केंद्र द्वारा संसद में पारित तीन कृषि बिलों को लेकर शरद पवार ने किसान आंदोलन का खूब समर्थन किया, लेकिन अब उन्होंने कृषि बिलों के मुद्दे पर किसानों की मांगों से हटकर सुझाव दिया है कि कानून के जिस प्रावधान से दिक्कत हो, उसमें संशोधन किया जाए। उनके इस बयान की कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने भी सराहना की है, लेकिन अचानक ऐसा क्या हुआ कि पवार साहब के सुर बदल गए? इसके पीछे प्रमुख वजह उनके बेटे पर ईडी का शिकंजा कसना है, जिसके बाद कृषि कानूनों का फालतू में विरोध करने वाले शरद पवार ने विपक्षी एजेंडे को नकार कर पलटी मारी है, क्योंकि उन पर और उनके भतीजे अजित पवार पर भ्रष्टाचार के संगीन आरोप हैं।
दरअसल, प्रवर्तन निदेशालय ने महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री अजित पवार के कॉपरेटिव बैंक से संबंधित भ्रष्टाचार की जांच को तेज कर दिया है। इस मामले में एजेंसी ने डिप्टी सीएम से जुड़ी करीब 65.75 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त कर ली है। वहीं, मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामलों में उनसे जुड़ी एक चीनी मिल को भी जब्त संपत्ति में अटैच कर दिया है जो कि पवार की पत्नी के नाम पर है। केंद्रीय जांच एजेंसी ईडी की ताबड़तोड़ कार्रवाई से न केवल अजित पवार बल्कि महराष्ट्र सरकार और एनसीपी प्रमुख शरद पवार को भी बड़ी झटका लगा है।
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प्रवर्तन निदेशालय का कहना है कि महाराष्ट्र के एक सहकारी बैंक ने 2010 में चीनी मिल की नीलामी की थी, जिसे अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार के नाम पर खरीदा गया था। आरोप ये है कि इस नीलामी में बैंक द्वारा जानबूझकर मिल की कीमत कम तय की थी। ईडी के इन आरोपों को अजित पवार ने बेबुनियाद करार दिया है। इसके विपरीत तीन कृषि कानूनों को लेकर लगातार विरोध कर रहे एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने अचानक अपने सुर बदल लिए हैं और ये तक कह दिया कि कानून के जिस प्रावधान से दिक्कत है बस उसे ही बदला जाए।
शरद पवार ने कृषि कानूनों से संबंधित अपने बयान में कहा, “पूरे बिल को खारिज कर देने की बजाए हम उस भाग में संशोधन कर सकते हैं जिसे लेकर किसानों को आपत्ति है। इस कानून से संबंधित सभी पक्षों से विचार करने के बाद ही इसे विधानसभा के पटल पर लाया जाएगा।” उनके इस बदले हुए रुख का केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने भी समर्थन किया है। उन्होंने कहा, “मैं उनकी (शरद पवार) राय से सहमत हूं। केंद्र सरकार उनके इस बयान का समर्थन करती है। हम चाहते हैं कि जल्द से जल्द इस मुद्दे का समाधान हो।”
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शरद पवार के हालिया बयान के बाद ये कहा जा सकता है कि पवार अब कृषि कानूनों के विरोध करने वाले विपक्षी खेमें का साथ छोड़ चुके हैं। शरद पवार को विपक्ष की ओर से कृषि कानूनों का विरोध करने वाला सबसे महत्वपूर्ण चेहरा माना जा रहा था। ऐसे में उनका अपने ही बयानों से पलटी मारना दिखाता है कि अब कृषि कानूनों के मुद्दे पर विपक्ष पूरी तरह बैकफुट पर आ गया है। वहीं सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि शरद पवार के अचानक बदले हुए रुख के लिए उनके भतीजे अजित पवार पर हुई ईडी की कार्रवाई को जिम्मेदार माना जा रहा है।
अजित पवार पर जिस तरह से ईडी की ताबड़तोड़ कार्रवाई हुईं उनके कारण शरद पवार को अपने भतीजे के राजनीतिक भविष्य पर खतरा मंडराता दिखने लगा है, जिसका नतीजा ये है कि शरद पवार किसान आंदोलन के मुद्दे पर ही बैकफुट पर चले गए और बीच का रास्ता निकालने की बात करने लगे हैं। शरद पवार का ये बदला रुख केंद्र सरकार के लिए एक सकारात्मक खबर है।