असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा की छवि देश में एक ऐसे नेता के तौर पर स्थापित हो चुकी है, जो बिना लाग-लपेट के सभी मुद्दों पर खुलकर अपनी राय रख सकते हैं। बीते कुछ महीनों में ही सरमा ने असम के लिए ढेर सारे क्रांतिकारी फैसले लेकर यह साबित कर दिया है कि- अगर वो कुछ करने के लिए ठान लें , तो वो उसे पूरा करके मानते हैं। इसी कड़ी में हिमंता बिस्वा सरमा ने एक और नामुमकिन लगने वाले कार्य को मुमकिन करने की पूरी तैयारी कर ली है। बता दें कि सरमा ने असम में जनसंख्या नियंत्रण को लेकर कानून लाने की कवयाद शुरू कर दी है। जनसंख्या कानून से अमूमन मुस्लिम पक्ष नाराजगी जताते हैं पर सरमा ने अपने बेहतरीन पहल से 150 मुस्लिम बुद्धिजीवियों से मिलकर इस पर गहन चर्चा की, जिसके बाद असम के मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने राज्य में जनसंख्या नियंत्रण कानून का स्वागत किया है।
असम मुख्यमंत्री ने राज्य के 150 मुस्लिम बुद्धिजीवियों से मिलने के लिए एक कार्यक्रम का आयोजन किया था। इस कार्यक्रम का नाम ‘आलाप अलोचना – धार्मिक अल्पसंख्यकों का सशक्तिकरण’ था। इस कार्यक्रम के बाद हुए प्रेस वार्ता के दौरान सरमा ने यह स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि, “असम के मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने राज्य में जनसंख्या वृद्धि को लेकर चिंता व्यक्त की है। वह जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए राज्य सरकार के साथ खड़े हैं। बता दें कि बैठक में पद्मश्री डॉ इलियास अली और अली अहमद जैसे अल्पसंख्यक समुदाय के प्रख्यात लोग भी शामिल थे।
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मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि, “मैंने 150 से ज्यादा बुद्धिजीवियों, लेखकों कलाकारों, इतिहासकारों, प्रोफेसरों और अन्य से मुलाकात की। हमने ऐसे विभिन्न मसलों पर विचार किया जिनका असम के अल्पसंख्यक समुदाय के लोग सामना कर रहे हैं। बैठक में मौजूद सभी लोगों ने इस बात पर सहमति जताई कि असम के कुछ भागों में जनसंख्या विस्फोट राज्य के विकास के लिए खतरा है।
असम को अगर देश के पांच शीर्ष राज्यों में शुमार होना है तो हमें अपने जनसंख्या विस्फोट से निपटना होगा। इस पर सभी ने सहमति व्यक्त की।” इतना ही नहीं मुख्यमंत्री सरमा ने असम के बंगाली मुसलमानों की ओर रुख करते हुए कहा कि, “अगले कुछ दिनों में मैं प्रवासी मुस्लिमों या मूल रूप से पूर्वी बंगाल के मुस्लिमों के प्रतिनिधियों के साथ बैठूंगा। दोनों मुस्लिम समुदायों (स्थानीय और पूर्वी बंगाल) के बीच विशिष्ट सांस्कृतिक अंतर है और हम उसका सम्मान करते हैं।”
आखिर असम के मुख्यमंत्री के अंदर ऐसा क्या है जिससे जनसंख्या वृद्धि के खिलाफ कानून बनाने के लिए मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने भी हामी भर दी है! आमतौर पर ऐसे कानून को मुस्लिम पक्ष अपने धर्म के खिलाफ मानते हैं। बता दें कि हाल ही में जब हिमंता बिस्वा सरमा ने जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर पहल की थी, तब AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने असम मुख्यमंत्री पर जुबानी हमले किए थे और जनसंख्या नियंत्रण कानून को मुसलमानों के खिलाफ साजिश करार दिया था।
CM हिमंता एक ऐसे नेता है जिसके पास विकास कार्य के आगे आने वाले हर रोड़े का समाधान है। आपको बता दें कि सरमा ने मुख्यमंत्री बनने के बाद असम के अलगाववादी संगठन ULFA-I से अपने हथियार डालने का आग्रह किया था। ULFA-I के आंतकियों ने सरमा के आग्रह को चेतवानी समझ अपने हथियार डाल दिये और सीज़फायर करने का संकल्प ले लिया।
इतना ही नहीं मुख्यमंत्री सरमा, मुख्यमंत्री बनने से पहले जब वो राज्य में मंत्री का पद संभाल रहे थे, तब उन्होने राज्य में NRC की प्रक्रिया की अगुवाई की थी। NRC जैसे जटिल प्रक्रिया को सरमा ने अपने बेहतरीन नेतृत्व करते हुए उसे सफल अंजाम दिया। इसके बाद 2021 विधानसभा चुनाव के दौरान जब असम में केंद्र सरकार द्वारा लाए गए CAA कानून का पुरजोर विरोध हो रहा था, उस समय सरमा ने अपने नेतृत्व से यह सुनिश्चित किया कि जनता की नाराजगी, मतदान में न दिखे। नतीजा यह हुआ कि भाजपा असम में दुबारा सरकार बनाने में सफल रही।
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हिमंता बिस्वा सरमा की यह ताजा उपलब्धि यह बताती है कि वो हर मुश्किल से नामुंकिन लगने वाले कामों को भी सफलतापूर्वक करने में दमखम रखते है। सरमा चाणक्य के सूत्र साम, दाम, दंड, भेद से भी अच्छी तरह से वकीफ है, क्योंकि वो असम के कट्टर मुसलमानों को दंडित करने से पहले नहीं सोचते हैं, पर जहां बात संवाद की आती है वह वहाँ अपनी बात मनवाने में भी सफल रहते हैं।