मोदी सरकार और बीजेपी ने अपने वैचारिक एजेंडों पर दूसरे कार्यकाल की शुरूआत से ही काम करना शुरू कर दिया है। कोर एजेंडे में शामिल कुछ मुद्दों को लेकर बीजेपी ने एक पैटर्न के अंतर्गत काम किया है। लव जिहाद कानून, जनसंख्या नियंत्रण कानून, गौ संरक्षण कानून इसके सबसे सटीक उदाहरण हैं।
ताजा मामले की बात करें तो कर्नाटक से बीजेपी नेता और विधायक सीटी रवि ने मांग की है कि उत्तर प्रदेश की तर्ज पर कर्नाटक में भी जनसंख्या नियंत्रण कानून पर राज्य की बीजेपी सरकार को काम करना चाहिए। गौरतलब है कि जनसंख्या नियंत्रण का मुद्दा उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ और असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने सबसे पहले उठाया था और अब इस पर कर्नाटक के बीजेपी नेताओं ने चर्चा शुरू कर दी है।
कुछ ऐसे मुद्दे होते हैं जिन पर राष्ट्रीय स्तर पर अचानक कानून लाना सहज नहीं होता है, ऐसे में बीजेपी ने पहले भाजपा शासित राज्यों में ऐसे कानूनों को लागू करने का पैटर्न अपनाया है। उत्तर प्रदेश में जनसंख्या नियंत्रण कानून के संबंध में ड्राफ्ट तैयार कर लिया गया है, जिसके जल्द ही लागू होने की संभावनाएं भी हैं।
वहीं, कर्नाटक के चिकमगलूर से बीजेपी विधायक सीटी रवि ने भी अब राज्य में जनसंख्या नियंत्रण कानून को लाने की बात कही है। उन्होंने कहा है कि कर्नाटक की आबादी तेजी से बढ़ने के कारण इस कानून की अत्यंत आवश्यकता है।
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सीटी रवि ने कर्नाटक में जनसंख्या कानून को लेकर कहा, “अब समय आ गया है कि कर्नाटक अपनी बढ़ती आबादी को नियंत्रित करने के लिए असम और उत्तर प्रदेश की तर्ज पर एक नई जनसंख्या नीति लाए।”
संसाधनों की सीमित उपलब्धता और तगड़ी रफ्तार से इनके दोहन होने को लेकर सीटी रवि ने कहा, “सीमित प्राकृतिक संसाधनों के उपलब्ध होने से जनसंख्या विस्फोट होने पर प्रत्येक नागरिक की जरूरतों को पूरा करना मुश्किल होगा।” सीटी रवि के बयान से साफ है कि अब उत्तर प्रदेश और असम की तरह ही कर्नाटक की येदयुरप्पा शासित बीजेपी सरकार भी राज्य में जनसंख्या नियंत्रण के लिए काम शुरू कर सकती है।
It is high time Karnataka brings in a new population policy on the lines of Assam and Uttar Pradesh to control its growing population.
With the limited natural resources available, it will be difficult to meet the needs of every citizen if there is a population explosion.
— C T Ravi 🇮🇳 ಸಿ ಟಿ ರವಿ (Modi Ka Parivar) (@CTRavi_BJP) July 13, 2021
गौरतलब है कि सबसे पहले जनसंख्या नियंत्रण की बात असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने की थी उसके बाद उत्तर प्रदेश से भी इसकी खबरें आईं। नतीजा ये है कि दोनों ही राज्यों में जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर ड्राफ्ट तैयार हो चुका है। अब इसे कर्नाटक में लागू करने की मांग एक पैटर्न का संकेत देती है।
दरअसल, लव जिहाद का मुद्दा सबसे पहले उत्तर प्रदेश से उठा था; योगी सरकार ने इस अपराध के खिलाफ सख्त कानून बनाया तो असम में भी इसे पारित कर दिया गया। ऐसे में एक वक्त के बाद असम, कर्नाटक मध्य प्रदेश, हरियाणा, गुजरात जैसे राज्यों में लव जिहाद के खिलाफ सख्त कानून बना दिया गया।
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कुछ इसी तरह गौ संरक्षण कानून भी देश के 29 राज्यों में से 20 राज्यों में लागू है, जिसे अपने शासन के दौरान बीजेपी या उसकी सहयोगी पार्टियों ने पारित कराया था। सीएए-एनआरसी जैसा मुद्दा भी सबसे पहले असम से उठा था, हालांकि वो सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हुआ था, लेकिन मोदी सरकार ने उसी मॉडल को अपनाने की प्लानिंग की है।
कुछ इसी तरह अब असम से उठा जनसंख्या नियंत्रण का मुद्दा असम के जरिए कर्नाटक तक पहुंच गया है। ऐसे में ये भी कहा जा सकता है कि ये मुद्दा अभी हरियाणा, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, गुजरात और बिहार में भी उठेगा
राज्यों में कानूनों को पारित करने का पैटर्न असल में बीजेपी की रणनीति को दर्शाता है। जनसंख्या नियंत्रण से लेकर सीएए-एनआरसी और लव जिहाद जैसे मु्द्दे हमेशा ही बीजेपी का मुख्य एजेंडा रहे हैं।
ऐसे में बीजेपी अपने शासित राज्यों में इसे एक पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू कर रही है, जिससे जब वो केंद्रीय स्तर पर इन कानूनों को लागू करवाए तो उसके पास इनकी सफलता के सबूत हों। ऐसा होने पर इन कानूनों को अपनाने के मुद्दे पर चाहते हुए भी कोई विपक्षी दल राजनीतिक दांव नहीं खेल पाएगा और बीजेपी अपने वैचारिक एजेंडों को आसानी से लागू भी करवा सकती है।