साढ़े 4 साल में Uttarakhand के तीसरे CM बने पुष्कर सिंह धामी के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण होगा शेष कार्यकाल

पुष्कर सिंह धामी को CM की कुर्सी के साथ मिली हैं कई बड़ी जिम्मेदारियां!

पुष्कर सिंह धामी

TV9 Bharatvarsh

उत्तराखंड में राजनीतिक अस्थिरता समाप्त होने का नाम ही नहीं ले रहा है। पिछले चार महीनों में अभी तक 3 मुख्यमंत्री नियुक्त किये जा चुके हैं। तीरथ सिंह रावत के पद से इस्तीफा देने के एक दिन बाद शनिवार को पुष्कर सिंह धामी को राज्य भाजपा विधायक दल द्वारा उत्तराखंड के अगले मुख्यमंत्री के रूप में चुना गया है। प्रदेश के करीब 57 भाजपा विधायकों ने कल देहरादून में पार्टी मुख्यालय में राज्य के अगले मुख्यमंत्री को चुनने के लिए बैठक की। बता दें कि इस राजनितिक अस्थिरता के साथ ही राज्य में अगले साल चुनाव होने वाले हैं और अगर यही हाल रहा तो BJP को सत्ता से बेदखल भी होना पड़ सकता है। इसी कारण नए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के कन्धों पर एक बड़ी जिम्मेदारी है कि वह न सिर्फ राज्य में स्थिरता लाये, बल्कि जनता को भी यह विश्वास दिलाये कि उनके नेतृत्व में भाजपा विकास के लिए काम करेगी और राजनीतिक स्थिरता प्रदान करेगी।

बता दें कि 1975 में पिथौरागढ़ में जन्मे पुष्कर सिंह धामी का भाजपा के साथ जुड़ाव तब से है जब उन्होंने RSS से शुरुआत की। धीरे-धीरे वे एबीवीपी में अपनी जगह बनाते चले गए। हालांकि, वह राज्य के सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री हैं, लेकिन आरएसएस और उसके संगठनों के साथ उनका जुड़ाव लगभग 33 साल का है।

उधम सिंह नगर जिले के खटीमा निर्वाचन क्षेत्र से 45 वर्षीय विधायक पुष्कर सिंह धामी ने कभी भी राज्य मंत्रिमंडल में मंत्री पद नहीं संभाला है। हालांकि, मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो पुष्कर सिंह धामी का युवाओं के बीच मजबूत प्रभाव है। इसका कारण यह है वे 2002 से 2008 तक दो बार राज्य में भाजपा युवा शाखा के अध्यक्ष रहे हैं। अब देखना यह है कि वह अपने इस प्रभाव का कितना फायदा उठाते हैं।

पुष्कर धामी को महाराष्ट्र के वर्तमान राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी का भी करीबी माना जाता है, जिन्होंने थोड़े समय के लिए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री का पद भी संभाला है। पुष्कर सिंह धामी ने कोश्यारी के मुख्यमंत्री रहते हुए विशेष ड्यूटी पर अधिकारी के रूप में कार्य किया था। यही नहीं धामी कथित तौर पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के भी करीबी हैं।

प्रोफाइल तो उनकी अच्छी है, परन्तु उनके कन्धों पर न सिर्फ स्थिरता लाने की जिम्मेदारी है, बल्कि अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए भी पार्टी को तैयार करना है।

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पहले त्रिवेंद्र सिंह रावत का मार्च में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा और फिर अब तीरथ सिंह रावत का इस्तीफा, उत्तराखंड में बीजेपी की अस्थिरता को बयान करता है। पुष्कर सिंह धामी का पिछले 4 महीने में तीसरा मुख्यमंत्री बनाना उनके लिए कठिन चुनौतियों को ले कर आया है। चुनाव में जाने से पहले अगर राज्य में बीजेपी की यही हालत रही तो जनता उन्हें सत्ता में दोबारा नहीं बैठाएगी। एक मजबूत नेता के हाथों में मजबूत सरकार को ही जनता सत्ता में बैठाना चाहेगी, जिससे राज्य का विकास हो और प्रगति हो। इस कारण अब यह पुष्कर सिंह धामी के लिए चुनौती है कि वह विधयाकों को नियंत्रित कर बीजेपी को एक मजबूत नेतृव प्रदान करे जिससे जनता का भरोसा बढे।

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