पंजाब में गाँधी परिवार ने जिस मकसद के साथ नवजोत सिंह सिद्धू को कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बनाया था वो अब पूरा होता दिखाई दे रहा है। नवजोत सिंह सिद्धू ने कल अमृतसर में अपने आवास पर 62 विधायकों के साथ बैठक की। इसे नवजोत सिंह सिद्धू का शक्ति प्रदर्शन कहा गया। पंजाब विधानसभा की 117 सीटों में से 80 सीटें कांग्रेस के पास हैं। इन 80 में से अब 62 विधायक साफतौर पर सिद्धू के साथ आ चुके हैं। ऐसे में एक चीज़ साफ दिखाई दे रही है कि इस वक्त पलड़ा सिद्धू का ही भारी है।
सिद्धू के समर्थन में 62 विधायकों के आने से गांधी परिवार का सीएम अमरिंदर के राजनीतिक करियर को बर्बाद करने का मक्सद पूरा हो गया है। अब कैप्टन को भी गांधी परिवार को नष्ट करने के लिए कांग्रेस से अलग होकर कुछ कठोर कदम उठाने होंगे।
पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किए जाने के कुछ दिनों बाद ही नवजोत सिंह सिद्धू के पक्ष में 62 विधायकों के आने को परिवर्तन की हवा कहा जा रहा है।
About 62 MLAs arrive at Punjab Congress President Navjot Singh Sidhu's residence in Amritsar: Sidhu's Office pic.twitter.com/G03RiYcNSy
— ANI (@ANI) July 21, 2021
Winds of Change – Of the People By the People For the People | Chandigarh to Amritsar | 20 July 2021 pic.twitter.com/CRBQLqMJk2
— Navjot Singh Sidhu (@sherryontopp) July 21, 2021
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सिद्धू ने पंजाब कांग्रेस प्रमुख की औपचारिक रूप से भूमिका संभालने से पहले 77 कांग्रेस विधायकों को स्वर्ण मंदिर में मत्था टेकने का निमंत्रण भेजा था। हालांकि, केवल 62 ने ही निमंत्रण स्वीकार किया था और कल सुबह सिद्धू से मिले। राजा वारिंग, डॉ राज कुमार वेरका, इंदरबीर बोलारिया, बरिंदर ढिल्लों, मदन लाल जलापुरी, हरमिंदर गिल, हरजोत कमल, हरमिंदर जस्सी, जोगिंदर पाल, परगट सिंह, गोबया और सुखजिंदर रंधावा सहित कुछ अन्य प्रमुख सांसद सिद्धू के घर पहुंचे थे।
यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि गाँधी परिवार ने जानबूझ कर कैप्टन के खिलाफ यह चाल चली थी। कैप्टन ने पिछले कई वर्षों में विभिन्न मुद्दों पर कांग्रेस की पार्टी लाइन से कई बार अलग रुख अपनाया या अपनी मनमानी की है।
इस कारण वह गांधी परिवार के गले की हड्डी बने हुए थे। अपने वर्चस्व को बनाये रखने के लिए यह आवश्यक था कि गाँधी परिवार पंजाब की कमान किसी कैसे व्यक्ति को दे जो उनका चाटुकार हो और उनके सामने हाजिरी लगता हो। इस विशेष काम के लिए नवजोत सिंह सिद्धू से बेहतर कोई अन्य विकल्प नहीं था।
उन्हें पंजाब में अमरिंदर सिंह के खिलाफ सार्वजानिक तौर पर मोर्चा खोलने की स्वतंत्रता दे दी गई। यही कारण है कि पूर्व क्रिकेटर रहे सिद्धू ने न सिर्फ भाषणों में बल्कि सोशल मीडिया पर भी कैप्टन पर कई भयंकर आरोप लगाए।
और पढ़े: Pegasus मामला: ‘वकालत’ करें या ‘वफादारी’ निभाएं? दोनों के बीच फंसे हुए हैं कन्फ्यूज्ड कपिल सिब्बल
पिछले दो महीनों के दौरान 150 ट्वीट और फेसबुक पोस्ट किए, जिनमें उन्होंने मुख्यमंत्री के खिलाफ बयानबाजी की है। सिद्धू ने कैप्टन पर शिरोमणि अकाली दल के बादल परिवार के साथ मिलीभगत करने से लेकर चुनावी वादों को न पूरा करने जैसे आरोप लगाए थे। यही नहीं उन्होंने गुरुग्रंथ साहिब को अपवित्र करने या नुकसान पहुंचाने वाले मामले पर भी दोषियों को सजा न दिलवाने का आरोप कैप्टन पर ही लगाया था।
उसके बाद जब इन दोनों के बीच यह युद्ध अपने चरम पर था तब ही सिद्धू को पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष बना दिया गया। यही नहीं जब कैप्टन की ओर से यह मांग आई कि जब तक सिद्धू अपने लगाये गए आरोपों पर सार्वजानिक रूप से माफ़ी नहीं मांग लेते कैप्टन उनसे नहीं मिलेंगे। तब सिद्धू कैम्प ने इसे भी अस्वीकार कर दिया।
सिद्धू के करीबी और विधायक परगट सिंह ने कहा, “सिद्धू को सीएम से माफी क्यों मांगनी चाहिए? यह कोई सार्वजनिक मुद्दा नहीं है। सीएम को अपने वादों को पूरा नहीं करने के लिए जनता से माफी मांगनी चाहिए।”
Punjab Congress president Navjot Singh Sidhu calls party MLAs for breakfast at his residence in Amritsar.
Why should Sidhu apologise (to CM)? It's not a public issue. CM has not solved many issues. In that case, he should also apologise to public: Congress MLA Pargat Singh. pic.twitter.com/ttK5WRkoRR
— ANI (@ANI) July 21, 2021
इस पूरी प्रक्रिया को अगर देखें तो समझ आता है कि कैप्टन की पूरी तरह से बेइज्जती की योजना बनाई गई थी। अब कैप्टन को भी कांग्रेस का साथ छोड़ अपने लिए एक अलग रुख अख्तियार करना चाहिए।
चाहे वो बीजेपी में शामिल होना हो या अपनी नई पार्टी बनाना हो। जिस तरह से गांधी परिवार ने उनके राजनीतिक करियर को तबाह करने की कोशिश की है उन्हें भी अब गांधी परिवार के खिलाफ मोर्चा खोल लेना चाहिए जिससे वह अपना बदला ले सके।