आगरा में मॉक ड्रिल कर मासूमों की जिंदगी लेने वालों पर योगी सरकार को सख्त से सख्त कार्रवाई करनी चाहिए

योगी के नाम पर जिसने दाग लगाया, उसे मिले सज़ा!

CM योगी

हाल ही में उत्तर प्रदेश से एक हृदय विदारक खबर सामने आई है। सोशल मीडिया पर आगरा के एक अस्पताल (श्री पारस अस्पताल) का वीडियो वायरल हुआ है, जहां प्रशासनिक लापरवाही के कारण 22 लोगों की मृत्यु होने का दावा किया जा रहा है। फिलहाल के लिए अस्पताल को सीज़ कर लिया गया है और जल्द ही सख्त से सख्त एक्शन लिया जा सकता है।

आज तक की रिपोर्ट के अनुसार, आगरा के श्री पारस अस्पताल को सीज़ कर लिया गया है। इसी अस्पताल का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जहां ऑक्सीजन की कमी के मॉकड्रिल के दौरान 22 लोगों की मौत का दावा किया जा रहा है। फिलहाल, पूरे मामले की जांच की जा रही है और अस्पताल सीज़ करने के पश्चात संचालक के विरुद्ध मुकदमा भी दर्ज कर लिया गया है।

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पारस अस्पताल को सीज़ करने के आदेश आगरा के जिलाधिकारी ने दिए है। यह आदेश मौके पर करीब 2 घंटे जांच करने के पश्चात दिए गए हैं। पारस अस्पताल के संचालक डॉक्टर अरिंजय जैन के विरुद्ध महामारी अधिनियम के अंतर्गत मुकदमा दर्ज होगा। यह मुकदमा उनके द्वारा वीडियो में मोदीनगर में ऑक्सीजन खत्म होने की भ्रामक सूचना के कारण दर्ज किया जाएगा।”

यदि पारस अस्पताल की घटना सत्य है, तो ये निस्संदेह बहुत चिंताजनक है। एक ओर योगी आदित्यनाथ की सरकार उत्तर प्रदेश को वुहान वायरस के प्रकोप से बाहर निकालने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है, तो वहीं पारस अस्पताल के प्रशासक जैसे कुछ लोग भी है, जो अपने निजी स्वार्थ के पीछे लोगों की बलि चढ़ाने तक को तैयार है।

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2017 में जब BRD कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी के कारण कई नवजात शिशुओं की मृत्यु हुई थी, तो वामपंथियों ने इसका ठीकरा योगी सरकार पर फोड़ने का प्रयास किया था, परंतु जल्द ही ये सामने आया कि डॉक्टर कफील खान जैसे कुछ स्वार्थी चिकित्सक भी थे, जिनके निजी स्वार्थ के कारण कई निर्दोष बच्चों की बलि चढ़ा दी गई।

ऐसे में योगी सरकार को ये सुनिश्चित करना होगा कि पारस अस्पताल के प्रशासक के विरुद्ध कड़ी से कड़ी कार्रवाई हो, ताकि भविष्य में कोई भी इस प्रकार का दुस्साहस करने से पहले दस बार सोचे। इससे पहले भी दूसरी लहर के दौरान जब कई दलाल ऑक्सीजन सिलेंडर और आवश्यक उपकरणों की कालाबाजारी में जुटे हुए थे, तो योगी प्रशासन ने तुरंत सख्त एक्शन लेते हुए इन दलालों को ढूंढ ढूंढ कर हिरासत में लिया।

इसके अलावा जो भी इस कालाबाजारी में लिप्त पाया गया, उस पर रासुका के अलावा गैंगस्टर एक्ट के अंतर्गत मुकदमा भी चलाया गया। ऐसे में अब योगी सरकार को ये सुनिश्चित करना चाहिए कि पारस अस्पताल के विरुद्ध ऐसी कार्रवाई की जाए, जिससे लोग इस तरह का दुस्साहस करने से पहले कई बार सोचें।

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