‘Mansukh Mandaviya को अंग्रेजी नहीं आती’, कांग्रेस खुलेआम अपनी छोटी सोच का प्रदर्शन कर रही है

स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया को अंग्रेज़ी के कारण ट्रोल किया जा रहा है!

मनसुख मंडाविया अंग्रेजी

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कहते हैं कि भाषा किसी व्यक्ति के ज्ञान का प्रमाण नहीं हो सकती, वो बस बातों को प्रकट करने का एक माध्यम है। इसके विपरीत कांग्रेस पार्टी का जनता से जुड़ाव इतना कम हो गया है कि अब पार्टी अंग्रेजी के आधार पर लोगों का मजाक उड़ा रही है। मोदी कैबिनेट के विस्तार के बाद देश के नए स्वास्थ्य मंत्री बने मनसुख लक्ष्मणभाई मंडाविया के पुराने ट्वीट के आधार पर उन्हें जमकर ट्रोल किया जा रहा है। इसके पीछे मुख्य रूप से मोदी सरकार में उनको मंत्री पद देने के लिए टारगेट करना है और इसके लिए कांग्रेस पार्टी और उसके सोशल मीडिया समर्थक यूजर्स किसी भी हद तक नीचे गिरने से भी परहेज नहीं कर रहे हैं।

देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी अब विरोध के लिए इतना अधिक नीचे गिर गई है कि पार्टी के लिए साक्षरता और ज्ञान का पर्याय भाषा हो गई है। पार्टी के नेता और समर्थक नए स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया को उनके पुराने ट्वीट्स के कारण ट्रोल कर रहे हैं। दरअसल, स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया के साल 2013-14 के ट्वीट्स के स्क्रीनशॉट वायरल किए जा रहे हैं। उनके अंग्रेजी में लिखे उनके ट्वीट्स की गलत स्पेलिंग, वाक्यों को लेकर उनका मजाक उड़ाया जा रहा है। हालांकि, ये सभी ट्वीट्स काफी पहले ही उनके द्वारा डिलीट किए जा चुके हैं।

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इसके विपरीत जब मनसुख मंडाविया ने कैबिनेट पद की शपथ ली और उन्हें स्वास्थ्य मंत्री का पद मिला, तो विपक्षी दलों के आईटी सेल वाले और समर्थक उनके ट्वीट्स के पुराने स्क्रीनशॉट वायरल करने लगे। जब इस बारे में मनसुख मंडाविया से सवाल पूछा गया, तो हंसकर मामले को ही टाल दिया और बोले कि मंत्री बनने के बाद ट्रोलिंग एक आम बात हो जाती है। साफ है कि मनसुख मंडाविया इस ट्रोलिंग को ज्यादा महत्व नहीं देना चाहते हैं। मनसुख मंडाविया ने खुद कहा है कि अंग्रेजी बोलना ही काम करने और ज्ञान का प्रमाण नहीं हो सकता है।

मनसुख मंडाविया मूल रूप से गुजराती हैं, इसलिए उनकी मुख्य भाषा भी गुजराती ही है। ऐसे में कहा जाता है कि यदि गुजराती व्यक्ति हिंदी बोलने की भी कोशिश करता है तो वो सराहनीय बात होगी। इसके विपरीत मनसुख मंडाविया तो अंग्रेजी में ट्वीट करने की कोशिश कर रहे थे। उनके पास अन्य बड़े नेताओं की तरह कोई सोशल मीडिया हैंडल करने वाली टीम नहीं है। वो खुद ही अपने ट्वीट मैनेज करते हैं। ऐसे में भाषाई त्रुटियां होना एक आम बात है, लेकिन इसको लेकर कांग्रेस ने अपनी विकृत मानसिकता का परिचय दे दिया है।

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जनता को अंग्रेजी से मतलब नहीं है, बल्कि उसके लिए मुख्य मुद्दा ये है कि उनकी आवाज मंत्री तक पहुंचनी चाहिए और वो खुद उनकी आवाज जिम्मेदार लोगों के कान में डाले, जिससे समस्याएं हल हों। वहीं कांग्रेस की अपनी उल्टी ही नीति है, जिसके चलते कांग्रेस का जनता से जुड़ाव खत्म होता जा रहा है। यही कारण है कि कांग्रेस अब भाषा के आधार पर लोगों के ज्ञान का आंकलन कर रही है, जिसका वास्तविकता से कोई सरोकार नहीं है।

मनसुख मंडाविया गुजरात की राजनीति में बीजेपी के एक अहम राजनेता माने जाते हैं। वहीं कोरोना काल में लोगों की सुरक्षा के लिए उन्होंने विशेष काम भी किए हैं, जिसके पीछे उनकी खूब सराहना भी हुई है और मंत्रीपद भी इसके चलते ही मिला है। कांग्रेस को यही बात सबसे ज्यादा खटक रही है, पार्टी के पास खिलाफ में बोलने को कुछ नहीं है, तो वो मनसुख मंडाविया के पुराने ट्वीट्स के आधार अंग्रेजी का ही मजाक उड़ाने में लगी है।

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