देश में पहली बार Digital tool से इकठ्ठा किया जाएगा प्रवासी मजदूरों का Data, जानिए कैसे ये गेमचेंजर होगा ?

इस सर्वेक्षण के दौरान 300,000 श्रमिकों के घरों को नमूने के तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा!

प्रवासी मजदूरों

श्रम मंत्रालय ने देश में प्रवासी मजदूरों के लिए “गेम चेंजर “ के तौर पर एक ‘मेगा सर्वेक्षण’ योजना की शुरुआत की है। इस योजना में पहली बार डिजिटल उपकरणों का इस्तेमाल किया गया है। यह योजना देश के आर्थिक डेटा एकत्रित करने के तरीके को बदल सकती है।

वर्तमान में भारत में सामाजिक आर्थिक डेटा को एकत्रित करने के लिए statistical survey की प्रक्रिया का इस्तेमाल होता है। चूंकी इस प्रक्रिया को मैन्युअल रूप से अंजाम दिया जाता है, जिसके कारण यह प्रक्रिया जटिल साबित होती है।

प्रवासी मजदूरों के सर्वेक्षण अभियान का प्रस्ताव कोरोना वायरस संक्रमण के पहले चरण के दौरान ही रखा गया था। कोरोना संक्रमण के पहले चरण के दौरान लाखों मजदूरों ने शहर छोड़ अपने गाँव की ओर पलायन किया था। केंद्र सरकार श्रमिकों को डेटा के अभाव के कारण मदद पहुंचाने में विफल रही थी। ऐसे में भारत सरकार उनकी मदद करने हेतु डिजिटल सर्वेक्षण योजना का प्रस्ताव रखा था।

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श्रम विभाग के निदेशक डीपीएस नेगी ने बताया कि, “यह सर्वेक्षण योजना एक गेम चेंजर साबित होने जा रही है, क्योंकि यह न केवल हमें प्रवासी मजदूरों के बारे में जानकारी प्रदान देगी, बल्कि इसे पहली बार सटीकता और प्रामाणिकता के साथ मदद करने के लिए एक राष्ट्रीय सर्वेक्षण पूरी तरह से डिजिटल रूप से सक्षम किया गया है।”

भारत सरकार ने 31 मार्च 2021 को दो नेशनल सर्वे की घोषणा की थी। पहले सर्वे का उद्देश्य यह है कि प्रवासी मजदूरों को ट्रैक किया जाएगा, फिर उनकी सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति का पता लगाया जाएगा। इसके अलावा यह पता लगाया जाएगा कि वो कहां और किस क्षेत्र में काम करते हैं। दूसरे सर्वे का उदेश्य यह था कि वो देश के 150,000 कंपनियों से श्रमिकों के बारे में जानकारी हासिल करें। प्रवासी मजदूरों को ट्रैक करना अथवा उनकी आर्थिक हालात का पता लगाने की कवयाद शुरू हो चुकी है।

श्रम विभाग के निदेशक के अनुसार, यह प्रक्रिया पूरी तरह से डिजिटल माध्यम से हो रही है। यही नहीं इस प्रक्रिया में Artificial intelligence का भी इस्तेमाल किया जा रहा है।  Artificial intelligence डेटा को समेटने और व्यवस्थित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, यह न केवल डेटा को तेजी से कैप्चर और समेटेगा बल्कि खामियों को भी सही करेगा। बता दें कि इस प्रक्रिया में voice to text सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जा रहा है। डीपीएस नेगी ने आगे बताया कि, “इस प्रक्रिया के दौरान 300,000 श्रमिकों के घरों को नमूने के तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा और 150,000 कंपनियों से श्रमिकों के बारे में डेटा एकत्रित किया जाएगा।”

प्रवासी श्रमिक सर्वे के बाद श्रम विभाग के पास यह जानकारी होगी कि वो किस क्षेत्र में काम कर रहे हैं। साफ शब्दों में कहें तो, मंत्रालय के पास यह जानकारी होगी कि कितने श्रमिक कोयला खनन क्षेत्र में काम कर रहें है और कितने कपड़ा क्षेत्र में। आर श्रीनिवास मूर्ति एक अर्थशास्त्री है, जो पहले नारायण मेघाजी लोखंडे महाराष्ट्र इंस्टीट्यूट ऑफ लेबर स्टडीज के साथ थे। उन्होंने इस मसले पर अपना विचार व्यक्त करते हुए कहा कि, “सामाजिक-आर्थिक आंकड़ों के संदर्भ में, हमें इस बारे में जानकारी चाहिए कि वे कौन हैं, वे क्या करते हैं, वे कहाँ काम करते हैं। तभी हम जान सकते हैं कि वे किस तरह की कमजोरियों से पीड़ित हैं। मुझे उम्मीद है कि सर्वेक्षण काफी बारीक होगा।”

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केंद्र सरकार ने जून 2021 में कोरोना की मार से जूझ रहे प्रवासी मजदूरों की मदद करने हेतु one nation, one ration card योजना का ऐलान किया था। इस योजना के तहत देश का हर गरीब मजदूर अपने राशन कार्ड के माध्यम से कहीं भी, किसी भी क्षेत्र में राशन ले सकता है।

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