सुवेंदु ने तुषार मेहता से की मुलाकात, डरे हुए TMC नेताओं ने कर डाली SG को पद से हटाने की मांग

इसकी एक बड़ी वजह राष्ट्रपति शासन से भी जुड़ी है!

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता

जो रास्ते का कांटा बने, उसे हो सके तो हटा दो, वरना विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दो, पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी इसी रास्ते पर चल रही हैं। विधानसभा चुनाव के दौरान जो लोग उन पर सवाल उठा रहे थे, उन्हें आरोपों के मुताबिक टीएमसी कार्यकर्ताओं द्वारा ही मार दिया गया और राजनीतिक संरक्षण के चलते कार्रवाई नहीं हुई। वहीं इस तांडव के बाद अब जो लोग जांच की बात कर रहे हैं या सवाल उठा रहे हैं, उनकी विश्वसनीयता पर टीएमसी सवाल उठा रही हैं। पहले कोलकाता हाईकोर्ट के जस्टिस चंदा कौशिक और अब देश के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता… उन्होंने ममता के धुर विरोधी सुवेंदु अधिकारी से मुलाकात क्या कर ली, टीएमसी उन्हें हटाने की मांग करने लगी है, इसकी एक बड़ी वजह राष्ट्रपति शासन से भी जुड़ी है, जिससे ममता डरी हुई हैं।

सर्वविदित है कि ममता बनर्जी को सुवेंदु अधिकारी से सबसे ज्यादा नफ़रत है, क्योंकि उन्हें विधानसभा चुनाव में सुवेंदु ने हराकर कहीं का नहीं छोड़ा है। ऐसे में सुवेंदु ने देश के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से मुलाकात की है, जिस पर टीएमसी बिफर गई। इस मामले में टीएमसी के सांसदों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से तुषार मेहता के खिलाफ एक्शन लेते हुए उन्हें पद से हटाने की मांग कर डाली है। इसे सुवेंदु और तुषार मेहता के हितों का टकराव बनाकर पेश किया गया है, इसलिए टीएमसी चाहती है कि जल्द से जल्द तुषार मेहता को हटाया जाए।

और पढ़ें- पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन होगा लागू? सुप्रीम कोर्ट में शुरू हुई अहम सुनवाई

खबरों के मुताबिक, ये मुलाकात देश के गृहमंत्री अमित शाह के साथ सुवेंदु अधिकारी की बैठक के बाद हुई। खास बात ये भी है सुवेंदु ने अमित शाह को बंगाल की ताजा हिंसात्मक स्थितियों से अवगत कराया है। इसलिए सुवेंदु का शाह से मिलने के बाद सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से मिलना महत्वपूर्ण हो जाता है। इसका एक बिन्दु सुप्रीम कोर्ट की उस सुनवाई से जुड़ा है, जो कि बंगाल में राष्ट्रपति शासन की मांग करने वाली वरिष्ठ वकील विष्णु शंकर जैन की याचिका से संबंधित है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, राज्य और चुनाव आयोग तीनों को ही नोटिस भेजा है और इस पर विस्तृत सुनवाई की बात कही है।

खास बात ये है कि केंद्र सरकार का पक्ष अदालतों में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के जरिए ही रखा जाता है। इसलिए संभावनाएं हैं कि एनएचआरसी की फैक्ट फाइंडिंग कमेटी की रिपोर्ट से लेकर गृहमंत्रालय द्वारा भेजी गई तीन सदस्यीय कमेटी की रिपोर्ट और केन्द्र सरकार की उन रिपोर्ट्स के अनुसार, राय भी सुप्रीम कोर्ट में रखी जाएगी, जो कि ममता बनर्जी पर भारी पड़ सकती हैं। इसमें कोई शक भी नहीं है कि यदि केंद्र सरकार बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने का मन बना ले तो दस्तावेजों के आधार पर बिना किसी आरोप-प्रत्यारोप के वो ऐसा कर सकती है और शायद वो ही अब बंगाल में होने वाला है।

और पढ़ेंतुम BJP के आदमी हो’, TMC ने जस्टिस चंदा पर लगाया आरोप, जज ने दिया मुँहतोड़ जवाब

तुषार मेहता जैसे सॉलिसिटर जनरल से सुवेंदु की मुलाकात टीएमसी को भारी पड़ रही है, क्योंकि उन्हें डर है कि सुवेंदु द्वारा पश्चिम बंगाल की हिंसा की पूरी सच्चाई तुषार मेहता के समक्ष जाएगी, जिससे मेहता को सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार का पक्ष रखने में आसानी हो सकती है। यदि केंद्र सरकार की तरफ से तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में बंगाल की अराजकता और हिंसा में राजनीतिक संरक्षण की बात साबित कर दी, तो ममता सरकार का जाना और राष्ट्रपति शासन लगना तय हो जाएगा।

यही कारण है कि बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी को तुषार मेहता के साथ सुवेंदु अधिकारी की मुलाकात रास नहीं आ रही है, क्योंकि टीएमसी को डर है कि सुवेंदु की ये कुछ मिनटों की मुलाकात ही बंगाल में राष्ट्रपति शासन की असल वजह न बन जाए।

Exit mobile version