दो साल बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कैबिनेट का पहला विस्तार किया, तो निशाने पर वो मंत्री थे जिनका ट्रैक रिकॉर्ड सबसे ज्यादा विवादित रहा है। ऐसे में 12 मंत्रियों को कैबिनेट से बाहर किया गया है, लेकिन तीन नाम चौंकाने वाले हैं। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद, सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक… तीनों राजनीतिक रूप से काफी अहम माने जाते हैं, लेकिन इनका ट्रैक रिकॉर्ड राजनीतिक रसूख पर भारी पड़ा है। पीएम मोदी ने इन तीनों को बाहर का रास्ता दिखाकर जनता के बीच संकेत दिया है कि वो अपने मंत्रियों के प्रति जनता के विचारों को लेकर बेहद संवेदनशील हैं।
कैबिनेट के विस्तार और बदलाव में प्रधानमंत्री ने अपनी टीम का पूरा कायाकल्प किया है। उन मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखाया गया है जो कि मोदी सरकार की छवि को बर्बाद करने के सबसे बड़े जिम्मेदार हैं। पहले बात करते हैं रविशंकर प्रसाद की, जिन्हें कानून और आईटी दोनों विभाग का प्रमुख बनाया गया, लेकिन हकीकत ये है कि नए आईटी नियमों को लागू करने पर उनका रवैया ढुलमुल था। ट्विटर ने जब भारतीय कानून का पालन नहीं किया तब रविशंकर प्रसाद ट्विटर कि खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रहे। यहां तक कि उनके ही ट्विटर अकाउंट को ट्विटर ने एक घंटे के लिए लॉक कर दिया था फिर भी वो कुछ न कर सके।
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ऐसे में टीएफआई ने भी सवाल खड़ा किया था कि अब क्या रविशंकर प्रसाद पीएम मोदी के ट्विटर अकाउंट के बैन होने का इंतजार कर रहे हैं? उन्होंने शशि थरूर पर आरोप लगाए और जब वो साबित नहीं कर पाए तो माफी मांगी, इससे उनकी खूब किरकिरी हुई। कुछ ऐसा ही हाल सूचना एवं प्रसारण और पर्यावरण विभाग संभाल रहे प्रकाश जावड़ेकर का भी है। टीवी चैनलों में फेक न्यूज फैलाने के अनेकों मुद्दों पर मंत्रालय की चुप्पी ही रही। इतना ही नहीं ओटीटी प्लेटफॉर्मों पर लगातार हिन्दू देवी देवताओं पर टिप्पणियां की गईं और हिन्दूत्व के खिलाफ एजेंडा चलाया गया; लेकिन जावड़ेकर ने प्रत्येक मुद्दे पर अपनी अकर्मण्यता के सबूत पेश किये।
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प्रकाश जावड़ेकर ट्वीट में ओटीटी प्लेटफॉर्म के संबंध में बयान देते थे, लेकिन ये सारा आक्रोश जमीनी स्तर पर गायब था। ओटीटी प्लेटफॉर्म धड़ल्ले से हिन्दुत्व के खिलाफ दुष्प्रचार फैला रहे हैं और इस अकर्मण्यता की सजा अब प्रकाश जावड़ेकर के हिस्से में आई है।
इन दोनों से इतर एक तीसरा विभाग शिक्षा से भी जुड़ा है, शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक का ट्रैक रिकार्ड बेहद बुरा रहा है। जेएनयू व एएमयू जैसे संस्थानों में वामपंथी और इस्लामिक एजेंडा चलता रहा और शिक्षा मंत्री चुप बैठे रहे। वो जब बोले तब तक काफी देर हो चुकी थी। इतना ही नहीं, आए दिन देश के कई इलाकों से खबरें आती रहती हैं कि कुछ वामपंथी किताबों के जरिए बच्चों का ब्रेनवॉश करते हैं लेकिन कार्रवाई ढाक के तीन पात ही रही। किताबों के जरिए बच्चों के दिमाग में अश्लीलता तक भरी जा रही थी, लेकिन मजाल है कि मंत्री जी के कान में जूं रेंगे। इसके विपरीत पीएम मोदी की सब पर तीखी नजर थी।
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ऐसा नहीं है कि इन सभी मंत्रियों ने कुछ काम नहीं किए, लेकिन इनका ढुलमुल ट्रैक रिकॉर्ड इनके करियर को ले डूबा, जिसके चलते जनता लगातार सोशल मीडिया में इन मंत्रियों की आलोचना कर पीएम मोदी तक अपने विचार पहुंचा रही थी। विपक्षी ही नहीं, बल्कि पक्ष में दिखने वाले लोगों ने भी इन्हीं मंत्रियों की सबसे ज्यादा आलोचना की थी। ऐसे में पीएम मोदी ने इन तीनों मत्रियों को बाहर का रास्ता दिखाकर साबित कर दिया है कि वो सोशल मीडिया पर लोगों के मन की बात को महत्व देते हैं। TFI के संस्थापक अतुल मिश्रा ने अपने एक ट्वीट में इसपर प्रकाश भी डाला है।
Also the very public sacking of Javadekar, Prasad and Nishank proves one thing. PM Modi knows people’s “Man ki Baat”. These 3 ministers were possibly the 3 most detested ones in the previous cabinet.
— Atul Kumar Mishra (@TheAtulMishra) July 7, 2021
जावड़ेकर, प्रसाद, निशंक के अलावा अन्य 9 मंत्रियों को भी मोदी कैबिनेट से बाहर किया गया हैं, जिनमें से लगभग सभी का ट्रैक रिकॉर्ड आलोचनात्मक ही रहा है। संतोष गंगवार से लेकर सदानंद गौड़ा और देबोश्री चौधरी, सभी पिछले दो सालों के कोरोनाकाल में गायब थे। इन सभी का आम जनता से संपर्क टूटना ही इनके ऊपर गिरी गाज की असल वजह है। वहीं सोशल मीडिया यूजर्स उन सभी के जाने से खुश होंगे, जिनकी वो आलोचना करते रहे हैं।