हाशिमारा एयरबेस पर राफेल की तैनाती से भारत ने चीन को मुंहतोड़ जवाब दिया है

हाशिमारा में राफेल की दूसरी स्कवाड्रन ‘101 फाल्कन्स ऑफ चंब एंड अखनूर’ बनाकर भारत ने बड़ी रणनीतिक चाल चली है।

हाशिमारा एयरबेस

भारत में बहुचर्चित राफेल विमान की दूसरी स्क्वाड्रन के विमान अब फ्रांस से भारत आने लगे हैं। भारत ने राफेल विमान की अपनी पहली स्क्वाड्रन को अंबाला एयरबेस पर तैनात किया है। यहाँ से भारत, पाकिस्तान और चीन दोनों की सीमा पर आक्रामक तेवर दिखाने के लिए राफेल का इस्तेमाल कर सकता है। दूसरी स्क्वाड्रन को पूरी तरह से चीन पर ध्यान केंद्रित करने के उद्देश्य से हाशिमारा एयरबेस पर तैनात किया जा रहा है।

इस स्कवाड्रन के लिए 6 राफेल भारत पहुंच गए हैं और अभी भी 12 राफेल आने बाकी हैं। पश्चिमी बंगाल के हाशिमारा एयरबेस में तैनात राफेल के इस दूसरे स्क्वाड्रन का नाम ‘101 फाल्कन्स ऑफ चंब एंड अखनूर’ है। 2011 में मिग-21 के रिटायर होने के बाद से यह स्क्वाड्रन सक्रिय नहीं था। हाशिमारा बेस पर ही सिक्किम में नाथुला दर्रे की सुरक्षा का भी जिम्मा है।

हाशिमारा एयरबेस सिलीगुड़ी कॉरिडोर में स्थित है। इसे विंग 16 या लीथल 16 नाम से भी जाना जाता है। भारत के लिए सुरक्षा की दृष्टि से सबसे नाजुक माने जाने वाले इलाकों में एक सिलीगुड़ी कॉरिडोर भी है, जो उत्तर-पूर्व भारत को शेष भारत से जोड़ता है। इसे इसकी नाजुक स्थिति के कारण चिकन नेक भी कहा जाता है। 2017 में जब चीन ने डोकलाम में सड़क निर्माण करने का प्रयास किया था, तो उसका इरादा इसी कॉरिडोर पर अपनी पकड़ मजबूत करने का था जिससे भारत पर सामरिक दबाव बनाया जा सके।

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डोकलाम विवाद के समय भारत और चीन सैन्य टकराव की स्थिति में आ गए थे। डोकलाम स्टैंडऑफ़ ने भारत की चिंता को बढ़ा दिया था, क्योंकि भारत इस इलाके में सड़क निर्माण और अन्य प्रकार से इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत करके भी चीन के सैन्य दबाव को कम नहीं कर पा रहा था। ऐसे में हाशिमारा एयरबेस में राफेल की तैनाती भारत को सामरिक बढ़त देगी।

हाशिमारा एयरबेस के पास ही चुम्बी घाटी भी स्थित है जो भूटान, भारत और चीन को जोड़ती है। साथ ही पास में ही चबुआ और तेजपुर एयरबेस मौजूद हैं। यहाँ भारत के सुखोई 30 विमान तैनात हैं। हाशिमारा में राफेल की मौजूदगी सुखोई विमानों की शक्ति को भी बढ़ाएगी। ऐसा इसलिए क्योंकि सुखोई विमान लम्बी दूरी तक जाकर हमला करने और लम्बी दूरी होने पर भी हवा से भूमि पर हमला करने में सक्षम हैं।

इन सुखोई विमानों के पास हवा से हवा में मार करने वाली अर्थात एन्टी एयरक्राफ्ट मिसाइल की श्रेणी में कोई बेहतर मिसाइल नहीं है। भारत सुखोई 30 में एन्टी एयरक्राफ्ट मिसाइल के रूप में रूस की बनी R-77 और इजराइल की डर्बी मिसाइल का इस्तेमाल करता है, जो मध्यम दूरी तक ही प्रभावी हैं। यहाँ तक कि पाकिस्तान के F-16  भी इस मामले में भारत से बेहतर हैं, लेकिन अब राफेल के आने से यह समीकरण बदल गया है।

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राफेल में दुनिया की सबसे बेहतर एन्टी एयरक्राफ्ट मिसाइल में से एक मिटीयॉर मिसाइल लगी होती है, जिसकी दूरी 100 किलोमीटर होती है। ऐसे में राफेल और सुखोई का संयुक्त अभियान किसी भी युद्ध को भारत के पक्ष में मोड़ सकता है। इतना ही नहीं राफेल की स्कैल्प मिसाइल, मजबूत से मजबूत सुरक्षा कवच को तोड़कर, बंकरों को तबाह कर सकती है। चीन को अपने J20 विमान पर घमंड है और वह उसे पांचवीं पीढ़ी का विमान बताता है, लेकिन चीन ने इसका कभी किसी भी युद्ध मे इस्तेमाल नहीं किया है। इसके विपरीत राफेल के रडार के बारे में यह बात दावे के साथ कही जा सकती है कि उसका रडार सिस्टम दुनिया के सबसे बेहतरीन सिस्टम में से एक है, ऐसे में J20 के लिए भी राफेल का सामना करना आसान नहीं होगा।

हाल ही में खबर आई थी कि चीन भारतीय वायुसेना पर बढ़त बनाने के लिए तिब्बत क्षेत्र में मौजूद अपने एयरबेस को और मजबूत कर रहा है, लेकिन हाशिमारा एयरबेस में जब राफेल की पूरी स्क्वाड्रन तैनात हो जाएगी तो चीन के लिए मुसीबत बढ़ जाएगी, भले ही वह नए बेस बनाए। राफेल की हाशिमारा एयरबेस में उपस्थिति से भारत का उत्तर पूर्वी क्षेत्र पूरी तरह से सुरक्षित हो जाएगा।

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