गत मंगलवार को दिल्ली हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने ट्वटिर से स्पष्ट रूप से कहा कि, “अगली सुनवाई से पूर्व या तो आपके पास जवाब होगा या फिर भारत में आपके रहने न रहने पर विचार होगा।” इसके इतर कोर्ट की ओर से कहा गया कि, “क्योंकि नए नियमों कि अधिसूचना जारी होने के बाद के तीन महीने की अनुपालन तय समयसीमा को भी समाप्त हुए 42 दिन बीत गए हैं, इसके परिणाम स्वरूप अब ट्विटर को कोई भी कानूनी संरक्षण देने के लिए सरकार बाध्य नहीं है।”
अधिवक्ता अमित आचार्या की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस रेखा पल्ली ने कहा कि “31 मई को हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट को यह नहीं बताया गया था कि पहले आरजीओ की नियुक्ति सिर्फ अंतरिम आधार पर थी, जो इस्तीफा दे चुके हैं। कोर्ट ने कहा कि ट्विटर ने इस बारे में न्यायालय को भ्रम में रखा। जस्टिस पल्ली ने कहा कि यदि अंतरिम आरजीओ ने 21 जून को इस्तीफा दे दिया तो आप (ट्विटर) 15 दिन में किसी अन्य व्यक्ति को नियुक्त कर सकते थे। आपको पता था कि 6 जुलाई को मामले की सुनवाई होने वाली है। कोर्ट ने ट्विटर से कहा कि आरजीओ नियुक्त करने में आपको कितना वक्त लगेगा, दो दिन में विस्तृत जानकारी दें।”
कोर्ट ने हड़काते हुए ट्विटर से दो टूक कहा की “अगर उन्हें ऐसा लगता है कि वे जब तक चाहे उतना समय ले सकते हैं तो मैं इसकी अनुमति नहीं दूंगी।”
अपना पक्ष रखते हुए ट्विटर कि ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता साजन पूवैया ने कहा कि, “ट्विटर इन नियुक्तियों को जल्द से जल्द करने के प्रयासों में लगा हुआ है और इसके लिए उसे थोड़ा समय और चाहिए।” हालांकि, इस बार ट्विटर कि ओर से पेश अधिवक्ता ने ये ज़रूर स्वीकारा की ट्विटर ने अब तक नए आईटी नियमों का अनुपालन नहीं किया है, परंतु इसका अनुपालन ट्विटर को करना चाहिए और करेगा भी।
केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने ट्विटर को घेरते हुए कहा की, “नए आईटी नियम 25 फरवरी को लागू गए किए थे और सभी को इसके अनुपालन के लिए 3 महीने तक की तय समय सीमा प्रदान की गयी थी। जो विगत 25 मई को समाप्त हो गई है। ट्विटर की ओर से ऐसा रवैया बेहद निंदनीय है।” शर्मा ने आगे कहा कि “भारत में ट्विटर को व्यापार करने की मनाही नहीं है, परंतु नए आईटी नियमों के साथ व्यापार करना होगा।”
अब जब एक ओर कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि ट्विटर के खिलाफ सरकार कोई भी कानूनी कदम उठाने के लिए स्वतंत्र है, तब देखने वाली बात यह होगी कि सरकार इसपर क्या कड़े कदम उठाती है, क्योंकि अब तक की बात करें तो ट्विटर हमेशा ही नए नियमों और क़ानूनों से ज्यादा स्वयं को तरजीह देता रहा है। अब जब कोर्ट ने सरकार को खुले तौर पर कार्रवाई करने के निर्देश दे दिये हैं तो देखना ये हैं कि आगे क्या होगा?