एक ओर समाज का बड़ा हिस्सा बढ़ती जनसंख्या को लेकर चिंतित है, वहीं दूसरी ओर ईसाई मिशनरियों और चर्च द्वारा ईसाइयों को यह आदेश दिया जा रहा है कि वह पांच बच्चे पैदा करें। भारत के ख़राब स्वास्थ्य ढांचे से लेकर बेरोजगारी तक हर बड़ी समस्या का एक कारण जनसंख्या है, लेकिन इससे केरल के कैथोलिक चर्च को कोई फर्क नहीं पड़ता है। केरल के सीलो मालाबार कैथोलिक चर्च के लिए तो ईसाइयों द्वारा जनसंख्या विस्तार करना एक शस्त्र है, जिससे वह भारत पर सांस्कृतिक विजय पा सकें और लॉर्ड मैकॉले, मैक्समूलर और जेम्स मिल जैसे लोगों का सपना सच कर सकें।
केरल के कैथोलिक चर्च ने ईसाइयों को आदेश दिया है कि वह पांच बच्चे पैदा करें। इंडियन एक्सप्रेस की रपट (रिपोर्ट) के अनुसार जनसंख्या विस्तार को प्रोत्साहित करने के लिए तमाम कल्याणकारी योजनाओं की घोषणा हुई है। केरल के कैथोलिक चर्च द्वारा, पांचवे बच्चे के जन्म पर ईसाई परिवार को हर माह 1500 रुपए की आर्थिक सहायता दी जाएगी। यह योजना उन लोगों के लिए है जिन्होंने सन 2000 के बाद विवाह किया है, अर्थात केरल के कैथोलिक चर्च नवविवाहित जोड़ों को और बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है। चौथे बच्चे और उसके बाद जन्में बच्चों को सेंट जोसेफ कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी में इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए छात्रवृत्ति दी जाएगी। अधिक बच्चे पैदा करने वाली माताओं को Mar Sleeva Medicity hospital में निःशुल्क चिकित्सकीय सहायता दी जाएगी। यह कॉलेज और हॉस्पिटल, दोनों चर्च के अधीन हैं।
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केरल के कैथोलिक चर्च द्वारा घोषित की गई इन योजनाओं से ज्यादा चिंताजनक और ध्यान देने योग्य बात यह है कि इस मामले को राष्ट्रीय मीडिया द्वारा न के बराबर उठाया गया है। यदि ऐसा कोई बयान साक्षी महाराज या अन्य किसी हिन्दू नेता अथवा धर्मगुरु द्वारा दिया जाता, तो इस पर कई दिनों चर्चा होती, लेकिन केरल के कैथोलिक चर्च द्वारा इस पर पूरी योजना की घोषणा कर दी गई है लेकिन किसी चैनल अथवा समाचार पत्र को कोई फर्क नहीं पड़ता। इंडियन एक्सप्रेस ने भी अपनी रिपोर्ट में कोई कठोर शब्द प्रयोग नहीं किया है। उन्होंने तो सीधे तौर पर जनसंख्या विस्तार न लिखकर, अपने सदस्यों की संख्या बढ़ाने जैसे शब्द प्रयोग किए हैं।
जनसंख्या विन्यास में अंतर एक ऐसा कारक है जो किसी देश को सांस्कृतिक, धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक आदि सभी रूपों में सबसे अधिक प्रभावित करता है। ईरान तथा प० एशिया, इसके उदाहरण हैं जहाँ सदियों तक चले जबरन मतांतरण के कारण उन देशों की प्राचीन संस्कृतियां मिट गईं। इसी तरह ईसाइयों ने जब अमेरिका, मेक्सिको, ऑस्ट्रेलिया आदि देशों में कदम रखा तो वहाँ की मूल आबादी को बुरी तरह दबाया गया। माया सभ्यता के बचे अवशेषों को समाप्त कर दिया गया, रेड इंडियन लोगों को मारा गया, ऐसे ही अनेक अत्याचार हुए। सब कुछ जनसंख्या विन्यास में बदलाव के कारण हुआ।
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