पाकिस्तान में चीन अपने CPEC समेत कई छोटे-बड़े प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहा है, जिसके तार बलूचिस्तान तक जाते हैं। बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सरकार और सेना समेत चीनी प्रोजेक्ट के खिलाफ चल रहा विद्रोह चीन के लिए मुसबीत की वजह बन गया है। हाल ही में चीनी इंजीनियरों से भरी एक बस में हुए आतंकी हमले में दस लोगों की मौत हो गई थी, जिसके बाद एक तरफ जहां पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी को चीन तलब किया गया है, तो दूसरी ओर चीनी इंजीनियर्स अपनी सुरक्षा अब खुद ही करने लगे हैं। इन लोगों ने पूरे पाकिस्तान में आतंकियों के डर से अपने साथ AK-47 रखना तक शुरु कर दिया है।
पाकिस्तान विकास के नाम पर चीन के आगे पंगु तो बन ही चुका है, लेकिन उसके घर का आतंक अब उसके ही लिए ही मुसीबत बन गया है। चीन अपनी विस्तारवादी नीति के तहत विकास के नाम पर धीरे-धीरे कब्जा जमाने की कोशिश कर रहा है। हालांकि, पाकिस्तान इससे खुश है, लेकिन उसकी ये खुशी पाकिस्तान के ही विद्रोहियों द्वारा देखी नहीं जा रही है। आए दिन चीन स्पॉन्सर्ड प्रोजेक्ट्स के पास काम कर रहे इंजीनियर्स की मौत की खबर आती रहती है। इसी बीच खैबर पख्तूनख्वा में चीनी इंजीनियरों की बसों पर हुए हमले ने चीन को हिला कर रख दिया है और चीन के आक्रोश की कीमत अब पाकिस्तान को चुकानी पड़ रही है।
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पाकिस्तानी सेना चीनी इंजीनियर्स को विद्रोहियों से लेश मात्र भी सुरक्षा नहीं दे पा रही है। ऐसे में अब सोशल मीडिया पर तस्वीरें वायरल हो रही हैं जिसमें चीनी इंजीनियरों के हाथों में टूलकिट की जगह ऐके-47 दिख रही हैं। चीनी इंजीनियर्स अब अपनी सुरक्षा खुद ही करने पर मजबूर हो गए हैं। ये तस्वीरें विद्रोहियों के डर का संकेत देती है। इसके विपरीत चीन लगतार हो रहे आतंकी हमलों से आक्रोशित है, इसलिए अब चीन ने पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी को बीजिंग तलब कर दिया है। खबरें हैं कि विदेश मंत्री चीन के दौरे पर जल्द ही जा सकते हैं।
चीन केवल सुरक्षा के लिए ही पाकिस्तानी सरकार और सेना को एक मोटी रकम देता है, जिसके तहत चीनी इंजीनियर्स के काम करने वाले स्थानों पर पाकिस्तानी सैनिक तैनात होते हैं, लेकिन 2016 से लेकर अब तक आतंकी हमलों और लोगों की मौतों में कोई कमी नहीं आई है। इसके विपरीत जिन जगहों पर चीनी इंजीनियर्स रुकते हैं, तो उन होटलों से लेकर घरों तक में आतंकी हमला कर देते हैं। इन सभी आतंकी वारदातों से चीन के सब्र का बांध अब टूट गया है। ऐसे में अब उसने खुद अपने सैनिकों को ऐके-47 मुहैया करा दी है अब वो न जाने कितना काम करेंगे, और कितनी सुरक्षा।
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चीनी प्रोजेक्ट्स के खिलाफ पाकिस्तान के स्थानीय नागरिकों में आक्रोश है, जिसका सामना आए दिन चीनियों को करना पड़ता है। इससे एक हास्यासपद बात ये भी लगती है, कि जिस चीन के इंजीनियरों पर पाकिस्तानी आतंकियों द्वारा आए दिन हमले होते हैं, वही चीन संयुक्त राष्ट्र जैसी संस्थाओं में उन्हें अंतर्राष्ट्रीय आतंकी घोषित होने से बचाने के लिए वीटो पावर तक का इस्तेमाल कर लेता है। इसके विपरीत अब उसे खुद अपने बहुउद्देशीय प्रोजेक्ट्स के काम के दौरान पाकिस्तानी आतंकियों व विद्रोहियों का सामना करना पड़ रहा है, नतीजा ये कि अब चीनी इंजीनियर्स अपनी सुरक्षा खुद करेंगे।