मोदी का एक मास्टर स्ट्रोक और जम्मू-कश्मीर में हिंदू मुख्यमंत्री बनने का रास्ता साफ

अब तक जम्मू-कश्मीर में एक भी हिंदू सीएम नहीं बना, अब बनेगा!

जम्मू-कश्मीर हिंदू

जम्मू-कश्मीर में एक हिंदू समुदाय के व्यक्ति का सीएम बनना अब तक एक कल्पना ही था, लेकिन अब लगता है कि ऐसा नहीं रहेगा। बीजेपी कहती है कि ‘मोदी है तो मुमकिन है’, लगता है कि अब जम्मू-कश्मीर में हिंदू मुख्यमंत्री की कल्पना भी सच हो ही जाएगी। दरअसल, अनुच्छेद 370 हटने के बाद राज्य में परिसीमन की प्लानिंग शुरू हो चुकी है।

2011 की जनगणना के आधार पर होने वाला परिसीमन मार्च 2022 तक पूरा हो जाएगा। सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि इस परिसीमन के बाद जम्मू-कश्मीर ‌में‌ विधानसभा की 7 सीटें अधिक हो जाएंगी।

खबरें हैं कि ये सीटें जम्मू क्षेत्र से होंगी। जम्मू हमेशा से ही बीजेपी का गढ़ रहा है। ऐसे में यदि जम्मू क्षेत्र का विधानसभा में प्रतिनिधित्व बढ़ता है तो ये बीजेपी के लिए एक सकारात्मक खबर हैं, और इसके जरिए ही बीजेपी की जम्मू-कश्मीर में हिन्दू सीएम बनाने की प्लानिंग सफल होगी।

अनुच्छेद-370 के ख़त्म होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले तो यहां की राजनीतिक पार्टियों‌ से चर्चा की और इसके साथ ही केंद्र शासित प्रदेश में परिसीमन का काम भी शुरू कर दिया। परिसीमन की प्रक्रिया को जम्मू-कश्मीर के लिए 2026 तक टाला गया था, लेकिन मोदी सरकार ने विधानसभा चुनाव कराने से पहले ही इसे अमलीजामा पहनाने की रूपरेखा तैयार कर दी है। इस मामले में परिसीमन आयोग के अध्यक्ष रंजना प्रसाद देसाई ने बताया है कि परिसीमन के जरिए विधानसभा में सात सीटें बढ़ेंगी, वहीं रिपोर्ट्स का कहना है कि ये सीटें जम्मू क्षेत्र की होगी।

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उन्होंने कहा, “परिसीमन 2011 के सेंसस पर आधारित होगा। पिछले परिसीमन के दौरान 12 जिले थे लेकिन अब प्रदेश में 20 जिले हैं। आयोग के सदस्यों ने 290 से अधिक दलों और संगठनों से मुलाकात की जिसमें 800 के आसपास सदस्य थे।

इन दलों ने परिसीमन पर खुशी जताई। कुछ दलों ने राजनीतिक आरक्षण की भी मांग की।”  परिसीमन के लिए आयोग ने एक नोडल अधिकारी भी बनाया है, जिसे सभी के सुझाव लेने से लिए निर्देशित किया गया है।

वहीं इस मामले में निर्वाचन आयोग के प्रमुख सुशील चंद्रा ने कहा, “जम्मू-कश्मीर में पिछला परिसीमन 1995 में 1981 की जनगणना के आधार पर किया गया था। इस बार 2011 की जनगणना के आधार पर विधानसभा क्षेत्रों का परिसीमन किया जा रहा है और इसमें जनसंख्या के अलावा भौगोलिक स्थिति, संचार और अन्य कई बिंदुओं पर भी गौर किया जाएगा।” साफ है कि अब जम्मू-कश्मीर की राजनीति का कायाकल्प होने वाला है।

ऐसे में अमर उजाला की एक रिपोर्ट बताती है की जम्मू-कश्मीर विधानसभा में परिसीमन के बाद जो सीटें बढ़ेंगी, वो जम्मू क्षेत्र की होगी। फिलहाल जम्मू में 37 और कश्मीर में 46 सीटें हैं। ऐसे में यदि 7 सीटें बढ़ती हैं तो ये आंकड़ा 44 तक जाएगा, जोकि बीजेपी के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है।

परिसीमन का ये बिंदु जहां बीजेपी के लिए खासा लाभदायक साबित हो सकता है तो वहीं राज्य की पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस जैसी पार्टियों के लिए ये एक बड़ा झटका होगा, क्योंकि बीजेपी ने पिछले कुछ सालों से जम्मू में अपनी राजनीतिक स्थिति मजबूत की है।

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बीजेपी के जम्मू क्षेत्र के वोट बैंक की बात करें तो पार्टी को लोकसभा चुनाव 2014 में करीब 32 फीसदी वोट मिले थे, वहीं साल 2019 में ये आंकड़ा 46 फीसदी से भी अधिक था। ऐसे में परिसीमन के बाद यदि बीजेपी का वोट बैंक मजबूत रहता है, और विधानसभा चुनाव में पार्टी को सफलता मिलती है, तो उसके पीछे जम्मू क्षेत्र की मुख्य भूमिका होगी।

बीजेपी हमेशा से ही जम्मू-कश्मीर में एक हिन्दू मुख्यमंत्री की सोच रखती रही है, और अब यदि परिसीमन के बाद विधानसभा में राजनीतिक समीकरण बदलते हैं तो ये कहा जा सकता है कि बीजेपी पहली बार जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव के बाद एक हिंदू मुख्यमंत्री बना सकती है।

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