‘बहस से ज्यादा समय मरीजों के इलाज में लगाइये’, दिल्ली हाई कोर्ट ने DMA को लताड़ा

दिल्ली हाईकोर्ट DMA

योगगुरु बाबा रामदेव के एक बयान को लेकर पिछले कुछ हफ्तों से चल रही आयुर्वेद बनाम एलोपैथी की बहस अब हाशिए पर पहुंचती दिखाई दे रही है। दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन की तरफ से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए रामदेव और DMA दोनों को ही लताड़ दिया है। हाईकोर्ट ने आदेश जारी किया कि बहस करने से अच्छा है कि मरीजों के इलाज़ पर गौर किया जाए क्योंकि मुख्य आवश्यकता इलाज है। IMA किसी न किसी तरीके से आयुर्वेद को निशाना बनाने में लगा है। इस बार DMA ने भी IMA की भांति आयुर्वेद को निशाने पर लिया। हालांकि, DMA की मांगों को खारिज करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने रामदेव के बयान को उनकी निजी राय बताया है, और निजी बात को बतंगड़ बनाकर आयुर्वेद बनाम एलोपैथी की नौटंकी करने वालों को मुंह बंद रखने की सलाह दी है। हालांकि, कोर्ट ने रामदेव को भी बेतुके बयान न देने की सलाह दी है।

स्वामी रामदेव के एलोपैथी विरोधी बयान को लेकर पूरे देश में डॉकटरों ने आयुर्वेद बनाम एलोपैथी की एक बेतुकी बहस छेड़ दी, जिसको लेकर दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया है कि बाबा रामदेव अपनी दवा से कोविड-19 के इलाज का दावा कर रहे हैं, जिसको लेकर अब दिल्ली हाईकोर्ट ने DMA को ही लताड़ लगा दी है। हाईकोर्ट ने कहा, “आप लोगों को कोर्ट का समय बर्बाद करने के बजाय महामारी का इलाज खोजने में समय लगाना चाहिए। आपने खुद कहा है कि दावा झूठा है और अगर मान लें कि यह झूठा है तो इसपर संज्ञान मिनिस्ट्री ऑफ आयुष को लेना है। आप इससे कैसे प्रभावित हो रहे हैं।”

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रामदेव की कंपनी पतंजलि की कथित कोरोनावायरस के इलाज़ की दवा कोरोनिल को बैन करने और बयान के लिए उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने DMA के वकील को ही लताड़ दिया और कहा, “अगर पतंजलि नियमों का उल्लंघन कर रहा है, तो कार्रवाई सरकार को करनी है। आप मशाल क्यों लेकर चल रहे हैं। मुझे लग सकता है कि होम्योपैथी नकली है। यह एक राय है, इसी तरह रामदेव की भी राय है। इसके खिलाफ मुकदमा कैसे दायर किया जा सकता है?” इसके साथ ही अदालत ने रामदेव की दवा कोरोनिल के संबंध में कुछ महत्वपूर्ण बातें हैं।

रामदेव के बयान को निजी बताते हुए कोरोनिल की क्षमता के संबंध में हाईकोर्ट ने कहा कि किसको किस पर विश्वास है या किस पर नहीं, ये मुकदमे का करण नहीं हो सकता है। कोर्ट ने कहा, “रामदेव को एलोपैथी में विश्वास नहीं है। उनका मानना ​​​​है कि योग और आयुर्वेद से सब कुछ ठीक हो सकता है। वह सही या गलत हो सकते हैं, लेकिन अदालत यह नहीं कह सकती कि कोरोनिल एक इलाज है या नहीं। यह चिकित्सा विशेषज्ञों द्वारा तय किया जाना है।” गौरतलब है कि रामदेव को भी कोर्ट ने कोरोनिल का प्रचार करने की अनुमति तो दी है, लेकिन आपत्तिजनक बयान देने से बचने की बात कही है।

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दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन को लगी ये लताड़ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के लिए भी एक झटका है, क्योकि DMA भी IMA से संबंधित संस्था ही है। कोर्ट ने रामदेव के बयान को निजी बताकर डॉक्टरों को बहस करने के बजाए काम करने की सलाह दी है, जो कि वाजिब है। दिल्ली हाईकोर्ट ने साफ कहा है कि बहस से ज्यादा समय मरीजों के इलाज में लगाना चाहिए।

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