गुजरात में पूर्व सरकारी अफसर ने खुद को बताया विष्णु का अवतार, मांगा 16 लाख रुपये का वेतन

रमेश चंद्र फेफर अपने आप को कल्कि का अवतार मानते हैं!

रमेश चंद्र फेफर कल्कि का अवतार

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इस संसार में भिन्न-भिन्न प्रकार के प्राणी वास करते हैं। जब से वुहान वायरस ने दुनियाभर में तांडव मचाया है, ऑनलाइन दुनिया ने हमें ऐसे प्राणियों से बेहतर परिचित कराया है। ऐसे ही एक व्यक्ति हैं रमेश चंद्र फेफर, जो गुजरात सरकार में अफसर रह चुके हैं और अपने आप को कल्कि का अवतार मानते हैं।

जी हाँ, आपने सही पढ़ा। इस बार जनाब कह रहे हैं कि यदि राज्य सरकार ने उन्हे 16 लाख रुपये का वेतन और ग्रेच्युटी नहीं दी, तो वे राज्य को सूखे का श्राप दे देंगे।

News18 गुजराती की रिपोर्ट के अनुसार, जल विभाग के पूर्व कर्मचारी ने धमकी दी है कि अगर उन्हें सैलरी और ग्रैच्युटी नहीं दी जाती है तो वे राज्य को सूखे का श्राप दे देंगे। 1 जुलाई, 2021 को रमेश चंद्र फेफर ने जल संसाधन विभाग के सचिव को पत्र लिखकर दावा किया था कि ‘सरकार में बैठे राक्षस’ उनका वेतन और ग्रेच्युटी रोक कर उन्हें परेशान कर रहे हैं। ‘उत्पीड़न’ के कारण वह अब गुजरात में सूखा लाएँगे, क्योंकि वह ‘भगवान विष्णु के दसवें अवतार’ हैं। रमेशचन्द्र फेफर ने कथित तौर पर यह भी दावा किया है कि पिछले दो वर्षों में भारत में उनकी दिव्य उपस्थिति के कारण ही अच्छी वर्षा हुई है। रमेश चंद्र फेफर के इसी व्यवहार के कारण गुजरात सरकार ने समय पूर्व सेवानिर्वृत्ति थमा दी।

रमेश चंद्र फेफर ने वर्ष 2018 में ऑफिस नहीं जाने के कारणों को लेकर कहा था कि वह कार्यालय इसलिए नहीं जा सकते हैं, क्योंकि वो ‘वैश्विक विवेक को बदलने’ के लिए ‘तपस्या’ कर रहे थे। इसके बाद जल विभाग ने फेफर को एक कारण बताओ नोटिस भी जारी किया था। इसके जवाब में उन्होंने कहा था, “भले ही आप विश्वास न करें, मैं वास्तव में भगवान विष्णु का दसवाँ अवतार कल्कि हूँ और आने वाले दिनों में मैं इसे साबित करूँगा। मार्च 2010 में जब मैं ऑफिस में था, उसी दौरान मुझे एहसास हुआ कि मैं कल्कि अवतार हूँ। तब से मेरे पास दैवीय शक्तियाँ हैं।”

जहां रमेश चंद्र फेफर की मांगें हास्य का विषय अवश्य हो सकता है, वहीं ये कहीं उनके मानसिक स्वास्थ्य को भी दर्शाता है। या तो वे एक मानसिक रोगी हैं, जिन्हें उपचार की आवश्यकता है, या फिर वे एक बेहद अकर्मण्य अफसर है, जो भ्रष्ट भी हैं और अपनी अकर्मण्यता छुपाने के लिए पागलपन का स्वांग रच रहे हैं।

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