राजनीति में जब भी किसी राजनीतिक पार्टी की हार होती है तो किसी न किसी को बलि का बकरा बनाया जाता है। कांग्रेस में ऐसा अक्सर देखा जाता है कि गाँधी परिवार की गलतियों को छुपाने के लिए किसी अन्य जमीनी रूप से जुड़े नेता को कुर्बान किया जाता है। अब एक आश्चर्यजनक कदम में, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी अधीर रंजन चौधरी को लोकसभा में पार्टी के नेता के रूप में हटा सकती है। ऐसा लगता है कि बंगाल में हार के बाद कांग्रेस अपना चेहरा बचाने की कोशिश में अधीर रंजन चौधरी को बलि का बकरा बनाने जा रही है।
Indian Express की रिपोर्ट के अनुसार, कांग्रेस के कद्दावर नेता अधीर रंजन चौधरी को संसद के मानसून सत्र से महज दो हफ्ते पहले लोकसभा के नेताप्रतिपक्ष के रूप में हटाया जा सकता है। खबर ऐसी भी है कि यह कदम विशेष रूप से ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस के साथ गठबंधन करने का प्रयास भी है। बता दें कि चुनाव के पश्चिम बंगाल में हुई हिंसा के दौरान TMC के गुंडों ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं को भी नहीं छोड़ा था और उन पर हमला किया था। अब कांग्रेस आलाकमान उसी TMC से संबंध बढ़ाने जा रहा है।
बता दें कि पश्चिम बंगाल में, कांग्रेस और वाम मोर्चा ने एक साथ विधानसभा चुनाव लड़ा था, परन्तु कांग्रेस की सबसे शर्मनाक हार हुई थी। कांग्रेस को एक भी विधानसभा सीट नसीब नहीं हुई। लोकसभा में बहरामपुर का प्रतिनिधित्व करने वाले अधीर रंजन चौधरी हैं। पश्चिम बंगाल में पार्टी के अभियान का चेहरा और राज्य पार्टी इकाई के प्रमुख थे। चुनावी हार के बाद, अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि पार्टी सिर्फ सोशल मीडिया की दुनिया में रहने का जोखिम नहीं उठा सकती है, बल्कि उसे सड़क पर लोगों के बीच उतरना चाहिए। हालांकि, पूरे चुनावी चरण में, कांग्रेस नेतृत्व ने सीधे टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी पर कभी भी निशाना नहीं साधा। सिर्फ अधीर रंजन ही थे जिन्होंने ममता के खिलाफ बयान दिया। अब कांग्रेस उन्हें ही लोकसभा में अपने नेता के पद से हटाने जा रही है।
चौधरी को हटाने के कदम को कांग्रेस द्वारा तृणमूल कांग्रेस के साथ संबंध बढ़ाने और संसद में भाजपा और मोदी सरकार के खिलाफ अभियान का समन्वय करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। चुनावों के दौरान कांग्रेस के आलाकमान ने मुख्य रूप से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर हमला करने से परहेज किया था और वास्तव में, उनकी जीत का स्वागत किया था। राहुल गाँधी और प्रियंका गाँधी ने तो रैलियां भी कम ही की थी। वहीं दूसरी ओर, अधीर रंजन चौधरी ने कई बार ममता बनर्जी और उनकी सरकार को निशाना बनाया था। साथ ही सबसे बड़े आलोचक भी थे। अब अधीर रंजन को बली का बकरा बना कर सोनिया गांधी बंगाल में अपनी हार से मुंह छुपाने की कोशिश कर रही है और पूरा ठीकरा अधीर रंजन पर फोड़ना चाह रही हैं।
वास्तव में कांग्रेस ने एक से अधिक मौकों पर ममता बनर्जी के साथ भाजपा के खिलाफ अभियान में समर्थन दिया। अधीर रंजन चौधरी को हटाना शायद कांग्रेस द्वारा यह सुनिश्चित करने का एक प्रयास है कि संसद में तृणमूल कांग्रेस के साथ भाजपा के खिलाफ मोर्चा बनाये।
इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि तृणमूल कांग्रेस पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ के साथ अपनी जोरदार लड़ाई को बड़े पैमाने पर संसद तक ले जाने की तैयारी कर रही है। टीएमसी कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों से राष्ट्रपति को पत्र लिखकर राज्यपाल को वापस बुलाने की मांग कर सकती है। इसमें कांग्रेस भी उनके साथ रहे तो यह मामला और मजबूत हो जायेगा। इन दोनों पार्टियों के बीच अधीर रंजन चौधरी अपने TMC विरोध के कारण सबसे बड़ा रोड़ा बने हुए थे। ऐसे में उन्हें बलि का बकरा बनाया जा रहा है। अब सोनिया गाँधी उन्हें हटा कर पश्चिम बंगाल में TMC से संबंध बढ़ाना और कांग्रेस पार्टी की शर्मनाक हार को भुलाना चाहती है। अब बड़ा सवाल यह भी है कि निचले सदन में कांग्रेस पार्टी के नेता के रूप में चौधरी की जगह कौन लेगा।