योगी सरकार ने वुहान वायरस से लड़ने में दोनों लहर के दौरान एक अनोखी मिसाल पेश की है। जिस प्रकार से वुहान वायरस और उसकी आड़ में गिद्ध राजनीति करने वाले लोगों के विरुद्ध योगी सरकार ने कार्रवाई की है, वो अपने आप में अनोखा और सराहनीय है।
इसी प्रतिबद्धता का उदाहरण हमें हाल ही में देखने को मिला, जब कई अस्पतालों के लाइसेंस निरस्त कर संचालकों पर FIR दर्ज की गई। इसके पीछे कारण क्या था? दरअसल यह अस्पताल वुहान वायरस के इलाज अथवा मृत मरीज के पार्थिव शरीर को छोड़ने के एवज में मरीज के परिवारों से मोटी रकम वसूलते थे, या फिर आवश्यक उपकरणों एवं दवाइयों की कालाबाजारी करते थे।
ब्रेकिंग ट्यूब के रिपोर्ट के अनुसार, “कोरोना महामारी के इस दौर में जहां शासन-प्रशासन लगातार लोगों की मदद में जुटा हुआ है, वहीं दूसरी तरफ कई जगह प्राइवेट अस्पतालों की मनमानी के मामले भी सामने आए थे। जिसके बाद सीएम योगी के आदेश के बाद दस बड़े अस्पतालों का लाइसेंस निरस्त कर दिये गये हैं। इसके साथ ही नौ अस्पतालों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज किया गया है। अब इन मामलों में संबंधित जिलों के डीएम व सीएमओ से जवाब तलब किया जाएगा।
जानकारी के मुताबिक, कोरोना महामारी के समय जहां सभी अस्पतालों को लोगों की सहायता करनी चाहिए थी, उस समय कुछ निजी अस्पतालों पर मनमाने रेट मरीजों से वसूलने, इलाज में लापरवाही बरतने, दुर्व्यवहार करने, ऑक्सीजन की कृत्रिम कमी बताने व अन्य अनियमितताओं के आरोप लगे हैं। अब तक 33 जिलों से इस तरह की 184 शिकायतें आईं हैं। इनकी जांच में 68 शिकायतें सही पाई गईं। इस आधार पर 117 मामलों में नोटिस दिये गये हैं। इसके साथ ही 10 अस्पतालों का लाइसेंस निरस्त कर दिया गया है और नौ के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी गईं हैं।”
आवश्यक उपकरण एवं दवाइयों की कालाबाजारी के विरुद्ध योगी सरकार ने पहले ही सख्त रुख अपनाते हुए उक्त अभियुक्तों के विरुद्ध रासुका एवं गैंगस्टर एक्ट के अंतर्गत मुकदमा दर्ज कराने का निर्देश दे दिया था।
लेकिन बात यहीं पर नहीं रुकी। हाल ही में इसी कार्रवाई के अंतर्गत आगरा के एक अस्पताल से कोविड अस्पताल का टैग वापिस लिया गया और उनसे 80 हजार रुपये मरीज को वापस कराए गए। ब्रेकिंग ट्यूब की ही रिपोर्ट में बताया गया, “आगरा के कई अस्पतालों को मरीजो से ज्यादा वसूली गई फीस लौटानी पड़ी। इसके साथ ही मेरठ के एक अस्पताल संचालक के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई। वहीं गाजियाबाद में एक अस्पताल का लाइसेंस निरस्त किया गया एवं एक अन्य का स्थगित किया गया। बुलंदशहर के एक निजी अस्पताल का लाइसेंस रद्द कर संचालक पर प्राथमिकी दर्ज की गईं हैं।”
ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि योगी प्रशासन में किसी भी प्रकार की लापरवाही एवं भ्रष्टाचार पर रहम नहीं होगा और उसके विरुद्ध कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी। योगी सरकार ने अपनी कार्रवाई से एक बार फिर अपना संदेश स्पष्ट किया है – कायदे में रहोगे तो फायदे में रहोगे।