भारत में फिलहाल कोरोना की दूसरी लहर धीरे-धीरे थम रही है, परन्तु देश के कुछ राज्य ऐसे हैं जहाँ अभी कोरोना वायरस के मामले घटने के बजाये पिछले कुछ दिनों में बढ़े हैं। इन राज्यों में सबसे ऊपर केरल है जो कि देश का सबसे शिक्षित राज्य कहा जाता है। चिंता इतनी बड़ी है कि केंद्र सरकार को इन राज्यों में कोविड-19 के बढ़ते मामलों को देखते हुए स्पेशल टीम भेजनी पड़ी है।
केरल में शनिवार को कुल 12,456 नए पॉजिटिव मामले सामने आये वहीं शुक्रवार को यह संख्या 12,095 थी। यानी एक ही दिन में 361 मामलों की बढ़ोतरी हुई है। पिछले 10 दिनों से, केरल में प्रतिदिन 10,000 से अधिक नए मामले सामने आ रहे हैं। वास्तव में, यह एकमात्र भारतीय राज्य है जो लगातार अपने कुल केस में 10,000 से अधिक मामलों को जोड़ रहा है।
प्रतिशत में यह आंकड़ा देखा जाये तो केरल देश में रोजाना कोरोना के मामला में अकेले 28 प्रतिशत नए मामलों के लिए जिम्मेदार है।
वहीं बात करे Test Positivity Ratio की तो यह अभी भी 10.4 प्रतिशत है, जबकि यही आंकड़ा उत्तर प्रदेश में शुन्य प्रतिशत तक पहुँच गया है और पूरे देश में यह आंकड़ा 2.3 प्रतिशत है। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि केरल में क्या हालात हैं।
केरल में 8431.6 पॉजिटिव कोरोना केस प्रति लाख टेस्टिंग पर हैं, जबकि देश में यह आंकड़ा 2291.6 है। यानी प्रति लाख टेस्टिंग पर केरल में लगभग 8500 मामले सामने आ रहे हैं।
इसके अलावा शनिवार को 135 लोगों की मौत कोरोना से हुई, वहीं शुक्रवार को यह संख्या 146 थी। इससे अब मृतकों की तादाद 13,641 तक पहुंच गई है।
ग्राफ से पता चलता है कि केरल में शुक्रवार की गिनती उसके चरम आंकड़े का लगभग 30% थी। इसकी तुलना में, उत्तर प्रदेश और दिल्ली अपने चरम मूल्य का केवल 0.4% और 0.3% ही रिपोर्ट कर रहे हैं।
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केरल में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए कर्नाटक सरकार ने एहतियात के तौर पर एक आदेश जारी किया है। कर्नाटक सरकार ने कहा है कि केरल से आने वाले सभी रेल यात्रियों को अब RT-PCR टेस्ट की नेगेटिव रिपोर्ट देनी है। वहीं केंद्र सरकार ने भी अपनी एक विशेष टीम भेजी है। इस तरह से बढ़ते मामले पूरे देश के लिए खतरे का संकेत दे रहा है। अगर इनसे जल्द से जल्द नहीं निपटा गया तो यह तीसरे वेव का भी कारण बन सकता है। इससे यह भी सिद्ध होता है कि जिस केरल मॉडल की वामपंथी ब्रिगेड तारीफ करते नहीं थकते थे, वह केरल मॉडल महज़ एक छलावा था।