असम-मिजोरम विवाद सीमा के लिए नहीं, बल्कि हिमंता के ख़िलाफ़ एक साज़िश है

हिमंता बिस्वा सरमा के मुख्यमंत्री बनने से कुछ लोगों के पेट में दर्द हो रहा है।

मुख्यमंत्री हिमंता

भारत के दो पूर्वोतर राज्यों के बीच चल रही तनातनी को बढ़ाते हुए मिजोरम पुलिस ने असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा और राज्य के छह शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ हत्या के प्रयास और हमले के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की है। जब से असम और मिजोरम की सीमा पर हिंसक झड़प हुई और इसमें असम के कई पुलिस बलों की मौत हुई तभी से तनाव बढ़ा हुआ है।

सोशल मीडिया पर असम के खिलाफ ट्रेंड भी चलने लगा और हिमंता के रिजाइन की मांग उठने लगी। कहने को तो असम और मिजोरम के बीच सीमा विवाद कहा जा रहा है, परन्तु यहाँ निशाने पर असम नहीं है बल्कि असम के मुख्यमंत्री हिमंता हैं। यह कोई सामान्य विरोध नहीं है बल्कि विरोध है उन तत्वों का जिनका कश्मीर की तरह ही पूर्वोतर में ‘अशांति का धंधा’ चलता है।

यह विरोध है पूर्वोतर में अपना फन फैला रहे चर्च का इसके साथ ही यह विरोध है ड्रग माफियाओं और Extortion लॉबी का जिसके खिलाफ हिमंता ने एक्शन भी शुरू कर दिया है।

मिजोरम असम के बीच चल रहे सीमा गतिरोध के बीच एक नया मोड़ देखने को मिला। दरअसल, मिजोरम में पुलिस द्वारा असम के CM के खिलाफ ही FIR दर्ज कर ली गई है। यह दोनों मुख्यमंत्रियों की ट्विटर पर हुई बहस के बाद ही हुआ। यही नहीं ट्विटर पर #shame_on_assam #ShameOnAssam #ShameOnHimantaBiswa #resignassamCM जैसे ट्रेंड्स चल रहे हैं।

एक रिपोर्ट के अनुसार तो ‘शेम ऑन असम हैशटैग का जब यह पता लगाया गया कि इसे कौन ट्रेंड करवा रहा है तो यह बात सामने आई कि ज्यादातर हैंडल अमेरिका से हैं। इन ट्रेंड्स में भारत से हुए ट्वीट एक तिहाई से भी कम थे। इनमें ज्यादातर बॉट्स का इस्तेमाल किया गया था।

अब यहाँ यह सवाल उठता है कि आखिर कौन है जो दोनों राज्यों के बीच तनाव को और अधिक हवा देना चाहता है, जिससे अस्थिरता और अराजकता पूरे क्षेत्र में फ़ैल जाए। नहीं तो कोई छोटे-मोटे सीमा विवाद पर ऐसे पैसे कौन बहाएगा। इसके पीछे ऐसे लोगों का हाथ है जिन्हें पूर्वोतर में शांति से ही नफरत है। ऐसे लोगों के लिए असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा सबसे बड़े बाधक हैं।

पहले हिमंता के पास सिर्फ NEDA यानी  North-East Democratic Alliance की कमान थी, अब तो वे मुख्यमंत्री बन चुके हैं तथा पूर्वोतर को एक करने के लिए अब उनकी ताकत दोगुनी हो चुकी है। इसी ताकत का इस्तेमाल करते हुए उन्होंने एक्शन लेते हुए ड्रग माफियाओं, बीफ ट्रेडर्स तथा तस्करी करने वालों पर कार्रवाई भी शुरू कर दी थी। इससे पूर्वोतर में इंसरजेंसी, ड्रग, extortion, बीफ ट्रेडर्स, बच्चों की तस्करी, तथा चर्च माफियाओं के लिए एक खतरा पैदा हो गया। यही कारण है उन्हें इस तरह से निशाना बनाया जा रहा है ताकि उन्हें किसी भी तरह रास्ते से हटाया जा सके।

हिमंता ने मुख्यमंत्री पद ग्रहण करते ही इसकी शुरुआत भी कर दी थी। सबसे पहले उन्होंने नया पशु कानून के साथ बीफ ट्रेडर्स की चल रही मनमानी पर रोक लगाई। यही नहीं उन्होंने ड्रग्स के खिलाफ स्वयं मोर्चा लिया और असम पुलिस को खुली छुट दी। कार्रवाई में पकडे गए ड्रग्स को उन्होंने स्वयं जलाकर यह सन्देश दे दिया कि अब सिर्फ असम में ही नहीं बल्कि पूरे पूर्वोतर में ड्रग्स माफियाओं के दिन पूरे हो चुके हैं। बता दें कि पूर्वोतर में ड्रग्स का पूरा कार्टेल काम करता है।

इसका कारण यह Golden Triangle है। Golden Triangle, वह इलाका है जहां थाईलैंड, लाओस और म्यांमार की सीमाएं Ruak और Mekong नदियों के संगम पर मिलती हैं। इस नाम का प्रयोग सबसे पहले Central Intelligence Agency (CIA) के एजेंट्स द्वारा प्रयोग होना शुरू हुआ था जब यह क्षेत्र दुनिया भर में सबसे बड़ा ड्रग व्यापार का क्षेत्र बना चुका था।

पूर्वोत्तर राज्य वास्तव में Golden Triangle से बढ़ती ड्रग समस्या के लिए पूरे भारत के लिए एक प्रवेश द्वार की तरह हो चुका हैं। मिजोरम तथा अन्य पूर्वोतर राज्य इस समस्या में डूबे हुए हैं। हिमंता ने तो यह तक कह दिया था कि असम उड़ता पंजाब बनने के कगार पर था। उन्होंने बताया कि ड्रग्स रूट म्यांमार में उत्पन्न होता है और मिजोरम और असम की बराक घाटी से होकर पंजाब तक जाता है।

ऊपर से तो यह एक ड्रग समस्या दिखाई देती है लेकिन अगर आप गहराई से इसकी पड़ताल करेंगे तो यह एक बड़ी समस्या है, जो इन राज्यों में उग्रवाद और insurgent संगठनों को आर्थिक मजबूती देती है। इसी की वजह से NSCN (K) और गारो नेशनल लिबरेशन आर्मी (GLNA) जैसे विद्रोही और उग्रवादी संगठन अभी भी सक्रिय हैं।

यही उग्रवादी संगठन पूर्वोत्तर में ड्रग्स के धंधे को चलाते हैं। वहीं भारत और बांग्लादेश में रोहिंग्या घुसपैठ दोनों देशों में ड्रग्स तस्करी का भी एक बड़ा स्रोत है। यह क्षेत्र नक्सल प्रभावित क्षेत्रों से बहुत दूर नहीं है और इस क्षेत्र में मादक पदार्थों की तस्करी से वामपंथी उग्रवाद को भी फायदा होता है। यानी हिमंता के एक एक्शन से कई भारत विरोधी तत्वों की दुकान बंद होने वाली थी।

वहीँ, हिमंता ने असम के चुनावों में हिंदुत्व के एजेंडे को खुलकर प्रदर्शित किया था। उनका मुख्यमंत्री बनना हिन्दू विरोधी पार्टियों और संगठनों जैसे कि चर्च को पसंद नहीं आया। मिजोरम के इतिहास को देखा जाए तो चर्च वहां सबसे अधिक ताकतवर हैं। वोट भी उन्हें ही मिलता जिन्हें चर्च का समर्थन प्राप्त होता है।

साथ ही मिजोरम में जिस तरह से मूल निवासी Reangs और Bru लोगों को जानबूझ कर निशाना बनाया गया और उन्हें राज्य छोड़ने पर मजबूर कर दिया गया था, उसमें किसी को भी यह संदेह नहीं है कि सबसे बड़ा हाथ किसका था। हिमंता के कद का बढ़ना चर्च के लिए खतरा था। एक हिन्दूवादी मुख्यमंत्री का NEDA का संयोजक होना, चर्च के प्रोपेगेंडा को ध्वस्त कर सकता है।

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हालाँकि, जब हिमंता असम के गृह मंत्री थे तब से ही उन्होंने असम और पूर्वोतर राज्यों को NEDA के तहत लाने का प्रयास किया है। उनका प्रयास सफल भी रहा है। परन्तु अब उनके मुख्यमंत्री बननने के साथ ही केंद्र की मोदी सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया कि जिस तरह से कश्मीर में शांति स्थापित हुई और आतंकियों को सह देने वालों के खिलाफ कार्रवाई हुई उसी प्रकार से हिमंता को भी खुल कर काम करने दिया जायेगा। मुख्यमंत्री बनते ही हिमंता की ताकत दोगुनी हो गयी और और अब वह सिर्फ NEDA समन्वयक ही नहीं थे बल्कि असम के मुख्यमंत्री बन चुके हैं।

इस ताकत से उन्होंने पूर्वोतर को एक करने और शांति स्थापित करने की योजना पर काम शुरू कर दिया था, परन्तु कई पार्टियों, समूह और माफियाओं को पूर्वोतर में शांति पसंद ही नहीं है। ये लोग जानते हैं कि अगर उस क्षेत्र में शांति और स्थिरता स्थापित हो गई तो इन सभी की दुकानों पर ताला लग जाएगा।

उन्हें समस्या असम से नहीं है बल्कि उन्हें समस्या मुख्यमंत्री हिमंता से है, उन्हें समस्या एक मजबूत हिंदूवादी नेता से है, तथा उन्हें समस्या भगवा से है। यही कारण है कि हिमंता विस्वा सरमा पर एक समन्वयित हमला किया जा रहा है जिससे उनका प्रभाव कम हो और उन्हें रास्ते से हटाया जा सके।

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