IIT टू रेल मंत्रालय वाया पेन्सिलवेनिया यूनिवर्सिटी, दिलचस्प है पूर्व IAS अश्विनी वैष्णव की कहानी

उस पूर्व IAS अधिकारी की कहानी जिसे अटल जी ने अपना निजी सचिव तो मोदी जी ने रेल मंत्री बना दिया।

IAS अश्विनी वैष्णव

नए रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव की कहानी 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल के पहले मंत्रिमंडल विस्तार में कई चौंकाने वाले बदलाव किए हैं। कई ऐसे लोगों को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया जिनकी राजनीतिक विश्लेषकों को बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी। इस लिस्ट में ऐसा ही एक नाम है पूर्व IAS अश्विनी वैष्णव का।

पूर्व नौकरशाह अश्विनी वैष्णव को पीएम मोदी द्वारा रेल और सूचना प्रौद्योगिकी जैसे अहम मंत्रालय देना दिखाता है कि प्रधानमंत्री की नजर पहले से ही उनके पूर्व में किए गए कामों पर थी। पूर्व IAS अश्विनी वैष्णव आईआईटी कानपुर के छात्र रहने के साथ-साथ अटल बिहारी वाजपेयी के निजी सचिव भी रह चुके हैं। यही नहीं उन्होंने पेन्सिलवेनिया यूनिवर्सिटी से एमबीए की डिग्री भी हासिल की है।

अश्विनी वैष्णव को ऐसे समय में मंत्री बनाया गया है जब रेलवे के राजस्व को बढ़ाने के लिए विभिन्न तरीकों पर विचार किया जा रहा है। इसमें पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल भी शामिल है। ख़ास बात यह है कि आईएएस रहते हुए अश्विनी वैष्णव को सबसे अधिक पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप यानी PPP फ्रेमवर्क में योगदान के लिए ही जाना जाता है।

अश्विनी वैष्णव ने IIT कानपुर से MTech किया है। वो 1994 बैच के IAS अधिकारी हैं। उन्होंने ओडिशा के बालासोर और कटक जिले के डीएम के तौर पर काम किया था। साल 1999 में उन्होंने ओडिशा के तट पर आए भीषण चक्रवात के दौरान बेहतरीन कौशल का परिचय दिया था। बतौर IAS वे वर्ष 2003 तक ओड़िशा में ही अपनी सेवा देते रहे। हालांकि इसके बाद उनकी सक्षमता को देखते हुए उन्हें तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के ऑफिस में उपसचिव की जिम्मेदारी सौंपी गई।

राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ एक उत्कृष्ट उद्यमी भी है

यहां उन्होंने कई इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप यानी PPP Framewok तैयार किया था। इसके बाद जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री पद से हटे तो अश्विनी वैष्णव को उनका सचिव बनाया गया।

आईआईटी से MTeach कर चुके अश्विनी वैष्णव ने 2008 में सरकारी नौकरी छोड़ दी और अमेरिका के व्हार्टन स्कूल, पेन्सिलवेनिया विश्वविद्यालय से एमबीए करने चले गए।

उन्होंने बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में सार्वजनिक निजी भागीदारी या पीपीपी मॉडल तैयार करने में उत्कृष्ट भूमिका निभाई और गोवा बंदरगाह पर enterprise resource planning (ERP) software लागू किया।

नौकरशाह से उद्यमी और फिर राजनेता बने वैष्णव ने General Electric and Siemens जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनियों में कई शीर्ष पदों पर कार्य किया और जीई ट्रांसपोर्टेशन के साथ प्रबंध निदेशक के रूप में काम किया।

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आखिर में 2012 में उन्होंने कॉरपोरेट सेक्टर छोड़, गुजरात में दो कंपनियां स्थापित की। इन कंपनियों का काम ऑटोमेटिव कम्पोनेंट्स की मैन्युफैक्चरिंग करना था।

उद्यमी होने के साथ ही अश्विनी वैष्णव राजनीति से भी जुड़े रहे और 2019 में बीजेपी ने उन्हें ओड़िशा से राज्यसभा भेजा। यहां तक कि उनकी उम्मीदवारी का राज्य की सत्ताधारी पार्टी बीजेडी ने भी समर्थन किया था और वह निर्विरोध चुने गए थे।

रेलमंत्री का प्रभार संभालने के बाद अश्विनी वैष्णव ने कहा, “पीएम नरेंद्र मोदी का विजन रहा है कि रेलवे के जरिए आम लोगों की जिंदगी में बदलाव लाया जाए। इससे आम आदमी, किसान, गरीब सभी को फायदा मिलना चाहिए। मैं उनके विजन को पूरा करने के लिए काम करूंगा।”

प्रधानमंत्री का अश्विनी वैष्णव को रेल मंत्रालय देना एक चौंकाने वाला फैसला था लेकिन जिस तरह का उनका बायोडाटा है, उनके नेतृत्व में भारतीय रेलवे नई ऊंचाईयों तक जाएगा इसमें किसी को शक नहीं होना चाहिए।

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