सबूतों के साथ The Wire के झूठ का पर्दाफाश, योगी के जनसंख्या बिल पर फैला रहा है फ़ेक न्यूज़

द वायर फेक न्यूज

एक होता है विरोध, फिर होता है अंध विरोध और फिर आता है द वायर का विरोध। अपनी निजी इच्छा को एक लेख के रूप में कैसे उतारना हो, ये कोई द वायर से सीखे। हाल ही में उत्तर प्रदेश के जनसंख्या बिल के प्रस्ताव को लेकर द वायर ने अपनी शैली (फेक न्यूज) में अपने विरोध जताया। ऐसा इसलिए, क्योंकि वह आलोचनात्मक विश्लेषण या विरोध कम, द वायर की निजी इच्छा अधिक लगती है।

वो कैसे? द वायर ने अपने लेख के एक भाग में लिखा है, “उत्तर प्रदेश के विधि आयोग ने जनसंख्या को नियंत्रण में लाने के लिए एक अस्थाई विधेयक पेश किया है, लेकिन यदि ये कानून होता, तो भारतीय जनता पार्टी के आधे से ज्यादा विधायक स्वयं इस कानून का उल्लंघन करते हुए पाए जाते”।

जब लेख का शीर्षक ही यही हो, “यूपी – भाजपा के 50 प्रतिशत विधायक के 3 से ज्यादा बच्चे हैं, और इसलिए वे खुद जनसंख्या विधेयक के उल्लंघन के दोषी होते”, तो आप लेखक से निष्पक्षता की आशा भला कैसे कर सकते हैं। यहाँ द वायर की निजी इच्छा ज्यादा स्पष्ट होती दिखाई दे रही है, कि कैसे भी करके भाजपा सत्ता से बाहर हो जाए।

ऊपर से ये द वायर ठहरा, जो शत प्रतिशत फेक न्यूज के लिए वामपंथियों की सबसे भरोसेमंद वेबसाइट्स में से एक मानी जाती है। यही वेबसाइट द वायर लोनी मामले में दंगे भड़काने वाले फेक न्यूज फैलाते हुए पकड़ी गई थी, और यही वेबसाइट बाराबंकी में एक अवैध मस्जिद के ध्वस्त किये जाने पर जानबूझकर लोगों को भड़काते हुए पाई गई थी। दोनों के पीछे यूपी पुलिस से इस वेबसाइट की कई बार सोशल मीडिया पर भिड़ंत भी हो चुकी है।

लेकिन अपने इसी अंध विरोध में काश द वायर के लेखकों ने थोड़ा होमवर्क  भी कर लिया होता, तो ज्यादा अच्छा रहता। उसी विधेयक का एक अंश यह भी कहता है, “यदि ये कानून लागू होता है, तो ये उन व्यक्तियों पर लागू नहीं होगा, जो पहले से ही किसी सरकार, या फिर पंचायती संस्थान, या फिर निकाय संगठन का हिस्सा हैं, विशेषकर तब, जब इस अधिनियम को लागू किया गया हो।”

यदि ऐसा द वायर फेक न्यूज के माध्यम से तथ्यों को सामने रखता, तो एजेंडा कैसे फैलाता। द वायर ने जनसंख्या नियंत्रण विधेयक के अपने विश्लेषण में कोई ऐसा मुद्दा नहीं उठाया है, जिससे समझ में आए कि उसे वास्तव में जनता की चिंता है या उसे इस बारे में कोई ज्ञान है। द वायर को फेक न्यूज के माध्यम से बस भाजपा के प्रति अपने अंध विरोध को दर्शाना है, जिसके चक्कर में उसने अपनी सार्वजनिक बेइज्ज़ती का ही प्रबंध कराया है।

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