प्रोपगैंडावादी पत्रकार अजय शुक्ला एक बार फिर सुर्खियों में है। एक बार फिर भारत-चीन के विषय पर उसने फ़ेक न्यूज़ फैलाने का प्रयास किया है, लेकिन इंडियन आर्मी ने इस एजेंडाबाज पत्रकार की पोल खोलकर रख दी। कभी इंडियन आर्मी का ही हिस्सा रहे इस कथित विश्लेषक ने अपनी फ़ेक न्यूज़ के जरिए भारत में तनाव भड़काने का प्रयास किया, लेकिन इसे मुंह की खानी पड़ी।
बिज़नेस स्टैन्डर्ड पर एक लेख प्रकाशित हुआ था जो अजय शुक्ला द्वारा लिखा गया था। इस लेख में कथित तौर पर यह अटकलें लगाई गईं थी कि भारत और चीन के बीच पिछले वर्ष गलवान घाटी में हुई हिंसा के बाद फिर से झड़प हुई थी।
इसको लेकर भारतीय सेना ने स्टेटमेंट जारी किया। रक्षा पत्रकार शिव अरूर द्वारा शेयर किए गए स्टेटमेंट के अंश में लिखा था, “14 जुलाई को बिज़नेस स्टैन्डर्ड पत्रिका में एक लेख प्रकाशित हुआ था, जिसमें पूर्वी लद्दाख में किसी हिंसक झड़प की बात की गई, जिसमें भारत और चीन की सेनाएँ शामिल थी”।
The Indian Army has just issued this statement: pic.twitter.com/1XchSffjVf
— Shiv Aroor (@ShivAroor) July 14, 2021
इस बयान में आगे कहा गया, “ये लेख न सिर्फ भ्रामक है, बल्कि अफवाहों से परिपूर्ण है। चीन के साथ हमारे कोई भी समझौते रद्द नहीं हुए हैं। ये कोरी बकवास है। फरवरी में जब से हमारी सेनाओं ने धीरे धीरे अपनी सेनाएं वापिस भेजी हैं, तभी से स्थिति सामान्य है। गलवान छोड़िए और किसी भी क्षेत्र में कोई तनातनी की खबर सामने नहीं आई है। पत्रकार अजय शुक्ला ने ये लेख गलत इरादे से लिखा है”।
भारतीय सेना ने ये बात गलत भी नहीं कही है क्योंकि अजय शुक्ला ऐसे ही प्रोपगैंडा के लिए जाने जाते हैं। कभी भारतीय सेना में ही अफसर रह चुके पत्रकार अजय शुक्ला वामपंथियों के प्रिय विश्लेषक माने जाते हैं। पिछले वर्ष भी भारत-चीन के बीच उत्पन्न तनाव के विषय पर उन्होंने अपने प्रोपगैंडावादी लेखों से आग में पेट्रोल डालने का प्रयास किया था।
पिछले वर्ष जब गलवान घाटी में हिंसा भड़की थी, तब भी अजय शुक्ला चीन के इशारे पर ही प्रोपगैंडा फैला रहे थे! 23 मई से ही वे फ़ेक न्यूज फैलाने में जुट गए थे। जनाब ने यह दावा कर दिया कि 5 हज़ार चीनी सैनिक भारत की भूमि पर हैं। इसके बाद हैरान-पूर्ण तरीके से 26 मई को ये संख्या 10 हज़ार पर पहुँच गयी। हालांकि, Open Source Intelligence Community (OSINT) ने जल्द ही अजय शुक्ला के झूठ का पर्दाफाश कर दिया, और यहाँ तक कि चीन के वे जादुई सैनिक सैटेलाइट images में भी नहीं दिखे।
जब OSINT ने अजय शुक्ला के झूठ का भंडाफोड़ किया तो अजय ने OSINT के खिलाफ ही जहर उगलना शुरू कर दिया। अजय यही नहीं रुके, आगे बढ़कर उन्होंने रक्षा मंत्री के नाम पर ही यह फेक न्यूज़ फैला दी कि चीनी सेना LAC के इस तरफ़ आ गयी है। बाद में PIB को इस फेक न्यूज़ का भंडाफोड़ करना पड़ा।
विडंबना की बात तो यह है कि यदि अजय को एक भी खरोंच लग जाए तो इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला माना जाता है, लेकिन ऐसे प्रोपगैंडावादी को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर कुछ भी झूठ बोलने का पूरा अधिकार है, चाहे देश की सुरक्षा ही खतरे में क्यों न आ जाए?
अजय का जहर उगलना फिर भी बंद नहीं हुआ। यहाँ तक कि कुछ पूर्व जवान और OSINT के सूत्र यह कहते रहे कि चीन के सैनिकों को लद्दाख में मुंह की खानी पड़ी है। साफ था कि अजय शुक्ला झूठ बोल रहे थे, पता नहीं किसके इशारे पर लेकिन वो चीन की भाषा बोल रहे थे, इसलिए कोई संशय नहीं है।