प्राचीन समय से ही भारतीय समाज में कई प्रकार की प्रथाएं विद्यमान रही हैं जिनमें से अधिकांश परंपराओं का आरंभ किसी अच्छे उद्देश्य से किया गया था, लेकिन समय बीतने के साथ-साथ इन प्रथाओं की उपयोगिता पर भी प्रश्नचिंह लग गया, नतीजतन अनेक मान्यताएं अपना महत्व पूरी तरह गंवा चुकी हैं। परंतु कुछ परंपराएं ऐसी भी हैं, जो बदलते समय के साथ-साथ अधिक विकराल रूप लेती जा रही हैं। ऐसे में जरूरी था कि इस तरह की मान्यताओं को सरकार द्वारा नकारा जाए लेकिन छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल तो इन कुरीतियों को बढ़ावा देने में लगे हैं। जी हाँ, सुनने में भले ही यह बात विचित्र लगे परंतु यह बात सौ- प्रतिशत सच है। दरअसल, बात भूपेश सिंह बघेल की सरकार कर्ज में डूबे निजी संस्थान चंदुलाल चंद्राकार मेडिकल मेमोरियल कॉलेज को खरीद कर, उसे सरकारी मान्यता देने की तैयारी में है।
125 करोड़ रुपए से ज्यादा के कर्ज में डूबा ये मेडिकल संस्थान मुख्यमंत्री भूपेश सिंह बघेल की बेटी दिव्या बघेल के चचेरे ससुर मंगल प्रसाद चंद्राकार का है। इस प्राइवेट मेडिकल संस्थान का नाम चंदुलाल चंद्राकार मेडिकल मेमोरियल कॉलेज है, ये कॉलेज छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में स्थित है। इस निजी संस्थान को कांग्रेस पार्टी के पूर्व लोकसभा सांसद और पूर्व केन्द्रीय मंत्री चंदुलाल चंद्राकार ने बनवाया था। साल 1995 में कांग्रेस नेता के देहांत के बाद, इस मेडिकल संस्थान के निदेशक के रूप में मंगल प्रसाद चंद्राकार को नियुक्त किया गया था। बता दें कि चंदुलाल चंद्राकार मेडिकल मेमोरियल कॉलेज एक निजी मेडिकल संस्थान है, जिसके 59 share होल्डेर्स है। 59 में से एक मंगल प्रसाद चंद्राकार है और इनकी हिस्सेदारी 4 प्रतिशत है।
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ऐसे में छत्तीसगढ़ सरकार विधानसभा में एक बिल पारित करने वाली है, जिससे इस संस्थान को प्राइवेट से सरकारी संस्थान में बदल दिया जाएगा। बिल के बारे में द इंडियन एक्सप्रेस ने लिखा है कि,‘मेडिकल कॉलेज ने राज्य सरकार से कॉलेज का अधिग्रहण करने का अनुरोध किया क्योंकि ये “वित्तीय कठिनाइयों” से गुज़र रहा है। कई छात्र मेडिकल कॉलेज में पढ़ रहे हैं, इस कानून से संबंधित विधेयक में अधिग्रहण के कारणों का विवरण’ दिया गया है। राज्य सरकार इस मामले में पूर्णतः संतुष्ट है कि “तत्काल अधिग्रहण” “जनहित में आवश्यक” है।
सरकार द्वारा ड्राफ्ट बिल यह भी कहता है कि, राज्य सरकार मेडिकल कॉलेज के कर्ज और संपति के बारे में लेखा-जोखा करेगी, उसके बाद कर्जदारों को उनका कर्ज अदा करेगी। मौजदा समय में यह कर्ज 125 करोड़ से ज्यादा हो गया है।
इसमें दिलचस्प बात यह है कि बघेल सरकार के अपने अफसर इस बिल के खिलाफ हैं, उन्होनें खास तौर पर तीन विषय पर आपत्ति प्रकट की है। पहला – चंदुलाल चंद्राकार मेडिकल मेमोरियल कॉलेज के ऊपर 125 करोड़ रुपये का कर्ज है। दूसरा- साल 2018 में मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने मेडिकल कॉलेज के अधिग्रहण मे मामले में घपलेबाजी की बात कहीं थी,और तीसरा-, मेडिकल कॉलेज की मान्यता 2017 के बाद से छिन ली गई थी।
इस विषय पर मुख्यमंत्री बघेल के दामाद और आल इंडिया प्रॉफेश्नल कांग्रेस के छत्तीसगढ़ इकाई के अध्यक्ष के क्षितिज चंद्राकार ने कहा, ‘मैं इस बिल का समर्थन करता हूं। यह बिल पारिवारिक कारणों से नहीं लाया गया है। मेरे पिता और मेरे चाचा के बीच 6-7 सालों में कोई बात नहीं हुई है।’
द इंडियन एक्सप्रेस ने अपने सूत्र के हवाले से लिखा है कि, ‘चंद्राकार परिवार के एक करीबी सदस्य ने भी छत्तीसगढ़ सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि बघेल सरकार भाई-भतीजावाद के चलते यह कानून लेकर आई है। यह बहुत गलत हो रहा है।’ इससे स्पष्ट होता है कि कांग्रेस पार्टी में परिवारवाद और उसे जुड़े भ्रष्टाचार किस हद तक है।
भारत की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी, आजादी के बाद से मुख्यतौर पर एक पारिवारिक पार्टी बन कर रह गई है। वर्तमान में कांग्रेस पार्टी का कर्ता-धर्ता गांधी परिवार है। पार्टी के अंतर्गत एक सुई भी गांधी परिवार के सहमति के बिना नहीं हिलती है। कांग्रेस पार्टी दशकों से भ्रष्टाचार में लिपटी हुई है और यह भ्रष्टाचार गांधी परिवार के शह से होता है। इस मामले में हम गांधी परिवार की चर्चा इसलिए कर रहें है क्योंकि ठीक इसी प्रकार का एक घोटाला गांधी परिवार पहले ही कर चुका है।
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अगर हम नेशनल हेराल्ड के मामले को देखें तो, तो वो भी एक निजी कंपनी थी, जिसको राहुल गांधी और सोनिया गांधी के परिवार ने गैर-कानूनी तरीके से हथिया लिया था। फिलहाल इस घोटाले का मामला कोर्ट में चल रहा है। इसके अलावा बघेल ने सोनिया गांधी से यह भी सीखा है कि, भाई- भतीजावाद को कैसे निभाया जाता है।
इस मामले को रॉबर्ट वाड्रा के जमीन सबंधी घोटाले के तर्ज पर देखें तो, भूपेश सिंह बघेल ने आज वही किया है, जो हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने रॉबर्ट वाड्रा के लिए 2008-09 में किया था। हुड्डा ने भी कानूनी तौर पर वाड्रा को जमीन घोटाले में मदद की थी। इससे स्पष्ट होता है कि कांग्रेस पार्टी के अंदर भाई-भतीजावाद और भ्रष्टाचार की जड़ें काफी गहरी हैं, और संभवतः आगे भी ऐसे ही चलता रहेगा।