अमान बाली कल तक लिबरलों का चहेता था, सिख-मुस्लिम शादी का विरोध करते ही सब उसके पीछे पड़ गए हैं

ये वामपंथी कभी किसी के नहीं होते!

अमान बाली photo

वामपंथी वर्ग की एक पुरानी आदत है कि जब तक कोई उनकी पसंदीदा बातों पर साथ देता है तब तक तो ये लोग उसका साथ देते हैं, लेकिन जैसे ही वो व्यक्ति किसी मुद्दे पर वामपंथियों के साथ असहमति जाहिर करता है तो यही लोग उसकी आलोचनाओं का अंबार लगा देते हैं। जम्मू कश्मीर में सिख युवतियों के धर्मांतरण का विरोध करने वाले अमान बाली नामक एक वामपंथी सोच रखने वाले व्यक्ति को वामपंथियों के कुछ इसी व्यवहार का सामना करना पड़ा है। वामपंथी विचारधारा वाले अमान बाली ने अपने एक ट्वीट में ऐलान किया कि सिख युवतियों का विवाह मुस्लिम युवकों से नहीं होगा। उनका ये ट्वीट उन पर इतना भारी पड़ गया कि अब वामपंथियों ने उनकी आलोचना शुरु कर दी है।

दरअसल, जम्मू कश्मीर में सिख समुदाय की युवती के धर्मांतरण के मुद्दे ने सिख-मुस्लिम एकता की पोल खोल कर रख दी हैं। सीएए-एनआरसी और किसान आंदोलन के दौरान जो सिख-मुस्लिम एकता दिखाई थी वो अब हवा हो गई है। वहीं कल तक जो सिख वामपंथी मुस्लिमों के साथ रहने की बात करते थे, वो भी अब वामपंथियों के निशाने पर आ गए हैं। इसी बीच अमान बाली नाम के एक वामपंथी शख्स ने अपने एक ट्वीट में लिखा, “सिख समुदाय ने एक रेखा बनाई है जिसके मुताबिक सिख युवतियां मुस्लिमों के साथ विवाह नहीं करेंगी।”

https://twitter.com/amaanbali/status/1409806858798342144?s=20

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अमान बाली का ट्वीट करना उन्हें ही भारी पड़ गया, क्योंकि जो लोग कल तक उनकी अराजकतावादी वामपंथी विचारधारा वाले तर्कों के लिए उनका समर्थन करते थे, वो भी अब अमान बाली के इस ट्वीट के बाद उनकी आलोचना करते नहीं थक रहे हैं। अमान के ट्वीट पर संजुक्ता बासु ने लिखा, “मुझे आश्चर्य है कि मैं अमाल बाली को फॉलो कर रही हूं, उसने सोचा होगा कि वो किताबें पढ़-लिख कर बुद्धिजीवी होने के नाते बकवास कर सकता है जबकि वो एक संघी है। अब पंजाब चुनावों के चलते मुद्दों को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश शुरु हो गई हैं।”

कुछ इसी तरह गुरमेहर कौर नाम की बुद्धिजीवी मानी जाने वाली वामपंथी लेखिका ने अमान बाली की सोच को पितृसत्तात्मक बताया है। इसके अलावा उनके इस ट्वीट को पूर्णतः पितृसत्तात्मक रंग देने की कोशिश बताया गया है। वामपंथी ये दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि सिख युवतियों को शादी करने के लिए किसी की परमिशन की आवश्यकता नहीं है और अमान बाली का ट्वीट सिख महिलाओं पर पड़ रहे दबावों का संकेत देता है। वामपंथियों का कहना है कि किसी भी कीमत पर ये अधिकार केवल युवतियों के पास ही होना चाहिए कि उन्हें किससे शादी करनी है या किससे नहीं।

https://twitter.com/irfanloneK/status/1409806636202397704?s=20

 

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इसके इतर इस पूरे मामले से ये तय हो गया कि जिन अमान बाली ने वामपंथी एजेंडे पर चलकर अनेकों बार समाज में जहर उगला था, वो ही अमान अब धर्मांतरण का सटीक तरीके से विरोध कर रहे हैं तो अब वो वामपंथी उन्हें संघी घोषित कर रहें हैं और ये दिखाता है कि वामपंथी कभी-भी अपनी सुविधानुसार पलटी मार सकते हैं।

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