कांग्रेस की सरकार हो और घपेलेबाजी न हो, ऐसा संभव नहीं है। इसी कड़ी में एक ख़बर सामने आई है कि राजस्थान सरकार के शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटसरा के रिश्तेदारों का चयन राजस्थान प्रशासनिक सेवा में धांधली करके हुआ है। मीडिया रिपोर्ट में यह दावा किया जा रहा है कि शिक्षा मंत्री के रिश्तेदारों को इंटरव्यू में एक समान अंक मिले हैं। यह ख़बर सामने आने के बाद राज्य में सियासत गरमा गई है।
भारतीय जनता पार्टी के नेता ने आरोप लगया है कि शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटसरा के रिश्तेदारों के लिखित परीक्षा में नंबर बहुत कम आए हैं और वहीं इंटरव्यू में सभी ने टॉप किया है। बीजेपी नेता का दावा है कि शिक्षा मंत्री के रिश्तेदारों के लिखित परीक्षा में 45-50 प्रतिशत तक नंबर आए हैं लेकिन इंटरव्यू में उनके नंबर 80 से 85 प्रतिशत के बीच में आए हैं। हालांकि, शिक्षा मंत्री ने सभी आरोपो का खंडन किया है।
बीजेपी नेता का आरोप है कि गोविंद सिंह डोटसरा की पुत्रवधु प्रतिभा पुनिया, उनके भाई गौरव पुनिया और बहन प्रभा पुनिया, तीनों को राज्य प्रशासनिक सेवा परीक्षा में नंबर 80-85 प्रतिशत के बीच आए हैं। आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक, बीजेपी की ओर से जारी लिस्ट के पहले पेपर में गौरव को 48.75 फीसदी अंक मिले, वहीं, दूसरे पेपर में 41.25 फीसदी अंक मिले। थर्ड पेपर में 50 फीसदी अंक मिले हैं। चौथे में 49.75 फीसदी अंक मिले। लिखित में कुल अंक 47.44 फीसदी हैं, वहीं, इंटरव्यू में 80 फीसदी अंक मिले हैं।
प्रभा पुनिया को पहले पेपर में 41 फीसदी अंक, दूसरे पेपर में 48 फीसदी अंक, तीसरे में 49.75 फीसदी अंक और लिखित में 45.81 फीसदी अंक मिले हैं। प्रभा को भी इंटरव्यू में गौरव के समान 80 फीसदी अंक मिले हैं।
राज्य के शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटसरा की पुत्रवधु प्रतिभा पुनिया को पहले पेपर में 46 फीसदी अंक मिले हैं, दूसरे पेपर में 48 फीसदी अंक, तीसरे पेपर में 51 फीसदी अंक, चौथे में 56 फीसदी अंक और रिटेन में कुल 50.25 प्रतिशत अंक मिले हैं। इंटरव्यू में प्रतिभा पुनिया को भी 80 प्रतिशत नंबर मिले हैं।
खैर, यह पहली बार नहीं हुआ है जब राजस्थान की कांग्रेस सरकार के ऊपर घपेलेबाजी के आरोप लगें हों। कोरोना संक्रमण जब चरम पर था तो राज्य सरकार के ऊपर ventilators और वैक्सीन की बर्बादी के आरोप लगे थे। हाल ही में राजस्थान सरकार की नाक के नीचे 1,0000 करोड़ के limestone पत्थर का घोटाला सामने आया था।
राज्य के शिक्षा मंत्री पर लगे आरोप गंभीर हैं। ऐसे में केंद्र सरकार को इस मामले में केंद्रीय जांच विभाग से जांच करानी चाहिए, ताकि सच सामने आ सके और असल में जो योग्य और प्रतिभाशाली परीक्षार्थी हैं उन्हें न्याय मिल सके।