IMA चीफ डॉ. ऑस्टिन जयलाल याद है? हाँ IMA के वही अध्यक्ष, जो रामदेव के योग और आयुर्वेद का विरोध करते हैं, पर कोरोना वायरस से निजात पाने के लिए ईसा मसीह को ही एकमात्र विकल्प मानते हैं। आजकल ये फिर चर्चा में है। हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट ने IMA को ईसाई धर्म के प्रचार का अड्डा बनाने के लिए इस व्यक्ति की जमकर क्लास लगाई है।
दरअसल, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉक्टर जॉन रोज़ ऑस्टिन जयलाल ने दिल्ली के स्थानीय न्यायालय के निर्णय के विरुद्ध याचिका लगाई थी। दिल्ली के स्थानीय न्यायालय ने एक याचिका के आधार पर IMA के अध्यक्ष को अपने संगठन का दुरुपयोग करने से मना किया था। लेकिन जस्टिस आशा मेनन के नेतृत्व में गठित एकल पीठ ने इस याचिका को ध्वस्त कर दिया।
द्वारका कोर्ट ने अपने निर्णय में ये भी कहा था कि IMA जैसी संस्था का इस्तेमाल किसी धर्म को बढ़ावा देने की बजाए अपना ध्यान मेडिकल क्षेत्र की उन्नति और इससे जुड़े लोगों की भलाई में लगाएँ। ट्रायल कोर्ट के निर्णय के अनुसार, “ये कहना कि ईसाई धर्म और एलोपैथी एक समान हैं और यह पश्चिमी दुनिया का एक उपहार है, सबसे गलत दावा है।”
लेकिन ये तनातनी किस विषय पर शुरू हुई? दरअसल, कोरोना की दूसरी लहर के दौरान योग गुरु रामदेव ने कहा कि आयुर्वेद से भी कोरोना का इलाज संभव है। इसपर IMA रामदेव से भिड़ गया, और डॉक्टर ऑस्टिन जयलाल के नेतृत्व में खीचातानी शुरू हो गई। परंतु बात यहीं पर नहीं रुकी। द्वारका कोर्ट में दायर याचिका के अनुसार डॉक्टर ऑस्टिन जयलाल पर आरोप लगाया गया था कि उसने कोरोना से संबंधित जटिलताओं के इलाज में आयुर्वेदिक दवाओं पर एलोपैथिक दवाओं की श्रेष्ठता साबित करने के बहाने ईसाई धर्म को बढ़ावा देकर हिंदू धर्म के खिलाफ दुष्प्रचार करने लिए अभियान शुरू किया था। द्वारका कोर्ट में डॉक्टर ऑस्टिन जयलाल के विरुद्ध याचिका दायर करने वाले रोहित झा ने 30 मार्च, 2021 को प्रकाशित एक समाचार लेख के साथ नेशन वर्ल्ड न्यूज में जयलाल और बाबा रामदेव की एक बहस क्लिप के साथ साक्ष्य प्रस्तुत किया था।
इसके अलावा डॉक्टर ऑस्टिन जयलाल ने इस साल की शुरुआत में अपने एक इंटरव्यू में दावा किया था कि ईसाई डॉक्टरों को समग्र उपचार प्रदान करने की विशेष दक्षता प्राप्त है, जिसमें आध्यात्मिक, मानसिक और सामाजिक उपचार शामिल हैं। उसने कहा था कि वह हिंदुओं को ईसाई धर्म में परिवर्तित करने के लिए अस्पतालों का इस्तेमाल करना चाहते थे। डॉक्टर जे ऑस्टिन जयलाल ने आरोप लगाया था कि मोदी सरकार इसलिए आयुर्वेद में विश्वास करती है, क्योंकि उसके सांस्कृतिक मूल्य और पारंपरिक आस्था हिंदुत्व में है। उन्होंने दावा किया था कि पिछले 3-4 वर्षों से आधुनिक मेडिसिन की जगह आयुर्वेद को लाने की कोशिश हो रही है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद, यूनानी, होमियोपैथी और योग इत्यादि की जड़ें संस्कृत में हैं, जो हिंदुत्व की भाषा है।
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लेकिन लगता है कि दिल्ली हाईकोर्ट डॉक्टर ऑस्टिन जयलाल की बकवास सुनने के लिए नहीं बैठी थी। उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन को किसी एक निजी एजेंडा का मोहताज नहीं बनाया जा सकता। डॉक्टर ऑस्टिन जयलाल के खोखले दावों की धज्जियां उड़ाते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने एक बार फिर सिद्ध किया कि कानून से ऊपर कुछ नहीं होगा।