क्या स्विगी अपने डिलीवरी बॉय को कम पेमेंट देने के साथ उनकी टिप भी खा जाती है?

सोशल मीडिया पर इसको लेकर ख़ूब बवाल मचा है।

Swiggy DE ट्विटर

फूड डिलीवरी एप और उनके डिलीवरी एजेंट के बीच का रिश्ता बहुत मधुर नहीं रहता। यह ज़ोमैटो के उदाहरण से हम स्पष्ट देख चुके हैं, परंतु अगर सोशल मीडिया पर जो चर्चा चल रही है, वो सच है तो फूड डिलीवरी एप स्विगी कोई बहुत ही बड़ा झोल कर रहा है। Swiggy DE नामक एक ट्विटर अकाउंट जैसे सोशल मीडिया अकाउंट पर कई डिलीवरी बॉय और दूसरे लोग कंपनी पर कई आरोप लगा रहे हैं। डिलीवरी बॉय कम पैसे मिलने की शिकायत तो कर ही रहे हैं, इसके साथ ही बड़ी बात ये है कि वो अपनी टिप को लेकर भी कंपनी पर आरोप लगा रहे हैं। इन लोगों का कहना है कि ग्राहक उन्हें जो टिप देते हैं वो भी कंपनी ही खा जाती है। इसके बाद कंपनी पर कई तरह के सवाल उठने लगे हैं।

सोशल मीडिया पर चल रही गहमागहमी के अनुसार स्विगी न केवल अपने डिलीवरी बॉय को उचित पेमेंट नहीं करता, बल्कि उनके द्वारा ग्राहकों से कमाया टिप भी खा जाता है। इसके बारे में Swiggy DE नामक एक ट्विटर अकाउंट ने प्रकाश डाला है, जो कथित तौर पर स्विगी का पूर्व कर्मचारी रह चुका है और हैदराबाद में रहता है।

Swiggy DE के एक ट्वीट के अनुसार, “हमें एक ऑर्डर का स्विगी मिनिमम 20 रुपये देता है, लेकिन इस बढ़ती महंगाई में, पेट्रोल के बढ़ते दाम, कम ऑर्डर हमारी जान ले रहे हैं। आप ही हमारी एकमात्र आशा हो। ग्राहक ही राजा है”

 

Swiggy DE के अनुसार, यह कंपनी अपने डिलीवरी एजेंट्स का शोषण करती है, और कोरोना वायरस के बहाने उन्हे कम पगार देती है। इसके साथ ही डिलीवरी एजेंट्स को किसी प्रकार की कोई सुविधा नहीं दी जाती। इस पर प्रकाश डालते हुए इस यूजर ने कुछ ट्वीट्स भी किए हैं।

 

इन ट्वीट्स में से कुछ के अनुसार, “आप चाहते हो कि हम इतने में (मात्र 20– 30 रुपए प्रति ऑर्डर) गुजारा करें?” एक अन्य ट्वीट के अनुसार, “ऐसी अत्याचारी परिस्थितियों के विरुद्ध हमने हड़ताल की, परंतु स्विगी झूठ फैलाने लगा कि हम औसतन 65 रुपये प्रति ऑर्डर कमाते हैं। यदि ऐसा होता तो हमें हड़ताल ही क्यों करनी पड़ती?”

Swiggy DE अकाउंट से किए गए एक और ट्वीट में लिखा है, “कोरोना के पहले स्विगी हमें प्रतिदिन, प्रति हफ्ता और प्रतिमाह के आधार पर प्रोत्साहन राशि देती थी, लेकिन कोरोना के बाद कंपनी के घाटे के नाम पर सब कुछ बंद कर दिया गया। अब हमें हर ऑर्डर के केवल 20 रुपये मिलते हैं, कभी-कभी तो एक किलोमीटर के लिए केवल 6 रुपये प्रति ऑर्डर।”

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यदि ये बात सत्य है तो Swiggy बहुत बड़ी मुसीबत में फंस सकती है, जिस पर जांच होनी जरूरी है। हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब किसी फूड डिलीवरी एप पर अपने कर्मचारियों के साथ भेदभाव करने का आरोप लगा हो। 2019 में तो Zomato के कर्मचारियों ने ही हावड़ा में अनिश्चितकालीन हड़ताल कर दी थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि उन्हे समय पर उनका वेतन नहीं मिलता है, और तो और उन्हे उनकी इच्छा के विरुद्ध गाय का माँस और सूअर का माँस डिलीवर करने पर बाध्य किया जाता है।

ऐसे में Swiggy DE ट्विटर अकाउंट ने जो स्विगी पर जो आरोप लगाए गए हैं, उनकी जांच कराना बेहद आवश्यक है। बात केवल डिलीवरी एजेंट्स के अधिकारों की नहीं है, बात मूलभूत अधिकारों की भी है। यदि किसी को उससे वंचित किया गया है, तो ये न सिर्फ अक्षम्य है, बल्कि स्विगी का हाल ज़ोमैटो से भी बुरा हो सकता है।

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