भारत जल्द ही चीन की पकड़ से जॉर्जिया को छीन लेगा

भारत ने इसकी पूरी तैयारी कर ली है!

जॉर्जिया

भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर इन दिनों जॉर्जिया के दो दिवसीय यात्रा पर गए हुए हैं। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शुक्रवार को 17वीं सदी की शाही महारानी केतेवन का अवशेष जॉर्जियाई सरकार को सौंप दिया है। माना जा रहा है कि यह पहल दोनों देशों  के द्विपक्षीय संबंधों को “नए स्तर” पर लेकर जाएगा। इतना ही नहीं विदेश मंत्री ने जॉर्जिया के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री David Zalkaliani के साथ राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा का अनावरण किया है। ये प्रतिमा वहां के प्रमुख त्बिलिसी पार्क में लगाई गई है।

विदेश मंत्री एस जयशंकर की जॉर्जिया की दो दिवसीय यात्रा शुक्रवार से शुरू हुए थी। साल 1991 में जॉर्जिया के स्वतंत्र होने के बाद से किसी भारतीय विदेश मंत्री द्वारा त्बिलिसी की पहली यात्रा है। यह यात्रा संकेत देती है कि भारत उस क्षेत्र को महत्व दे रहा है जहां चीन बेल्ट के माध्यम से अपने विस्तार वाद को जारी रख रहा है।

इसे लेकर विदेश मंत्री ने ट्वीट किया है और लिखा, “विदेश मंत्री डेविड जलकालियानी ने पूरी गर्मजोशी के साथ स्वागत किया। जॉर्जिया के लोगों को महारानी केतेवन के पवित्र अवशेष सौंपकर अच्छा महसूस कर रहा हूं। एक भावुक पल…’ St Queen Ketevan की बात करें तो वह 17वीं सदी में जॉर्जिया की महारानी थीं। उनके अवशेष साल 2005 में गोवा के संत ऑगस्टिन कॉन्वेंट में मिले थे। ऐसा कहा जाता है कि इन्हें साल 1627 में यहां लाया गया था।”

जॉर्जिया सिर्फ कोई और देश नहीं है। भारत के लिए यह सामरिक महत्व का है। जॉर्जिया में भारत को यूरोप से जोड़ने में एक अविश्वसनीय भूमिका निभाने की क्षमता है। इसके साथ ही, यह तथ्य कि भारत देशों को चीन के साथ जुड़ने के खतरों का एहसास कराने का कोई अवसर नहीं गंवा रहा है। जॉर्जिया का विशेष रूप से, चीन के साथ गहरा संबंध है।

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बता दें कि जयशंकर जॉर्जिया, जॉर्जिया के विदेश मंत्री डेविड जलकालियानी के निमंत्रण के बाद गए हैं। यह निमंत्रण उस वक़्त आया है, जब चीन जॉर्जिया में निरंतर विस्तार और debt trap के मकसद से निवेश कर रहा है। जॉर्जिया न केवल ‘वन चाइना’ नीति के अनुरूप है, बल्कि उसके geo- strategic स्थान को देखते हुए, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने जॉर्जिया को  वन बेल्ट वन रोड इनिशिएटिव (ओबीओआर), या बीआरआई परियोजना में भी शामिल कर लिया है। जॉर्जिया उन देशों मे से हैं, जिसके साथ चीन ने फ्री ट्रेड एग्रीमंट (FTA) करार किया है।

साल 2018 में दोनों देशों के बीच में यह करार तय हुआ था। उसके बाद से चीन का निवेश जॉर्जिया में बढ़ता ही जा रहा है। रिपोर्ट्स की माने तो, जॉर्जिया के 90 फीसदी से ज्यादा, करीब 600 मिल्यन डॉलर कन्स्ट्रकशन प्रोजेक्ट में चीन का निवेश शामिल है। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि चीन जॉर्जिया को अपने debt- trap नीति के तहत फसाने की पूरी तैयारी कर चुका है। जॉर्जियाई थिंक टैंक जियोकेस में मध्य पूर्व अध्ययन के निदेशक एमिल अवदालियानी ने कहा कि, चीन बेशक अपने इरादे की वजह से चीन में निवेश किया है, पर उसकी यह चाल उसके हिसाब से चल नहीं रही है। जॉर्जिया भले ही खुलकर चीन का विरोध न करें, पर देश में चीन के खिलाफ भावनाएँ देखने को मिल रही है।

अवदालियानी ने लिखा है कि, “ चीन और जॉर्जिया के बीच व्यापार की जैसे उम्मीद की गई थे, वैसा हुआ नहीं। इसमें कोई दोराय नहीं है कि कुल मात्रा में लगातार वृद्धि हुई है, आंकड़े बताते हैं कि जॉर्जिया ज्यादातर कच्चे माल जैसे तांबा और विभिन्न रसायनों का चीन से निर्यात करता है। ऐसे काॉट्रैक्ट को चीन ने भ्रष्टाचार का सहारा लेकर अपने नाम  किया है। इसी तरह से जॉर्जिया में चीन के  भ्रष्ट प्रथाओं पर चिंताएं बढ़ रही है।“

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ऐसे में भारत यह बात भली भांति समझता है कि चीन और जॉर्जिया के बीच बढ़ रहे दरार को भुनाने के लिए यह सबसे बेहतरीन अवसर है। भारतीय विदेश मंत्री ने महारानी केतेवन के अवशेष सौंपते हुए कहा, “भारत और जॉर्जिया में कुछ अवशेषों की मौजूदगी ने हमारे दोनों देशों के बीच आस्था की पुल को बांधा है। मुझे उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में, हमारे दोनों देशों के लोग आध्यात्मिकता के साथ दोस्ती के  उस पुल को भी पार करेंगे।“ भारत जॉर्जिया से मित्रता आगे बढ़ाने के लिए हर मुमकिन कोशिश कर रहा है। एक तरफ जॉर्जिया को एहसास होंने लगा है कि कैसे चीन उसे अपने debt trap में फसाने के लिए भ्रष्ट रास्ते को अपना रहा है। ऐसे में भारत चीन द्वारा बनाई गए इस षड्यंत्र को तोड़ने के लिए जॉर्जिया के साथ खड़ा है। भारत जॉर्जिया के साथ द्विपक्षीय करार करके चीन के मंसूबो पर एक बार फिर से पानी फेरने वाला है।

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