अमित शाह 2024 से पहले पूर्वोत्तर की सभी समस्याओं का निस्तारण करने की शपथ ले चुके हैं

पूर्वोत्तर अमित शाह

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने “आंदोलन” और “आतंकवाद” को एक साथ जोड़ते हुए रविवार को कहा कि असम में मार्च-अप्रैल में हुए चुनाव में भाजपा की जीत ने संकेत दिया कि राज्य के लोगों ने “विकास को चुना”। अपने दो दिन के मेघालय दौरे पर न केवल अमित शाह ने पूर्वोत्तर के राज्यों के लिए अपना एक्शन प्लान साझा किया, बल्कि आश्वासन देते हुए ये भी कहा कि 2024 लोकसभा चुनावों से पूर्व वर्तमान सरकार पूर्वोत्तर की हर एक समस्या का समाधान कर देगी।

पूर्वोत्तर राज्यों को उनके तप का परिणाम मिलेगा ऐसा कहते हुए अमित शाह ने कहा कि ‘असम के हज़ारों युवाओं ने आंदोलन करते हुए अपनी जान गंवाई है, लेकिन असम को कुछ नहीं मिला। हमारी पार्टी के दूसरे कार्यकाल के लिए सरकार बनाने का मेरा मत यह है कि असम ने आंदोलन और आतंकवाद के खिलाफ जनादेश दिया है और विकास का रास्ता चुना है।’ मई में असम में पार्टी के सत्ता में लौटने के बाद अमित शाह ने पूर्वोत्तर की अपनी दो दिवसीय यात्रा की। यात्रा के अंतिम दिन सार्वजनिक कार्यक्रम में रविवार को गुवाहाटी में उन्होंने कहा, “2024 तक, केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के दूसरे कार्यकाल की समाप्ति से पहले, पिछले साल जनवरी में हस्ताक्षरित बोडोलैंड समझौते के सभी खंड लागू किए जाएंगे।” उन्होंने यह भी कहा कि असम की दक्षिणी पहाड़ियों के कार्बी आंगलोंग में आतंकवादियों के साथ शांति प्रक्रिया भी समाप्त होने वाली है।

अमित शाह ने आतंकवाद को दो-टूक संदेश दिया जिससे कई आतंकी और अलगववादी समूहों की रूहें काँप उठीं हैं। वहीं, विरोधी दल जिस विकास को अनदेखा कर अब तक एनडीए सरकार को पूर्वोत्तर विरोधी बताते आये हैं, आज उसी पूर्वोत्तर के विकास के चर्चे देश भर में हैं। हालांकि, जो विकास दशकों पूर्व हो जाना चाहिए था वो 2014 के बाद से गति पकड़ पाया है।

जब से नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने हैं, वे पूर्वोत्तर के विकास पर जोर दे रहे हैं जो लंबे समय से अधर में लटका हुआ था। उनकी ‘ACT EAST’ की नीति की प्रशंसा खुद पूर्वोत्तर के लोगों द्वारा भी की जा रही है। सड़कों, पुलों और हवाई अड्डों के निर्माण ने पूर्वोत्तर के राज्यों को पूरे भारत से पहले की तरह जोड़ा है।

मोदी सरकार के ही प्रयासों का नतीजा है कि आज 9.15 किलोमीटर लंबा ढोला सादिया पुल जिसे भूपेन हजारिका सेतु भी कहा जाता है, वो भारत का सबसे लंबा पुल बन सका है जो असम और अरुणाचल प्रदेश को जोड़ता है। इसके अलावा असम में 25 दिसंबर को पीएम मोदी ने ब्रह्मपुत्र नदी पर भारत के सबसे लंबे रेल सह सड़क बोगीबील पुल (4.94 किलोमीटर ) का उद्घाटन किया था। इसकी नींव जनवरी 1997 में तत्कालीन प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा ने रखी थी। वैसे तो परियोजना को उद्घाटन की तारीख से छह साल में पूरा किया जाना था, लेकिन असली काम अप्रैल, 2002 तक शुरू नहीं हुआ।

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पुल निर्माण के अलावा पूर्वोत्तर को  सड़क-परिवहन, रेलवे और एयरपोर्ट के नए अवसर और माध्यम देते हुए मोदी सरकार ने 32,000 करोड़ रुपये के निवेश से 4,000 किलोमीटर से अधिक राष्ट्रीय राजमार्गों को मंजूरी दी है; और इस क्षेत्र में लगभग 1,200 किलोमीटर सड़कों का निर्माण किया जा चुका है। यही नहीं, मोदी सरकार ने पूर्वोत्तर में 900 किलोमीटर लंबी पटरियों को ब्रॉड गेज में बदला है। त्रिपुरा को अपनी पहली राजधानी एक्सप्रेस, हमसफर एक्सप्रेस और अन्य लंबी दूरी की ट्रेनें मिलीं। 2014 में मेघालय को राज्य का दर्जा मिलने के 42 साल बाद रेलवे के नक्शे में लाया गया था। यह पूर्वोत्तर का इकलौता ऐसा राज्य था जहां रेलवे लाइन थी ही नहीं। सिक्किम को अपना पहला हवाई अड्डा पिछले साल सितंबर में पाकयोंग हवाई अड्डा के रूप में मिला – और पहली व्यावसायिक उड़ान अरुणाचल प्रदेश के पासीघाट में भरी गई।

यह सब कांग्रेस की सरकारों में होना कोई बड़ी बात नहीं थी, बस पूर्वोत्तर को हमेशा भारत से अलग रखने की भावना ने ही इनकी नीयत को ऐसा बना दिया जिससे पूर्वोत्तर अपने विकास को लेकर हमेशा जंग ही लड़ता रहा, पर मोदी सरकार ने इन मुद्दों को प्राथमिकता में रखते हुए 7 वर्ष के अपने कार्यकाल में सुचारु रूप दिया, जिसके परिणाम अब सबके सामने हैं। पूर्वोत्तर में भाजपा का बढ़ता मत-प्रतिशत इसका सबसे बड़ा उदाहरण है।

सरकारों में पूर्वोत्तर के बढ़ते प्रतिनिधित्व और राज्यों में मुख्यमंत्रियों के अच्छे रिपोर्ट कार्ड की वजह से उनके प्रमोशन की ओर अपनी बात कहते हुए अमित शाह ने कहा कि- प्रधानमंत्री ने हमेशा पूर्वोत्तर क्षेत्र को प्राथमिकता दी है, हाल ही में पूर्व मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल सहित अपने मंत्रिमंडल में पूर्वोत्तर क्षेत्र के पांच मंत्रियों को शामिल किया है। यह सब इसी सरकार में संभव हुआ वरना कांग्रेस या विपक्षी शासन में पूर्वोत्तर को केंद्र में एक प्रतिनिधित्व मिलना भी मुश्किल था।

सभी घुसपैठ और आतंकी तत्वों जैसी समस्याओं पर अपनी बात रखते हुए अमित शाह ने स्पष्ट रूप से यह कहा,, “पूर्वोत्तर राज्यों में विकास की कड़ी तोड़ने वाले हाथ पर उनकी नज़र है और हम 2024 तक इन सभी समस्याओं से पूर्वोत्तर को निजात दिलाने का आश्वासन देते हैं।”

इस दौरे का पूर्ण उपयोग कर शाह ने पूर्वोत्तर के प्रत्येक राज्य के मुख्यमंत्री से चर्चा की। इस दौरे के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को पूर्वोत्तर के आठ राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ अंतरराज्यीय सीमा विवाद और कोरोना से निपटने को लेकर बैठक की। इस बैठक में असम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, नगालैंड, मणिपुर, मिजोरम और सिक्किम के मुख्यमंत्रियों, मुख्य सचिवों और पुलिस प्रमुखों ने हिस्सा लिया। इस बैठक से जो परिणाम निकलने वाले हैं उससे आने वाले दिनों में सरकार घुसपैठियों पर नकेल कसती नज़र आएगी।

शाह के शह और मात वाले खेल को कोई भी नहीं समझ सकता। मोदी-अमित शाह की जोड़ी पूर्वोत्तर में कमल खिलने का कारण भी विकास ही है, जिन नीतियों पर दशकों से काम होने की ज़रूरत थी वो अब जाकर 7 वर्ष के अंतराल में पूरे हो पाए हैं। इसी क्रम में देश की सीमाओं को जोड़ने वाले पूर्वोत्तर के क्षेत्रों को केंद्र की ओर से संरक्षण उन सभी को कचोट रहा है, जो इन सभी राज्यों को विभाजित कर भारत से अलाग करना चाहते थे, पर ऐसा होना अब संभव नहीं।

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