहां FDI प्रवाह करने की कोशिश में जुटे हुए है। लेकिन फिलहाल पश्चिमी राज्य- गुजरात, महाराष्ट्र और एक दक्षिणी राज्य कर्नाटक पहले, दूसरे और तीसरे स्थान के साथ नेतृत्व कर रहे है।
कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर के साथ सेवा क्षेत्र में भी विदेशी निवेश (FDI) लगभग 30 प्रतिशत हुआ है। यह तो तय है कि भारत इन क्षेत्रों में नेतृत्व करेगा साथ ही में प्राप्त किए गए विदेशी निवेश के बलबूते से भारत अपने प्रतियोगियों को काफी पीछे छोड़ सकता है।
भारत में बड़ी मात्रा में FDI प्रवाह होने का एक कारण है- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली स्थिर सरकार। आज भाजपा बहुमत के साथ सत्ता में है, जिसके कारण राजनीतिक स्थिरता है। यह स्थिरता विदेशी निवेशकों को आकर्षित करती है। चूंकि 2014 से पहले ऐसा नहीं था, UPA की सरकार अस्थिर थी, साथ में आए दिन भ्रष्टाचार उजागर होने के कारण भारत में निवेश करने से पहले ही निवेशकों का मनोबल टूट जाता था।
आज दुनिया भर के निवेशक इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि कोरोना वायरस के अल्पकालिक झटके के बावजूद भारत विकास के अनुकूल है। साथ ही में भारत लंबी रेस का खिलाड़ी है।
GW&K इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट के सह-पोर्टफोलियो मैनेजर टॉम मासी और Nuno Fernandes ने कहा, “साल 2021 में दूसरी लहर के कारण आर्थिक विकास में नरमी आएगी, लेकिन इस साल के अंत तक विकास मजबूत होगा।”
दुनिया भर के नीति विश्लेषक, अर्थशास्त्रियों और कॉरपोरेट घरानों ने मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों की सकारात्मक समीक्षा की है। कुछ सबसे महत्वपूर्ण आर्थिक सुधार जो पिछले कुछ दशकों से राजनीतिक कारणों की वजह से फंसे हुए थे, जैसे कि – कृषि कानून, श्रम कानून, GST, दिवाला कानून, कॉर्पोरेट और आयकर का युक्तिकरण, यह सारे महत्वाकांक्षी बदलाव पिछले कुछ वर्षों में मोदी सरकार द्वारा लागू किए गए है।
आपको बता दें कि भारत के बाजारों में लिक्विडिटी भरी हुई है। ऐसे में जैसे ही कोरोना वायरस का खतरा समाप्त होता है, निवेश के साथ-साथ उपभोक्ता खर्च में भारी बढ़त देखने को मिली है। सूचना प्रौद्योगिकी, वित्तीय सेवाओं और कृषि जैसे कई क्षेत्रों ने इस साल भी अच्छा प्रदर्शन किया है।
तो बस अब भारत को इंतजार है, कोरोना संक्रमण के खत्म होने का, उसके बाद देश विकास की बुलंदियों को छुएगा।